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मंगलवार, 20 जुलाई, 2021 वर्ष का सोलहवाँ सामान्य सप्ताह

 

मंगलवार, 20 जुलाई, 2021

वर्ष का सोलहवाँ सामान्य सप्ताह



पहला पाठ : निर्गमन 14:21-15:1


21) तब मूसा ने सागर के ऊपर हाथ बढ़ाया और प्रभु ने रात भर पूर्व की ओर जोरों की हवा भेज कर सागर को पीछे हटा दिया। सागर दो भागों में बँट कर बीच में सूख गया।

22) इस्राएली सागर के बीच में सूखी भूमि पर आगे बढ़ने लगे। पानी उनके दायें और बायें दीवार बन कर ठहर गया। मिस्री उसका पीछा करते थे।

23) फिराउन के सब घोड़े, उसके रथ और उसके घुड़सवार, सागर की तह पर उनके पीछे चलते थे।

24) रात के पिछले पहर, प्रभु ने आग और बादल के खम्भे में से मिस्रियों की सेना की ओर देखा और उसे तितर-बितर कर दिया।

25) रथों के पहिये निकल कर अलग हो जाते थे और वे कठिनाई से आगे बढ़ पाते थे। तब मिस्री कहने लगे, ''प्रभु उनकी ओर से मिस्रियों के विरुद्ध लड़ता है।''

26) उस समय प्रभु ने मूसा से कहा, ''सागर के ऊपर अपना हाथ बढ़ाओं, जिससे पानी लौट कर मिस्रियों, उनके रथों और उनके घुड़सवारों पर लहराये।''

27) मूसा ने सागर के ऊपर हाथ बढ़ा दिया और भोर होते ही सागर फिर भर गया। मिस्री भागते हुए पानी में जा घुसे और प्रभु ने उन्हें सागर के बीच में ढकेल दिया।

28) समुद्र की तह पर इस्राएलियों का पीछा करने वाली फिराउन की सारी सेना के रथ और घुड़सवार लौटने वाले पानी में डूब गये। उन में एक भी नहीं बचा।

29) इस्राएली तो समुद्र की सूखी तह पार कर गये। पानी उनके दायें और बायें दीवार बन कर ठहर गया था।

30) उस दिन प्रभु ने इस्राएलियों को मिस्रियों के हाथ से छुड़ा दिया। इस्राएलियों ने समुद्र के किनारे पर पड़े हुए मरे मिस्रियों को देखा।

31) इस्राएली मिस्रियों के विरुद्ध किया हुआ प्रभु का यह महान् कार्य देख कर प्रभु से डरने लगे। उन्होंने प्रभु में और उसके सेवक मूसा में विश्वास किया।



सुसमाचार : मत्ती 12:46-50



46) ईसा लोगों को उपदेश दे रहे थे कि उनकी माता और भाई आये। वे घर के बाहर थे और उन से मिलना चाहते थे।

47) किसी ने ईसा से कहा, "देखिए, आपकी माता और आपके भाई बाहर हैं। वे आप से मिलना चाहते हैं।"

48) ईसा ने उस से कहा, "कौन है मेरी माता? कौन है मेरे भाई?

49) और हाथ से अपने शिष्यों की ओर संकेत करते हुए उन्होंने कहा, "देखो, ये हैं मेरी माता और मेरे भाई!

50) क्योंकि जो मेरे स्वर्गिक पिता की इच्छा पूरी करता है, वही मेरा भाई है, मेरी बहन और मरी माता।"


📚 मनन-चिंतन


प्रभु येसु पिता ईश्वर के परम प्रिय पुत्र हैं और उन्होंने क्रूस पर अपनी पुण्य मृत्यु द्वारा हम सबका पिता ईश्वर से मेल-मिलाप कर हमें भी ईश्वर की सन्तानें बनने का सौभाग्य प्रदान किया है (1योहन3:1). आज के सुसमाचार में हम प्रभु येसु के सच्चे सगे सम्बन्धियों के बारे में मनन-चिन्तन करते हैं. जब वे बड़े-बड़े और महान चमत्कार कर रहे थे, तो कुछ लोगों ने आरोप लगाया कि वे पागल हो गये हैं, शायद इसीलिए उनके परिवार के लोग जिनमें उनकी माता और और उनके भाई थे, उनसे मिलने आते हैं. किसी के उनके आने की सूचना देने पर प्रभु येसु पूछते हैं, कौन है मेरी माता, कौन हैं मेरे भाई-बहन? हम जानते हैं कि यह प्रश्न कोई साधारण प्रश्न नहीं था. जब हम किसी के महत्त्व के नकार देते हैं, तब हम ऐसा प्रश्न करते हैं. प्रभु येसु के इस तरह के व्यवहार से ज़रूर उनके परिवार वालों को बुरा लगा होगा.

इस तरह से प्रश्न करके प्रभु येसु सांसारिक सम्बन्धों व अध्यात्मिक सम्बन्धों के अन्तर को समझाते हैं. हम इस संसार में तरह-तरह के पारिवारिक सम्बन्धों से बंधे रहते हैं. और कई बार इन सम्बन्धों को बनाये रखने के लिए इतने मगन हो जाते हैं कि अपने ईश्वर से अनन्तकाल के सम्बन्ध को ही भुला देते हैं. इस संसार के सम्बन्ध हमारे जन्म के साथ शुरू होते हैं और हमारी मृत्यु के साथ ख़तम हो जाते हैं, लेकिन ईश्वर के साथ हमारा सम्बन्ध माता के गर्भ में रचने से पहले से है (येरेमियाह 1:5) और इस दुनिया में रहता है, और हमारी मृत्यु के बाद भी रहता है. यह अनन्तकाल तक बने रहने वाला सम्बन्ध है (इब्रानियों 13:5, मत्ती 28:20). इसलिए हमें ईश्वर के साथ मजबूत सम्बन्ध बनाने पर अधिक ध्यान देना चाहिए. खून के रिश्ते से बढ़कर आत्मा का रिश्ता है. आमेन.



📚 REFLECTION



Jesus is the loving son of the Heavenly Father who has reconciled us to God through his death on the cross and made us the sons and daughters of the Heavenly Father (cf 1John 3:1). Today we reflect about who are the true kiths and kins of Jesus. When Jesus was performing great miracles and challenging the Pharisees and scribes, some people said that he has lost his mind, perhaps that’s why his family members including his mother and brothers came to meet him. Someone told him about their arrival and Jesus asks who is my mother and my brothers? We know this was not a simple question as it may appear. When we don’t acknowledge someone’s authority or existence, we ask such question. This apparently rude behaviour of Jesus must have certainly hurt his mother and his brothers.

By putting forward this question, Jesus makes clear the difference between the relationships of this world and spiritual relationship. We are bound by many threads of the family relationships in this world. Many times in order to maintain and safeguard these temporary relations, we forget about our permanent relationship with our Heavenly Father. The relations of this world begin when we are born, and they come to an end with our death, but our relationship with God begins even before we are formed in mother’s womb (Jer 1:5) and continues when we live in this world and continues to exist even our death. This is everlasting relationship, God remains with us always (Heb 13:5, Matt 28:20). Therefore we need to focus on strengthening our this permanent relationship with our Creator. Spiritual relationship is above worldly relationships. Amen.


 -Fr. Johnson B. 



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Praise the Lord!