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Duliajan, Assam, India
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22 July 2020

22 जुलाई 2020
वर्ष का सोलहवाँ सामान्य सप्ताह, बुधवार

अथवा - मरियम मगदलेना– त्योहार

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पहला पाठ : सुलेमान का सर्वश्रेष्ठ गीत 3:1-4

1) मैं सारी रात अपने पलंग पर अपने प्राणप्रिय को ढूँढ़ती हूँ। मैं उसे ढूँढ़ती हूँ, किन्तु नहीं पाती।

2) मैं उठ कर गलियों तथा चैकों से होते नगर का चक्कर लगाती हूँ। मैं अपने प्राणप्रिय को ढूँढ़ती हूँ मैं उसे ढूँढ़ती हूँ, किन्तु नहीं पाती।

3) नगर का फेरा लगाते हुए पहरेदार मुझे मिलते हैं: ‘‘क्या आप लोगों ने मेरे प्राणप्रिय को देखा?‘‘

4) मैं उनसे आगे बढ़ती ही हूँ कि मैं अपने प्राणप्रिय को पा लेती हूँ।

सुसमाचार : योहन 20:1-2,11-18

1) मरियम मगदलेना सप्ताह के प्रथम दिन, तडके मुँह अँधेरे ही कब्र के पास पहुँची। उसने देखा कि कब्र पर से पत्थर हटा दिया गया है।

2) उसने सिमोन पेत्रुस तथा उस दूसरे शिष्य के पास, जिसे ईसा प्यार करते थे, दौडती हुई आकर कहा, ’’वे प्रभु को कब्र में से उठा ले गये हैं और हमें पता नहीं कि उन्होंने उन को कहाँ रखा है।’’

11) मरियम कब्र के पास, बाहर रोती रही। उसने रोते रोते झुककर कब्र के भीतर दृष्टि डाली

12) और जहाँ ईसा का शव रखा हुआ था वहाँ उजले वस्त्र पहने दो स्वर्गदूतों को बैठा हुआ देखा- एक को सिरहाने और दूसरे को पैताने।

13) दूतों ने उस से कहा, ’’भद्रे! आप क्यों रोती हैं?’’ उसने उत्तर दिया, ’’वे मेरे प्रभु को उठा ले गये हैं और मैं नहीं जानती थी कि उन्होंने उन को कहाँ रखा है’’।

14) वह यह कहकर मुड़ी और उसने ईसा को वहाँ खडा देखा, किन्तु उन्हें पहचान नहीं सकी।

15) ईसा ने उस से कहा, ’’भद्रे! आप क्यों रोती हैं। किसे ढूँढ़ती हैं? मरियम ने उन्हें माली समझकर कहा, ’’महोदय! यदि आप उन्हें उठा ले गये, तो मुझे बता दीजिये कि आपने उन्हें कहाँ रखा है और मैं उन्हें ले जाऊँगी’’।

16) इस पर ईसा ने उस से कहा, ’’मरियम!’’ उसने मुड कर इब्रानी में उन से कहा, ’’रब्बोनी’’ अर्थात गुरुवर।

17) ईसा ने उस से कहा, ’’चरणों से लिपटकर मुझे मत रोको। मैं अब तक पिता के पास ऊपर नहीं गया हूँ। मेरे भाइयेां के पास जाकर उन से यह कहो कि मैं अपने पिता और तुम्हारे पिता, अपने ईश्वर और तुम्हारे ईश्वर के पास ऊपर जा रहा हूँ।’’

18) मरियम मगदलेना ने जाकर शिष्यों से कहा कि मैंने प्रभु को देखा है और उन्होंने मुझे यह सन्देश दिया।

