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शनिवार, 09 अक्टूबर, 2021

शनिवार, 09 अक्टूबर, 2021

वर्ष का सताईसवाँ सामान्य सप्ताह



पहला पाठ : योएल का ग्रन्थ 4:12-21;.


12) प्रभु-ईश्वर! अपने योद्धओं को भेज। सब राष्ट्रों! जागो, यहोशाफाट की घाटी की राह पर चलो। मैं वहाँ न्याय सिंहासन पर बैठूँगा और चारों ओर के राष्ट्रों का न्याय करूँगा।

13) हँसिया चलाओ, क्योंकि फसल पक चुकी है। आओ और अंगूर रौंदो, क्योंकि कोल्हू परिपूर्ण है। कुण्ड लबालब भरे हुए हैं, क्योंकि राष्ट्रों की दुष्टता अपार है।

14) विचार की घाटी में लोगों की भारी भीड लग रही है, क्योंकि विचार की घाटी में प्रभु का दिन निकट आ गया है।

15) सूर्य और चन्द्रमा अंधकारमय होते जा रहे हैं और नक्षत्रों की ज्योति बुझ रही है।

16) प्रभु-सियोन से गरज रहा है, येरुसालेम से उसकी आवाज ऊँची उठ रही है; स्वर्ग और पृथ्वी कांप रहे हैं। किन्तु प्रभु अपनी प्रजा क ेलिए आश्रय सिद्ध होगा, इस्राएलियों के लिए सुदृढ़ गढ होगा।

17) ’’उस दिन तुम जान जाओगे कि मैं तुम्हारा प्रभु-ईश्वर हूँ, जो अपने पवत्रि पर्वत सियोन पर निवास करता है। येरुसालेम पवत्रि होगा और विदेशी उसे फिर पान नहीं करेंगे।’’

18) उस दिन पर्वतों से अंगूरी टपकेगी, पहाडियों से मधु की धाराएँ फूट निकलेंगी और यहूदियों की सब नदियों में भरूपूर पानी होगा, क्योंकि प्रभु के मंदिर में से एक जलस्रोत बह निकलेगा, जो बाबुल की घाटी को सींचेगा।

19) मिस्र ऊसर हो जायेगा और एदोम मरुभूमि, क्योंकि उन्होंने यूदा के पुत्रों के साथ अत्याचार किया और अपने देश में उनका निर्दोष रक्त बहाया।

20) किन्तु यहूदिया सदैव बसी रहेगी और येरुसालेम युग-युग आबाद रहेगा।

21) ’’मैं उनके रक्त को बदला लूँगा, वह अदण्डित नहीं रहेगा’; क्योंकि प्रभु सियोन में निवास करता रहेगा।



सुसमाचार : सन्त लूकस 11:27-28



27) ईसा ये बातें कह ही रहे थे कि भीड़ में से कोई स्त्री उन्हें सम्बोधित करते हुए ऊँचे स्वर में बोल उठी, ’’धन्य है वह गर्भ, जिसने आप को धारण किया और धन्य हैं वे स्तन, जिनका आपने पान किया है!

28) परन्तु ईसा ने कहा, ’’ठीक है; किन्तु वे कहीं अधिक धन्य हैं, जो ईश्वर का वचन सुनते और उसका पालन करते हैं’’।



📚 मनन-चिंतन



हमारे जीवन का लक्ष्य, जिस लिये हमें बनाया गया है, वह है, ईश्वर के साथ एकता है। ईश्वर के साथ हम अपने जीवन का अर्थ और उद्देश्य पाते हैं। हमारे भटकने का कारण यह है कि हम ईश्वर से दूर कहीं ओर उत्तर की तलाश करते हैं। जब हम ईश्वर के साथ एक होते हैं, तो हमें अपने अस्तित्व के वास्तविक उद्देश्य का एहसास होता है।

ईश्वर के साथ एक होने के सबसे शक्तिशाली तरीकों में से एक है उसकी बात सुनना। हम बाईबल के माध्यम से ईश्वर को सुनते हैं जो ईश्वर का वचन है। जब हम वचन का पालन करने में प्रगति करते हैं तो हम ईश्वर के साथ और अधिक घनिष्ठ हो जाते हैं। जो लोग येसु मसीह का अनुसरण करते हैं और जो ईश्वर की इच्छा की खोज करते हैं वे एक नए परिवार में प्रवेश करते हैं, एक परिवार जो ईश्वर के साथ रिश्ते होने के नाते यहां पृथ्वी और स्वर्ग में है। येसु रिश्तों के क्रम को बदलते हैं और दिखाते हैं कि सच्चा रिश्ता सिर्फ खून का मामला नहीं है। ईश्वर के पुत्र और पुत्रियों के रूप में हमारा बनना हमारे सभी संबंधों को बदल देता है और ईश्वर और उसके राज्य के प्रति निष्ठा की एक नई व्यवस्था की मांग करता है।

