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मंगलवार, 28 दिसंबर, 2021

 

मंगलवार, 28 दिसंबर, 2021

ख्रीस्त जयन्ती सप्ताह 
पवित्र बालकपन का त्योहार

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पहला पाठ: योहन का पहला पत्र 1:5-2:2


5) हमने जो सन्देश उन से सुना और तुम को भी सुनाते हैं, वह यह है- ईश्वर ज्योति है और उस में कोई अन्धकार नहीं!

6) यदि हम कहते हैं कि हम उसके जीवन के सहभागी हैं, किन्तु अन्धकार में चल रहे हैं, तो हम झूठ बोलते हैं और सत्य के अनुसार आचरण नहीं करते।

7) परन्तु यदि हम ज्योति में चलते हैं- जिस तरह वह स्वयं ज्योति में हैं- तो हम एक दूसरे के जीवन के सहभागी हैं और उसके पुत्र ईसा का रक्त हमें हर पाप से शुद्ध करता है।

8) यदि हम कहते हैं कि हम निष्पाप हैं, तो हम अपने आप को धोखा देते हैं और हम में सत्य नहीं है।

9) यदि हम अपने पाप स्वीकार करते हैं, तो वह हमारे पाप क्षमा करेगा और हमें हर अधर्म से शुद्ध करेगा; क्योंकि वह विश्वसनीय तथा सत्यप्रतिज्ञ है।

10) यदि हम कहते हैं कि हमने पाप नहीं किया है, तो हम उसे झूठा सिद्ध करते हैं और उसका सत्य हम में नहीं है।

1) बच्चो! मैं तुम लोगों को यह इसलिए लिख रहा हूँ कि तुम पाप न करो। किन्तु यदि कोई पाप करता, तो पिता के पास हमारे एक सहायक विद्यमान हैं, अर्थात् धर्मात्मा ईसा मसीह।

2) उन्होंने हमारे पापों के लिए प्रायश्चित किया है और न केवल हमारे पापों के लिए, बल्कि समस्त संसार के पापों के लिए भी।



सुसमाचार : सन्त मत्ती 2:13-18



(13) उनके जाने के बाद प्रभु का दूत युसुफ़ को स्वप्न में दिखाई दिया और यह बोला ’’उठिए! बालक और उसकी माता को लेकर मिस्र देश भाग जाइए। जब तक में आप से न कहूँ वहीं रहिए क्योंकि हेरोद मरवा डालने के लिए बालक को ढूँढ़ने वाला है।

(14) यूसुफ उठा और उसी रात बालक और उसकी माता को ले कर मिस्र देश चल दिया।

(15) वह हेरोद की मृत्यु तक वहीं रहा जिससे नबी के मुख से प्रभु ने जो कहा था, वह पूरा हो जाये - मैंने मिस्र देश से अपने पुत्र को बुलाया।

(16) हेरोद को यह देख कर बहुत क्रोध आया कि ज्योतिषियों ने मुझे धोखा दिया है। उसने प्यादों को भेजा और ज्योतिषियों से ज्ञात समय के अनुसार बेथलेहेम और आसपास के उन सभी बालकों को मरवा डाला, जो दो बरस के या और भी छोटे थे।

(17) तब नबी येरेमियस का यह कथन पूरा हुआ-

(18) रामा में रूदन और दारुण विलाप सुनाई दिया, राखेल अपने बच्चों के लिए रो रही है, और अपने आँसू किसी को पोंछने नहीं देती क्योंकि वे अब नहीं रहे।



📚 मनन-चिंतन


आज कलीसिया उन नन्हे मुन्ने बेगुनाह शहीदों को याद करती है जो क्रूर राजा हेरोद के कारण अपने रक्त के द्वारा ख्रीस्त के साक्षी बने। निर्दोष बच्चों की हत्या राजा हेरोद की क्रूरता को दर्शाता है। जब मनुष्य अपने पद या पावर को लेकर स्वार्थी बन जाता है तब उसे भी राजा हेरोद कि तरह भय लगा रहता है कि मेरी कुर्सी व पावर छीन न जाए। वह अच्छाई और बुराई में फर्क नहीं कर पाता है। उसका हृदय छल कपट से भर जाता है। ऐसे मंत्री अपनी कुर्सी बचाने के लिये कुछ भी करने को तैयार हो जाते हैं। राजा हेरोद भी येसु का जन्म का संदेश सुनकर भय और चिंता से घिर जाता है। अपने स्वार्थ के कारण बालक येसु को नहीं पहचान पाता है। अपने सिंहासन के लिए निर्दोष बच्चों को तलवार के घाट उतार देता है। हम भी छोटे बच्चों की तरह अपने हृदय को शुद्ध तथा विनम्र बनाये। और ईश्वर के साक्षी बने ।