📚 मनन-चिंतन - 1

काथलिक कलीसिया आज संत मरियम मगदलेना को याद करती है । संत मारकुस लिखते हैं, "ईसा सप्ताह के प्रथम दिन प्रातः जी उठे। वे पहले मरियम मगदलेना को, जिस से उन्होंने सात अपदूतों को निकाला था, दिखाई दिये।" (मारकुस 16:9) पुनर्जीवित प्रभु सबसे पहले माता मरियम या प्यारे शिष्य को नहीं, बल्कि मरियम मगदलेना को दर्शन देते हैं। वह भी सप्ताह के प्रथम दिन और बडे सबेरे। मुझे लगता है कि इसका कारण यह है कि वे ईश्वर की खोज में लगी रहती थी। इस विष्य में प्रभु ने वादा किया है – “यदि तुम मुझे सम्पूर्ण हृदय से ढूँढ़ोगे, तो मैं तुम्हे मिल जाऊँगा“- यह प्रभु की वाणी है- “और मैं तुम्हारा भाग्य पलट दूँगा। मैं तुम्हें उन सब राष्ट्रों और उन सब स्थानों से, जहाँ मैंने तुम्हें निर्वासित कर दिया है, यहाँ फिर एकत्रित करूँगा।“ यह प्रभु की वाणी है। “मैं तुम्हें फिर उसी जगह ले आऊँगा, जहाँ से मैंने तुम्हें निर्वासित कर दिया था।'' (यिरमियाह 29:13-14 ) प्रभु येसु ने भी आश्वासन दिया था - "ढ़ूँढ़ो, और तुम्हें मिल जायेगा" (मत्ती 7:7)। स्तोत्र 53:2 में पवित्र वचन कहता है, "ईश्वर यह जानने के लिए स्वर्ग से मनुष्यों पर दृष्टि दौड़ाता है कि उन में कोई बुद्धिमान हो, जो ईश्वर की खोज में लगा रहता हो"। संत मारकुस के अनुसार, मरियम मगदलेना पहले अपदूतों से पीडित थी। बुरा अतीत आपको ईश्वर की तलाश करने तथा उनके पास वापस लौटने से नहीं रोकता है। विधि-विवरण 4:29-31 में हम पढ़ते हैं, “यदि तुम वहाँ प्रभु, अपने ईश्वर से फिर मिलना चाहोगे तो वह तुम्हें तभी मिलेगा, जब तुम उसे सारे मन और सारी आत्मा से ढूँढ़ोगे। जब तुम कष्ट से पीड़ित होगे और जब भविष्य में ये सब विपत्तियाँ तुम को अक्रान्त करेगी, तब तुम फिर प्रभु, अपने ईश्वर की ओर अभिमुख हो जाओगे और उसकी आज्ञा का पालन करने लगोगे। इसका कारण यह है कि प्रभु, तुम्हारा ईश्वर एक करूणामय ईश्वर है। वह न तो तुम को त्यागेगा, न तुम्हारा विनाश करेगा और न वह विधान भूलेगा, जिसे उसने शपथ खा कर तुम्हारे पूर्वजों के लिए निर्धारित किया है।“ आइए हम मरियम मगदलेना की तरह प्रभु येसु की खोज करना सीखें।

 -ब्रो बीनियोस टोपनो


📚 REFLECTION

The Catholic Church venerates St. Mary Magdalene today. St. Mark records, “Now after he rose early on the first day of the week, he appeared first to Mary Magdalene, from whom he had cast out seven demons” (Mk 16:9). It was not to Mother Mary or to the Beloved Disciple that the Risen Lord appeared first. It was to Mary Magdalene, that too on the first day of the week and early in the morning. I suppose this preference for Mary Magdalene was due to the fact that she was an ardent seeker of God. There is a very clear promise of the Lord – “When you search for me, you will find me; if you seek me with all your heart, I will let you find me, says the Lord” (Jer 29:13-14). Jesus too had assured – “Seek, and you will find” (Mt 7:7). In Ps 53:2 the Word tells us, “God looks down from heaven on humankind to see if there are any who are wise, who seek after God”. According to St. Mark, Mary Magdalene was possessed by demons earlier. Bad past does not prevent you from seeking and coming back to God. In Deut 4:29-31 we read, “From there you will seek the Lord your God, and you will find him if you search after him with all your heart and soul. In your distress, when all these things have happened to you in time to come, you will return to the Lord your God and heed him. Because the Lord your God is a merciful God, he will neither abandon you nor destroy you; he will not forget the covenant with your ancestors that he swore to them.” Let us learn to seek Jesus like Mary Magdalene.

