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जून 09, 2024, इतवार वर्ष का दसवाँ सामान्य इतवार

 

जून 09, 2024, इतवार

वर्ष का दसवाँ सामान्य इतवार

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📒 पहला पाठ : उत्पत्ति 3:9-15

9) प्रभु-ईश्वर ने आदम से पुकार कर कहा, ''तुम कहाँ हो?''

10) उसने उत्तर दिया, ''मैं बगीचे में तेरी आवाज सुन कर डर गया, क्योंकि में नंगा हूँ और मैं छिप गया''।

11) प्रभु ने कहा, ''किसने तुम्हें बताया कि तुम नंगे हो? क्या तुमने उस वृक्ष का फल खाया, जिस को खाने से मैंने तुम्हें मना किया था?''

12) मनुष्य ने उत्तर दिया, ''मेरे साथ रहने कि लिए जिस स्त्री को तूने दिया, उसी ने मुझे फल दिया और मैंने खा लिया''।

13) प्रभु-ईश्वर ने स्त्री से कहा, ''तुमने क्या किया है?'' और उसने उत्तर दिया, ''साँप ने मुझे बहका दिया और मैंने खा लिया''।

14) तब ईश्वर ने साँप से कहा, ''चूँकि तूने यह किया है, तू सब घरेलू तथा जंगली जानवरों में शापित होगा। तू पेट के बल चलेगा और जीवन भर मिट्टी खायेगा।

15) मैं तेरे और स्त्री के बीच, तेरे वंश और उसके वंश में शत्रुता उत्पन्न करूँगा। वह तेरा सिर कुचल देगा और तू उसकी एड़ी काटेगा''।

📒 दूसरा पाठ : 2 कुरिन्थियों 4:13-5:1

13) धर्मग्रन्थ कहता है- मैंने विश्वास किया और इसलिए मैं बोला। हम विश्वास के उसी मनोभाव से प्रेरित हैं। हम विश्वास करते हैं और इसलिए हम बोलते हैं।

14) हम जानते हैं कि जिसने प्रभु ईसा को पुनर्जीवित किया, वही ईसा के साथ हम को भी पुनर्जीवित कर देगा और आप लागों के साथ हम को भी अपने पास रख लेगा।

15) सब कुछ आप लोगों के लिए हो रहा है, ताकि जिस प्रकार बहुतों में कृपा बढ़ती जाती है, उसी प्रकार ईश्वर की महिमा के लिए धन्यवाद की प्रार्थना करने वालों की संख्या बढ़ती जाये।

16) यही कारण है कि हम हिम्मत नहीं हारते। हमारे शरीर की शक्ति भले ही क्षीण होती जा रही हो, किन्तु हमारे आभ्यान्तर में दिन-प्रतिदिन नये जीवन का संचार होता रहता है;

17) क्योंकि हमारी क्षण भर की हलकी-सी मुसीबत हमें हमेशा के लिए अपार महिमा दिलाती है।

18) इसलिए हमारी आँखें दृश्य पर नहीं, बल्कि अदृश्य चीजों पर टिकी हुई हैं, क्योंकि हम जो चीजें देखते हैं, वे अल्पकालिक हैं। अनदेखी चीजें अनन्त काल तक बनी रहती है।

5:1) हम जानते हैं कि जब यह तम्बू, पृथ्वी पर हमारा यह घर, गिरा दिया जायेगा, तो हमें ईश्वर द्वारा निर्मित एक निवास मिलेगा। वह एक ऐसा घर है, जो हाथ का बना नहीं है और अनन्त काल तक स्वर्ग में बना रहेगा।

📒 सुसमाचार : सन्त मारकुस का सुसमाचार 3:20-35

20) वे घर लौटे और फिर इतनी भीड़ एकत्र हो गयी कि उन लोगों को भोजन करने की भी फुरसत नहीं रही।

21) जब ईसा के सम्बन्धियों ने यह सुना, तो वे उन को बलपूर्वक ले जाने निकले; क्योंकि कहा जाता था कि उन्हें अपनी सुध-बुध नहीं रह गयी है।

22) येरुसालेम से आये हुए शास्त्री कहते थे, ’’उसे बेलजे़बुल सिद्ध है’’ और ’’वह नरकदूतों के नायक की सहायता से नरकदूतों को निकालता है’’।

23) ईसा ने उन्हें अपने पास बुला कर यह दृष्टान्त सुनाया, ’’शैतान शैतान को कैसे निकाल सकता है?

24) यदि किसी राज्य में फूट पड़ गयी हो, तो वह राज्य टिक नहीं सकता।

25) यदि किसी घर में फूट पड़ गयी हो, तो वह घर टिक नहीं सकता।

26) और यदि शैतान अपने ही विरुद्ध विद्रोह करे और उसके यहाँ फूट पड़ गयी हो, तो वह टिक नहीं सकता, और उसका सर्वनाश हो गया है।

27) ’’कोई किसी बलवान् के घर में घुस कर उसका सामान तब तक नहीं लूट सकता, जब तक कि वह उस बलवान् को न बाँध ले। इसके बाद ही वह उसका घर लूट सकता है।

28) ’’मैं तुम लोगों से यह कहता हूँ- मनुष्य चाहे जो भी पाप या ईश-निन्दा करें, उन्हें सब की क्षमा मिल जायेगी;

29) परन्तु पवित्र आत्मा की निन्दा करने वाले को कभी भी क्षमा नहीं मिलेगी। वह अनन्त पाप का भागी है।’’

30) उन्होंने यह इसीलिए कहा कि कुछ लोग कहते थे, ’’उसे अपदूत सिद्ध है’’।

31) उस समय ईसा की माता और भाई आये। उन्होंने घर के बाहर से उन्हें बुला भेजा।

32) लोग ईसा के चारों ओर बैठे हुए थे। उन्होंने उन से कहा, ’’देखिए, आपकी माता और आपके भाई-बहनें, बाहर हैं। वे आप को खोज रहे हैं।’’

33) ईसा ने उत्तर दिया, ’कौन है मेरी माता, कौन हैं मेरे भाई?’’

34) उन्होंने अपने चारों ओर बैठे हुए लोगों पर दृष्टि दौड़ायी और कहा, ’’ये हैं मेरी माता और मेरे भाई।

35) जो ईश्वर की इच्छा पूरी करता है, वही है मेरा भाई, मेरी बहन और मेरी माता।’’