📚 REFLECTION



Today, Catholic Church remembers the innocent infant martyrs. Who witnessed Christ through their blood, because of cruel king herod. The massacre of the innocent infant babies shows the cruelty and selfishness of the king Herod. When person becomes selfish only for power and post, then like King Herod, he also gets scared of losing his post and power. He cannot differentiate between good and evil.

Their heart fills with the wickedness; such persons are ready to do anything to save their post and power. Likewise king herod gets frightened and worried after hearing the birth of Jesus. He could not recognize Jesus due to his selfishness. He massacred innocent infants in order to save his power and position.

Let us make our hearts pure and humble like children and become true witness of Christ.



मनन-चिंतन - 2



आज हम राजा हेरोद महान द्वारा बालक येसु को मार डालने के प्रयास में, मारे गए दो वर्ष से कम आयु के बालकों के सम्मान में पर्व मना रहे हैं। पूर्व से आये तीन राजाओं से राजा हेरोद महान ने कहा था कि वे बालक येसु से मिलने के बाद वापस आकर उन्हें खबर दें, लेकिन यह जान कर कि राजा हेरोद बालक येसु को नुकसान पहुंचा सकते थे, वे अलग रास्ते से चले गए। गुस्से में, राजा ने आसपास के क्षेत्र में उन सभी बच्चों को मारने का आदेश दिया, जो दो वर्ष से कम उम्र के थे। इन मारे गए बच्चों को पारंपरिक रूप से ख्रीस्तीय धर्म के प्रथम शहीदों के रूप में सम्मानित किया जाता है। अपने स्वार्थ में राजा हेरोद ने कई निर्दोष बच्चों को मार डाला। आज गर्भपात के माध्यम से, कई माता-पिता स्वयं अपने स्वार्थ में अपने बच्चों को ही मार डालते हैं। हमारे समाज में कई ऐसे लोग हैं जो इस अपराध में सहायता करने को तैयार हैं। गर्भ में पल रहे ये बच्चे असहाय और रक्षाहीन होते हैं; वे उन्हीं के द्वारा अपराध के शिकार बनते हैं जिन्हें ईश्वर ने उनकी रक्षा और पोषण करने की जिम्मेदारी सौंपी है। यह सामान्य हत्या से ज़्यादा गंभीर है क्योंकि यह ऐसे व्यक्तियों द्वारा किया जाता है, जिन्हें उन बच्चों के रक्षक बनने के लिए ईश्वर द्वारा बुलाया गया है। बच्चों के खिलाफ अपराध और उनके शोषण हमारे समाज में व्याप्त हैं। आज हमें दुनिया के विभिन्न प्रकार के सभी निर्दोष पीड़ितों को याद करना चाहिए। आइए हम न केवल उनके लिए प्रार्थना करें, बल्कि उन्हें खतरों से बचाने के लिए हमारी ओर से प्रयास भी करें।


REFLECTION



Today we celebrate the Feast of the Holy Innocents in honour of the male children of the age of two and under, killed by King Herod the Great, in an attempt to kill the infant Jesus. The three kings were supposed to report back to Herod about the whereabouts of Jesus, but they went away through a different route, knowing the harm the king could do to child Jesus. In anger, Herod ordered the killing of all children in the surrounding area who are at the age of two and under. These slain children are traditionally honoured as the first martyrs of Christianity. Herod in his selfishness got many innocent children killed. Today through abortion, many parents themselves in their selfishness kill their children. There are also many in our society who are willing to assist at this crime. These children in the womb are helpless and defenceless victims of a crime committed by those who are supposed to protect and nurture them. This is much worse than ordinary murder because it is performed by the very persons who are intended to be protectors of these defenceless infants. The crimes against children and their exploitation are rampant in our society. Today let us remember all innocent victims of various types in the world. Let us not only pray for them, but also resolve to do our bit in saving them from dangers.


 -Br. Biniush Topno


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Praise the Lord!

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