 - Br. Biniush Topno



Feast of St. Mary Magdalene

🙏

19 July 2020

19 जुलाई 2020
वर्ष का सोलहवाँ सामान्य सप्ताह, रविवार

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पहला पाठ : प्रज्ञा-ग्रन्थ 12:13,16-19

13) तुझे छोड़ कर और कोई ईश्वर नहीं। तू ही समस्त सृष्टि की रक्षा करता है। यह आवश्यक नहीं कि तू किसी को इसका प्रमाण दे कि तेरे निर्णय सही है।

16) तेरा न्याय तेरे सामर्थ्य पर आधारित है। तू सब का स्वामी है और इसलिए सब पर दया करता है।

17) तू तभी अपना सामर्थ्य प्रकट करता है, जब तेरी सर्वशक्तिमत्ता पर सन्देह किया जाता है। तू उसी को दण्ड देता है, जो तेरी प्रभुता जान कर तुझे चुनौती देता है।

18) तू शक्तिशाली होते हुए भी उदारतापूर्वक न्याय करता और बड़ी कृपालुता से हम पर शासन करता है, क्योंकि तू इच्छानुसार अपना सामर्थ्य दिखा सकता है।

19) इस प्रकार तूने अपनी प्रजा को यह शिक्षा दी कि धर्मी को अपने भाइयों के प्रति सहृदय होना चाहिए और तूने अपने पुत्रों को यह भरोसा दिलाया कि पाप के बाद तू उन्हें पश्चात्ताप का अवसर देगा।

दूसरा पाठ : रोमियों 8:26-27

26) आत्मा भी हमारी दुर्बलता में हमारी सहायता करता है। हम यह नहीं जानते कि हमें कैसे प्रार्थना करनी चाहिए, किन्तु हमारी अस्पष्ट आहों द्वारा आत्मा स्वयं हमारे लिए विनती करता है।

27) ईश्वर हमारे हृदय का रहस्य जानता है। वह समझाता है कि आत्मा क्या कहता है, क्योंकि आत्मा ईश्वर के इच्छानुसार सन्तों के लिए विनती करता है।

सुसमाचार : मत्ती 13:24-43

24) ईसा ने उनके सामने एक और दृष्टान्त प्रस्तुत किया, स्वर्ग का राज्य उस मनुष्य के सदृश है, जिसने अपने खेत में अच्छा बीज बोया था।

25) परन्तु जब लोग सो रहे थे, तो उसका बैरी आया और गेहूँ में जंगली बीज बो कर चला गया।

26) जब अंकुर फूटा और बालें लगीं, तब जंगली बीज भी दिखाई पड़ा।

27) इस पर नौकरों ने आकर स्वामी से कहा, ’मालिक, क्या आपने अपने खेत में अच्छा बीज नहीं बोया था? उस में जंगली बीज कहाँ से आ पड़ा?

28) स्वामी ने उस से कहा, ’यह किसी बैरी का काम है’। तब नौकरों ने उससे पूछा, ’क्या आप चाहते हैं कि हम जाकर जंगली बीज बटोर लें’?

