About Me

My photo
Duliajan, Assam, India
Catholic Bibile Ministry में आप सबों को जय येसु ओर प्यार भरा आप सबों का स्वागत है। Catholic Bibile Ministry offers Daily Mass Readings, Prayers, Quotes, Bible Online, Yearly plan to read bible, Saint of the day and much more. Kindly note that this site is maintained by a small group of enthusiastic Catholics and this is not from any Church or any Religious Organization. For any queries contact us through the e-mail address given below. 👉 E-mail catholicbibleministry21@gmail.com

5 अगस्त का पवित्र वचन

            

05 अगस्त 2020
वर्ष का अठारहवाँ सामान्य सप्ताह, बुधवार

🚥🚥🚥🚥🚥🚥🚥🚥

📒 पहला पाठ : यिरमियाह 31:1-7

1) प्रभु की वाणी यिरमियाह को यह कहते हुए सुनाई पड़ीः

2) इस्राएल का प्रभु-ईश्वर यह कहता है - ’मैंने जो कुछ तुम से कहा, वह सब एक पुस्तक में लिख लो ;

12) “प्रभु यह कहता है- तुम्हारी बीमारी कभी अच्छी नहीं होगी। तुम्हारे घावों पर कोई इलाज नहीं है।

13) तुम्हारा कोई पक्षधर नहीं है। तुम्हारे घाव नहीं भरेंगे।

14) तुम्हारे सभी प्रेमियों ने तुम को भुला दिया; वे तुम्हारी कोई परवाह नहीं करते, क्योंकि तुम्हारे असंख्य अपराधों और पापों के कारण मैंने तुम को शत्रु की तरह मारा और घोर दण्ड दिया है।

15) तुम अपने घावों पर क्यों रोती हो? तुम्हारी बीमारी का कोई इलाज नहीं। तुम्हारे असंख्य अपराधों और पापों के कारण ही मैंने तुम्हारे साथ ऐसा व्यवहार किया है।

18) “प्रभु यह कहता है- मैं याकूब के तम्बुओं को फिर खड़ा करूँगा। मैं उसके घरों पर दया करूँगा। खँडहरों पर नगर का पुननिर्माण होगा और अपने पुराने स्थान पर गढ़ का पुनरुद्धार होगा।

19) उन में से स्तुतिगान और आनन्दोत्सव की ध्वनि सुनाई देगी। मैं उनकी संख्या बढ़ाऊँगा, वह फिर कभी नहीं घटेगी। मैं उन्हें सम्मान प्रदान करूँगा, उनका फिर कभी तिरस्कार नहीं किया जायेगा।

20) उनकी सन्तति पहले-जैसी होगी और उनका समुदाय मेरे सामने बना रहेगा। मैं उनके सब अत्याचारियों को दण्ड दूँगा।

21) उन में से एक उनका शासक बनेगा और उनके बीच में से उनका राजा उत्पन्न होगा। मैं स्वयं उसे अपने पास बुलाऊँगा और वह मेरे पास आयेगा; क्योंकि कोई भी अपने आप मेरे पास आने का साहस नहीं करता। यह प्रभु की वाणी है।

22) तुम मेरी प्रजा होगे और मैं तुम्हारा ईश्वर होऊँगा।“

📙 सुसमाचार : मत्ती 15:21-28

21) ईसा ने वहाँ से बिदा होकर तीरूस और सिदोन प्रान्तों के लिए प्रस्थान किया।

22) उस प्रदेश की एक कनानी स्त्री आयी और पुकार-पुकार कर कहती रही, "प्रभु दाऊद के पुत्र! मुझ पर दया कीजिए। मेरी बेटी एक अपदूत द्वारा बुरी तरह सतायी जा रही है।"

23) ईसा ने उसे उत्तर नहीं दिया। उनके शिष्यों ने पास आ कर उनसे यह निवेदन किया, "उसकी बात मानकर उसे विदा कर दीजिए, क्योंकि वह हमारे पीछे-पीछे चिल्लाती आ रही है"।

24) ईसा ने उत्तर दिया, "मैं केवल इस्राएल के घराने की खोई हुई भेड़ों के पास भेजा गया हूँ।

