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मंगलवार, 21 सितम्बर, 2021

 

मंगलवार, 21 सितम्बर, 2021

वर्ष का पच्चीसवाँ सामान्य सप्ताह

प्रेरित,सुसमाचार-लेखक सन्त मत्ती का पर्व

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पहला पाठ : एफ़ेसियों 4:1-7, 11-13


1) ईश्वर ने आप लोगों को बुलाया है। आप अपने इस बुलावे के अनुसार आचरण करें - यह आप लोगों से मेरा अनुरोध है, जो प्रभु के कारण कै़दी हूँ।

2) आप पूर्ण रूप से विनम्र, सौम्य तथा सहनशील बनें, प्रेम से एक दूसरे को सहन करें

3) और शान्ति के सूत्र में बँध कर उस एकता को बनाये रखने का प्रयत्न करते रहें, जिसे पवित्र आत्मा प्रदान करता है।

4) एक ही शरीर है, एक ही आत्मा और एक ही आशा, जिसके लिए आप लोग बुलाये गये हैं।

5) एक ही प्रभु है, एक ही विश्वास और एक ही बपतिस्मा।

6) एक ही ईश्वर है, जो सबों का पिता, सब के ऊपर, सब के साथ और सब में व्याप्त है।

7) मसीह ने जिस मात्रा में देना चाहा, उसी मात्रा में हम में प्रत्येक को कृपा प्राप्त हुई है।

11) उन्होंने कुछ लोगों को प्रेरित, कुछ को नबी, कुछ को सुसमाचार-प्रचारक और कुछ को चरवाहे तथा आचार्य होने का वरदान दिया।

12) इस प्रकार उन्होंने सेवा-कार्य के लिए सन्तों को नियुक्त किया, जिससे मसीह के शरीर का निर्माण तब तक होता रहे,

13) जब तक हम विश्वास तथा ईश्वर के पुत्र के ज्ञान में एक नहीं हो जायें और मसीह की परिपूर्णता के अनुसार पूर्ण मनुष्यत्व प्राप्त न कर लें।


सुसमाचार : सन्त मत्ती 9:9-13


9) ईसा वहाँ से आगे बढ़े। उन्होंने मत्ती नामक व्यक्ति को चुंगी-घर में बैठा हुआ देखा और उस से कहा, ’’मेरे पीछे चले आओ’’, और वह उठकर उनके पीछे हो लिया।

10) एक दिन ईसा अपने शिष्यों के साथ मत्ती के घर भोजन पर बैठे और बहुत-से नाकेदार और पापी आ कर उनके साथ भोजन करने लगे।

11) यह देखकर फरीसियों ने उनके शिष्यों से कहा, ’’तुम्हारे गुरु नाकेदारों और पापियों के साथ क्यों भोजन करते हैं?’’

12) ईसा ने यह सुन कर उन से कहा, ’’नीरोगों को नहीं, रोगियों को वैद्य की ज़रूरत होती है।

13) जा कर सीख लो कि इसका क्या अर्थ है- मैं बलिदान नहीं, बल्कि दया चाहता हूँ। मैं धर्मियों को नहीं, पापियों को बुलाने आया हूँ।’’


मनन-चिंतन


संत मत्ती जो कि बारह शिष्यांे में से एक है जिन्होंने प्रभु येसु के साथ समय बिताया एवं आगे चलकर चारों सुसमाचारों में से एक के लेखन भी किया; आज हम उस प्रेरित संत मत्ती का पर्व सम्पूर्ण कलीसिया के साथ मिलकर मना रहे है।

प्रेरित संत मत्ती की बुलाहट अन्य शिष्यों के भांति ही हुआ जहॉं प्रभु येसु ने मत्ती को उनके काम धंधा अपने कार्य से बुलाया। ये एक बुलाहट था पुरानी जिंदगी से नई जिंदगी में प्रवेश करने के लिए। इस नये जीवन में प्रवेश करने के लिए येसु पुराने जीवन या पुराना कार्य को महत्ता नहीं देते परंतु नये जीवन की ओर महत्ता देते हुए बुलाते है। मत्ती का पुराना कार्य कर इकट्ठा करना था जिन्हें यहुदी लोग उस समय पापमय के समान देखते थे। प्रभु येसु मत्ती को उस पापमय जीवन से निकाल कर अपना शिष्य और प्रेरित बनाते हैं। और आज ऐसे बहुत से लोग है जो संत मत्ती के सुसमाचार से प्रेरित होकर नये जीवन को अपनाते है। संत मत्ती का पर्व हम सब के लिए नवीन बुलाहट लेकर आये। आमेन



📚 REFLECTION



Together with the entire Catholic Church today we are celebrating the feast of the Apostle St. Matthew, the one disciple among the twelve, who spend time with Jesus and later one became the writer of one of the four gospels.

The Call of Aposlte St. Matthew was like that of others disciples also where Lord Jesus called him from his work. This was the call to enter into a new life from old life. To enter into the new life Lord Jesus do not give importance to the old life or old work but calls the person giving importance to the new life. The old work of Matthew was to collect the tax which was like sin in the eyes of Jews at that time. Lord Jesus takes Mattew from that sinful situation to become his disciple and Apostle and today there many people who accept new life inspiring by the gospel of St. Matthew. May the Feast of St. Matthew bring renewed call to us. Amen


 -Br. Biniush Topno


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Praise the Lord!