29) स्वामी ने उत्तर दिया, ’नहीं, कहीं ऐसा न हो कि जंगली बीज बटोरते समय तुम गेहूँ भी उखाड़ डालो। कटनी तक दोनों को साथ-साथ बढ़ने दो।

30) कटनी के समय मैं लुनने वालों से कहूँगा- पहले जंगली बीज बटोर लो और जलाने के लिए उनके गटठे बाँधो। तब गेहूँ मेरे बखार में जमा करो।’’

31) ईसा ने उनके सामने एक और दृष्टान्त प्रस्तुत किया, ’’स्वर्ग का राज्य राई के दाने के सदृश है, जिसे ले कर किसी मनुष्य ने अपने खेत में बोया।

32) वह तो सब बीजों से छोटा है, परन्तु बढ़ कर सब पोधों से बड़ा हो जाता है और ऐसा पेड़ बनता है कि आकाश के पंछी आ कर उसकी डालियों में बसेरा करते हैं।’’

33) ईसा ने उन्हें एक दृष्टान्त सुनाया,’’स्वर्ग का राज्य उस ख़मीर के सदृश है, जिसे लेकर किसी स्त्री ने तीन पंसेरी आटे में मिलाया और सारा आटा खमीर हो गया’’।

34) ईसा दृष्टान्तों में ही ये सब बातें लोगों को समझाते थे। वह बिना दृष्टान्त के उन से कुछ नहीं कहते थे,

35) जिससे नबी का यह कथन पूरा हो जाये- मैं दृष्टान्तों में बोलूँगा। पृथ्वी के आरम्भ से जो गुप्त रहा, उसे मैं प्रकट करूँगा।

36) ईसा लोगों को विदा कर घर लौटे। उनके शिष्यों ने उनके पास आ कर कहा, ’’खेत में जंगली बीज का दृष्टान्त हमें समझा दीजिए’’।

37) ईसा ने उन्हें उत्तर दिया, ’’अच्छा बीज बोने बाला मानव पुत्र हैं;

38) खेत संसार है; अच्छा बीज राज्य की प्रजा है; जंगली बीज दृष्ट आत्मा की प्रजा है;

39) बोने बाला बैरी शैतान है; कटनी संसार का अंत है; लुनने वाले स्वर्गदूत हैं।

40) जिस तरह लोग जंगली बीज बटोर कर आग में जला देते हैं, वैसा ही संसार के अंत में होगा।

41) मानव पुत्र अपने स्वर्गदूतों को भेजेगा और वे उसके राज्य क़़ी सब बाधाओं और कुकर्मियों को बटोर कर आग के कुण्ड में झोंक देंगें।

42) वहाँ वे लोग रोयेंगे और दाँत पीसते रहेंगे।

43) तब धर्मी अपने पिता के राज्य में सूर्य की तरह चमकेंगे। जिसके कान हों, वह सुन ले।

📚 मनन-चिंतन - 1

आज का सुसमाचार एक भले मनुष्य और उसके दुश्मन के बारे में एक दृष्टान्त प्रस्तुत करता है। भला मनुष्य अपने खेत में अच्छा बीज बोता है। लेकिन दुश्मन उस भले व्यक्ति के खेत में गेहूं के बीच जंगली बीज बो कर चला जाता है। दुश्मन यह गुप्त रूप से करता है जब हर कोई सोता है। खेत भले आदमी का है और इसलिए दुश्मन एक अतिचार है। यह साफ है कि उसकी नीयत बुरी है क्योंकि वह जंगली बीज बोता है। उसका मकसद उस भले आदमी को नुकसान पहुँचाना है। लेकिन वह भला आदमी तुरन्त मुँहतोड़ जवाब नही देता है और जल्दीबाजी में कुछ नहीं करता है, लेकिन फसल के तैयार होने के समय तक धैर्य रखता है। फसल के काटने के दौरान, वह स्पष्ट रूप से बुराई को नष्ट करने का दृढ़संकल्प करता है।

जब प्रभु येसु अपने चेलों को अकेले में समझाते हैं तो वे स्पष्ट करते हैं कि वे ही वह भला आदमी हैं और दुश्मन शैतान है। यह संसार ईश्वर का खेत है। जब हम सो रहे होते, यानि निष्क्रिय होते हैं तब शैतान दुनिया में बुराई बो देता है। यदि हम जागते, सतर्क रहेंगे तो शैतान ऐसा नहीं कर सकेगा।

