शनिवार, 04 सितम्बर, 2021
वर्ष का बाईसवाँ सामान्य सप्ताह
पहला पाठ : कलोसियों 1:21-23
21) आप लोग भी अपने कुकर्मों के कारण ईश्वर से दूर हो गये थे और आपके मन में ईश्वर की शत्रुता भर गयी थी।
22) किन्तु अब मसीह ने अपने मरणशील शरीर की मृत्यु द्वारा ईश्वर से आपका मेल कराया है, जिससे वह आप को पवित्र, निर्दोष और अनिन्द्य बना कर ईश्वर के सामने प्रस्तुत कर सकें।
23) किन्तु आप को विश्वास में दृढ़ और अटल बना रहना चाहिए, जो आप को सुसमाचार द्वारा दिलायी गयी। वह सुसमाचार द्वारा दिलायी गयी। वह सुसमाचार आकाश के नीचे की समस्त सृष्टि को सुनाया गया है और मैं, पौलुुस, उसका सेवक हूँ।
सुसमाचार : सन्त लूकस 6:1-5
1) ईसा किसी विश्राम के दिन गेंहूँ के खेतों से हो कर जा रहे थे। उनके शिष्य बालें तोड़ कर और हाथ से मसल कर खाते थे।
2) कुछ फ़रीसियों ने कहा, ’’जो काम विश्राम के दिन मना है, तुम क्यों वही कर रहे हो?’’
3) ईसा ने उन्हें उत्तर दिया, ’’क्या तुम लोगों ने यह नहीं पढ़ा कि जब दाऊद और उनके साथियो ंको भूख लगी, तो दाऊद ने क्या क्या किया था?
4) उन्होंने ईश-मन्दिर में जा कर भेंट की रोटियाँ उठा लीं, उन्हें स्वयं खाया तथा अपने साथियों को भी खिलाया। याजकों को छोड़ किसी और को उन्हें खाने की आज्ञा तो नहीं है।’’
5) और ईसा ने उन से कहा, ’’मानव पुत्र विश्राम के दिन का स्वामी’’।
📚 मनन-चिंतन
नियम और कानून अक्सर लोगो की भलाई के लिए बनाई जाती है। परंतु वही नियम कानून का प्रयोग तर्क वितर्क करते हुए कई बुद्धिजीवि अपनी बात मनवाने के लिए भी प्रयोग करते है। विश्राम दिवस को पवित्र रखना एक नियम था जो सभी यहूदी इसका पालन करते है। यह दिवस अपवित्र न हो इसलिए उस दिन कोई कार्य नहीं किया जाता था। परंतु इसका मतलब यह नहीं कि लोग भोजन नहीं करते थे।
इस नियम को आधार मानकर कुछ फरीसियों ने येसु और उनके शिष्यों पर इस नियम को भंग करने का आरोप लगाया। परंतु यहॉं पर शिष्य कार्य नहीं परंतु भुख लगने पर गेहूॅ के बाले तोड़कर और उसे मसल कर खा रहे थे। उनका उद्देश्य केवल भूख मिटाना था न कि पूरे गेहॅूं की खेत को कटाई कर के अनाज इकट्ठा करना। फरीसियों के गलत तर्क को भाप कर येसु उन्हे दूसरा उदाहरण देते है जहॉं पर दाऊद और उनके साथियों ने किया जो करना वर्जित था। नियम का उपयोग केवल लोगों की भलाई के लिए किया जाना चाहिए न कि तर्क वितर्क कर दूसरो पर आरोप लगाने के लिए। नियम की सार्थकता लोगो की भलाई में ही पूर्ण होती है।
📚 REFLECTION
Rules and Laws are usually made for the good of the people. But the same rules and laws are being used logically by some intellect inorder to make their point true. To keep holy the Sabbath is one law which was followed by all Jews. To avoid this day to be profane they were not doing and work, but this does not mean that they were not eating food and all.
Basing their point in this law some Pharisees accused Jesus and the disciples for breaking the law. But it is known that the disciples here were not doing the labour work but they ate the grains after plucking and rubbing them in their hands. Their intension was to satiate their hunger not to reap for harvesting. Sensing the wrong logic of Pharisees Jesus gave them another example where David and his companions did which was not allowed for them. The usage of law has to be done for the good of the people and not for accusing some one by applying logic. The significance of law is accomplished only in the good of the people.
✍ -Br Biniush Topno