जब एक श्रोता ने येसु की माता की स्तुति के द्वारा येसु की प्रशंसा करना चाहा, तो येसु ने उस आशीष की सच्चाई को नकारा नहीं जो मरियम ने अपनी धन्यता में कहा था 'सभी पीढ़ियाँ मुझे धन्य कहेंगी' (लूकस 1:48)। येसु ने अपने शब्दों को जोड़ते हुये, सभी सच्ची आशीषों या सुखों के स्रोत की ओर इशारा करते हुए - परमेश्वर के साथ वचन की एकता पर जोर दिया। मरियम ने विनम्रतापूर्वक अपने इकलौते पुत्र के देहधारण के लिए, यह घोषणा करते हुए, ईश्वर की चमत्कारी योजना के प्रति समर्पण किया, : मैं प्रभु की दासी हूँ; तेरा वचन मुझ में पूरा हो (लूकस १:३८)। मरियम ने स्वर्गदूत द्वारा उनसे कहे गए वचन को सुना और उन्होंने उस पर विश्वास किया। जो लोग परमेश्वर का वचन सुनते हैं वे वास्तव में धन्य हैं क्योंकि वे अपने ईश्वर को व्यक्तिगत रूप से जानते हैं और वे उसके वचन को सुनने और उसका पालन करने में आनंद पाते हैं।



📚 REFLECTION



The goal of our life, for the very reason we were created is for the union with God. it with God we find the earthly meaning and purpose of our life. the reason for our wandering is that we look for answers away from God. when we are one with God, we realize the true purpose of our being.

One of the most powerful ways to be united with God is to listen to him. we listen to God through the Bible which is the word of God. We become more closely united with God when we make progress in obeying the word. Those who follow Jesus Christ and who seek the will of God enter into a new family, a family of being relatives of God here on earth and in heaven. Jesus changes the order of relationships and shows that true kinship is not just a matter of flesh and blood. Our becoming as sons and daughters of God transforms all our relationships and demands a new order of loyalty to God and his kingdom.

When a listen wished to compliment Jesus by praising his mother, Jesus did not deny the truth of the blessing she pronounced in her Magnificat ‘All generations will call me blessed’ (Luke 1:48). Jesus adds to her words by pointing to the source of all true blessedness or happiness -- union with God. Mary humbly submitted herself to the miraculous plan of God for the incarnation of his only begotten Son, by declaring: I am the handmaid of the Lord; let it be done to me according to your word (Luke 1:38). Mary heard the word spoken to her by the angel and she believed it. people who hear the word of God are truly blessed because they know their God personally and they find joy in hearing and obeying his word.



मनन-चिंतन - 2



भीड़ में से एक महिला प्रभु येसु के कर्मों तथा उनकी शिक्षा की सराहना से भरी उनकी शारीरिक माता की प्रशंसा करने लगती है। शायद उसने आशा की होगी – अगर मेरा येसु जैसा एक बेटा होता! एक माँ की उसकी अवधारणा या संकल्पना शायद केवल शारीरिक और सांसारिक थी - वह जो अपने गर्भ में बच्चों को धारण करती है और उनका पालन-पोषण करती है। येसु चाहते हैं कि वह यह समझे कि उस व्यक्ति की गरिमा "जो परमेश्वर के वचन को सुनता है और रखता है" येसु की शारीरिक माँ बनने से कहीं अधिक है। लूकस 8:21 में वे कहते हैं, “मेरी माता और मेरे भाई वहीं हैं, जो ईश्वर का वचन सुनते और उसका पालन करते हैं"। प्रभु येसु यह नहीं चाहते हैं कोई भी माँ मरियम को उनके केवल शारीरिक माता के रूप में देखे। उच्च स्तर पर माता मरियम महिलाओं में धन्य हैं क्योंकि वे ईश्वर के वचनों को सुन कर उन्हें अपने हृदय में संचित रखती हैं। वे ईश्वर के वचनों को अपने दिल में रखती हैं और उन वचनों को हर दिन अपने कदमों का मार्गदर्शन करने देती है। इसीलिए, केवल उनकी होंठ या जीभ ही नहीं, बल्कि उसकी आत्मा प्रभु का गुणगान करती है (देखें लूकस 1:46)।



SHORT REFLECTION


A lady from the crowd full of appreciation for the deeds and words of Jesus began to praise his physical mother. She probably would have desired to have a son like Jesus. Her concept of a mother probably was purely physical and earthly – she who bears children in her womb and nurses them. Jesus wants her to understand that the dignity of a person “who hears the word of God and keeps it” is greater than that of simply being a physical mother to Jesus. In Lk 8:21 Jesus says, “My mother and My brothers are these who hear the word of God and do it”. Jesus does not want anyone to look at Mary as mere physical mother of Jesus. At a higher level, she is Blessed among women, because she hears the Word of God and keeps it. She keeps the Word in her heart and allows that Word to guide her steps every day. That is why, not just lips or tongue, but her soul magnifies the Lord (cf. Lk 1:46).



 -Br Biniush Topno


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Praise the Lord!