स्वतंत्रता ईश्वर का एक महान उपहार है। यह गरिमा की निशानी है। हम किसी का गुलाम बनना पसंद नहीं करते। पाप की संभावना स्वतंत्रता का हिस्सा है। फिर भी पाप नहीं करना वास्तविक स्वतंत्रता का प्रमाण है। स्वतंत्रता की कीमत है जिम्मेदारी। अपने कार्यों के लिए जिम्मेदार होने के बिना स्वतंत्रता का आनंद लेना एक खतरनाक प्रवृत्ति है। ऐसे मामले का अंत एक त्रासदी होगी। सच्ची स्वतंत्रता जागरूकता और सतर्कता लाने और बुराई के खिलाफ लड़ाई में तत्पर रहने की जिम्मेदारी लाती है।

संत पेत्रुस कहते हैं, "आप संयम रखें और जागते रहें! आपका शत्रु, शैतान, दहाड़ते हुए सिंह की तरह विचरता है और ढूँढ़ता रहता है कि किसे फाड़ खाये। आप विश्वास में दृढ़ हो कर उसका सामना करें। आप जानते हैं कि संसार भर में आपके भाई भी इस प्रकार के दुःख भोग रहे हैं।” (1पेत्रुस 5: 8-9)

 -  ब्रो बिनियोस टोपनो

📚 REFLECTION

Today’s Gospel passage speaks about a man and his enemy. The man is evidently good as he sows good seed in his field. The enemy is evidently bad as he sows weeds among the wheat in the good man’s field. The enemy does this secretly when everybody is asleep. The field belongs to the good man and so the enemy is a trespasser. His evil intention is clear as he sows weeds which are intended to bring harm to the good man. The good man does not suddenly get worked up and react in a hurry, but is patient until the time of harvest. At the harvest, he is determined to destroy the evil.

When Jesus explains the parable privately to his disciples he clarifies that the Son of man is the good man and the enemy is the devil. This world is the field of God. When we are asleep the devil sows evil in the world. If we are awake and alert the devil cannot do it.

Freedom is a great gift of God. It is a sign of dignity. We do not like to be enslaved. Possibility of sin is part of freedom. Yet not sinning is the proof of real freedom in practice. Freedom comes with the price-tag of responsibility. Wanting to enjoy freedom without being responsible for our actions is a dangerous tendency. The end in such a case will be a disaster. True freedom brings responsibility to be aware and alert and to be prompt in fighting against evil.

St. Peter says, “Discipline yourselves, keep alert. Like a roaring lion your adversary the devil prowls around, looking for someone to devour. Resist him, steadfast in your faith, for you know that your brothers and sisters in all the world are undergoing the same kinds of suffering.” (1Pet 5:8-9)

 -Br, Biniush Topno

मनन-चिंतन -2

स्तोत्र 130 में स्तोत्रकार प्रश्न करते हैं, “प्रभु! यदि तू हमारे अपराधों को याद रखेगा, तो कौन टिका रहेगा?” कोई भी ईश्वर के सामने धर्मी होने का दावा नहीं कर सकता है। सूक्ति 30:12 कहता है, “कुछ लोग अपने को शुद्ध समझते, किन्तु उनका दूषण नहीं धुला है”। संत योहन कहते हैं, “यदि हम कहते हैं कि हम निष्पाप हैं, तो हम अपने आप को धोखा देते हैं और हम में सत्य नहीं है। यदि हम अपने पाप स्वीकार करते हैं, तो वह हमारे पाप क्षमा करेगा और हमें हर अधर्म से शुद्ध करेगा; क्योंकि वह विश्वसनीय तथा सत्यप्रतिज्ञ है। यदि हम कहते हैं कि हमने पाप नहीं किया है, तो हम उसे झूठा सिद्ध करते हैं और उसका सत्य हम में नहीं है। (1 योहन 1:8-10) इसलिए संत पौलुस कहते हैं, “सबों ने पाप किया और सब ईश्वर की महिमा से वंचित किये गये” (रोमियों 3:23)। अगर प्रभु हमारे साथ न्याय करेंगे तो हम में से कोई नहीं बच सकता। ईश्वर की करुणा ही हमको बचाती है।