25) इतने में उस स्त्री ने आ कर ईसा को दण्डवत् किया और कहा, "प्रभु! मेरी सहायता कीजिए"।

26) ईसा ने उत्तर दिया, "बच्चों की रोटी ले कर पिल्लों के सामने डालना ठीक नहीं है"।

27) उसने कहा, "जी हाँ, प्रभु! फिर भी स्वामी की मेज़ से गिरा हुआ चूर पिल्ले खाते ही हैं"।

28) इस पर ईसा ने उत्तर दिया "नारी! तुम्हारा विश्वास महान् है। तुम्हारी इच्छा पूरी हो।" और उसी क्षण उसकी बेटी अच्छी हो गयी।

📚 मनन-चिंतन

आज हम बड़ी अजीब सी परिस्थिति का सामना करते हैं, जहाँ प्रभु येसु तिरुस और सिदोन के प्रांत में जाते हैं। यह ऐसा क्षेत्र है जहाँ प्रभु येसु ने ज़्यादा चमत्कार नहीं दिखाए थे, शायद इसलिए कि इन प्रांतों के लोग अयोग्य और नीच समझे जाते थे। इससे पहले हम प्रभु येसु को देखते हैं जब वह बेथसेदा और कोरजिन को दुत्कारते हैं तो तिरुस और सिदोन का उदाहरण देते हैं कि जो चमत्कार कोराजिन और बेथसेदा में दिखाए गए थे, वे अगर तिरुस और सिदोन में दिखाए जाते तो वहाँ के लोग पश्चताप करते और मुक्ति प्राप्त करते (देखें मत्ती 11:21)। यह कनानी स्त्री इसी बदकिस्मत क्षेत्र से आती है।

प्रभु येसु के शिष्य उस जमाने के लोगों की पक्षपातपूर्ण सोच को उजागर करते हैं। इस कनानी स्त्री का आग्रह मानकर प्रभु येसु दिखाना चाहते हैं कि हमारा राष्ट्र, हमारी जाति, हमारा जंग, हमारा समाज या क्षेत्र ईश्वर के सामने कोई मायने नहीं रखता, जो मायने रखता है, वह है हमारा विश्वास। ईश्वर ने सारी बाधाएँ और बंदिशें तोड़ दी हैं, और प्रभु येसु के द्वारा उसकी कृपा सभी के लिए उपलब्ध है। प्रेरित चरित के 10वें अध्याय के 34वें और 35वें पद में कहते हैं, “अब मैं अच्छी तरह समझ गया हूँ कि ईश्वर किसी के साथ पक्षपात नहीं करता। मनुष्य किसी भी राष्ट्र का क्यों ना हो, यदि वह ईश्वर पर श्रद्धा रख कर धर्माचरण करता है, तो वह ईश्वर का कृपापत्र बन जाता है।”


📚 REFLECTION

Today we see a very strange occurrence where Jesus is in the region of Tyre and Sidon. This is the place where Jesus had not done much miracles, perhaps people were considered unworthy and low. Before this we saw Jesus while rebuking Chorazin and Besthsaida, gives a picture of people of Sidon that many miracles were not shown there otherwise many people would have repented for their sins and be saved (cf Mt. 11:21). It is from here that this Canaanite woman comes.

The disciples represent the mentality of the people of that time. But through the fulfilling of the woman’s request, Jesus shows us that our caste, our nationality, our colour, region etc, don’t matter, what matters is that we have faith. God has broken all the barriers and boundaries, his grace is available for all through Jesus Christ. St. Peter rightly says in Acts 10:34-35, “I truly understand that God shows no partiality, but in every nation anyone who fears him and does what is right, is acceptable to him.”

 -Br. Biniush Topno




Website


wwww.atpresentofficial.blogspot.com

👉

👉
https//www.instagram.com/p/CDEUnGhpzuO/?igshid=1xldyp2tfcvzl

👉 YouTube
https://www.youtube.com/channel/UCgcEylOc_yIai_2GQYTGKPw

WhatsApp:
https://chat.whatsapp.com/Cgzn1sKLpadCPry3VvZJFu