जंगली बीज के दृष्टान्त द्वारा प्रभु हम को यह सिखाना चाहते हैं कि ईश्वर अत्यधिक सहनशील है। वे तुरन्त ही कुकर्मियों का विनाश नहीं करते हैं, बल्कि उनको सहनशीलता दिखाते हैं। वे उनके मनपरिवर्तन के लिए समय देते हैं। मालिक गेहूँ और जंगली बीज – दोनों को कटनी के समय तक एक साथ बढ़ने देता है।

स्तोत्र 94:3-7 में स्तोत्रकार प्रभु से प्रश्न करते हैं, “प्रभु! दुर्जन कब तक, दुर्जन कब तक आनन्द मनायेंगे? वे धृष्टतापूर्ण बातें करते हैं। वे सब कुकर्मी डींग मारते हैं। प्रभु! वे तेरी प्रजा को पीसते और तेरी विरासत पर अत्याचार करते हैं। वे विधवाओं तथा परदेशियों की हत्या और अनाथों का वध करते हैं। वे कहते हैं: ‘‘प्रभु नहीं देखता, याकूब का ईश्वर उस पर ध्यान नहीं देता’’।” स्तोत्रकार प्रभु ईश्वर की सहनशीलता पर आश्चर्यचकित है। स्तोत्रकार को मालूम है कि प्रभु ईश्वर कुकर्मि को मनफिराव के लिए समय दे रहे हैं और एक दिन वह समय खत्म हो जायेगा और अगर उस समय से पहले वह पश्चात्ताप नहीं करेगा तो ईश्वर उसका विनाश करेगा। इसलिए वे कहते हैं, “मेरा ईश्वर मेरे आश्रय की चट्टान है। वह उन से उनके अधर्म का बदला चुकायेगा। वह उनकी दुष्टता द्वारा उनका विनाश करेगा। हमारा प्रभु-ईश्वर उनका विनाश करेगा।“ (स्त्तोत्र 94:22-24)

प्रभु येसु यह जानते थे कि उनका शिष्य यूदस उन्हें पकडवा देगा, फिर भी उन्होंने उसके पैर धोये और उसे मित्र कह कर संबोधित किया। यूदस के सुनने में यह कह कर कि आप में से एक मुझे पकडवा देगा येसु उसे फिर से अपने इरादे पर पुन: सोचने तथा निर्णय बदलने का अवसर दे रहे थे।

ईश्वर करुणामय है, इसलिए वे कुकर्मि को समय देते हैं। परन्तु जो कुकर्मी पश्चात्ताप नहीं करता उसे ईश्वर के न्याय का सामना करना पडेगा।

लूकस 13:6-9 में प्रभु दाखबारी में लगे हुए अंजीर के पेड का दृष्टान्त सुनाते हैं। मालिक तीन वर्षों से उस पेड में फल खोजने आया, परन्तु उसे एक भी नहीं मिला। इसलिए मालिक ने उसे काट डालना चाहा। परन्तु माली ने कहा, “मालिक! इस वर्ष भी इसे रहने दीजिए। मैं इसके चारों ओर खोद कर खाद दूँगा। यदि यह अगले वर्ष फल दे, तो अच्छा, नहीं तो इसे काट डालिएगा’।’’ प्रभु इश्वर हमें समय दे कर यह उम्मीद रखते हैं कि हम अपने जीवन में सुधार लायें।

✍️- ब्रो बिनियोस टोपनो