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15 अगस्त का पवित्र वचन

 

15 अगस्त 2020, शनिवार

माता मरियम का स्वर्गारोपण; स्वतंत्रता दिवस

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📒 पहला पाठ : प्रकाशना ग्रन्थ 11:19a;12:1-6a,10ab

19) तब स्वर्ग में ईश्वर का मन्दिर खुल गया और मन्दिर में ईश्वर के विधान की मंजूषा दिखाई पड़ी।

1) आकाश में एक महान् चिन्ह दिखाई दिया: सूर्य का वस्त्र ओढ़े एक महिला दिखाई पड़ी। उसके पैरों तले चन्द्रमा था और उसके सिर पर बारह नक्षत्रों का मुकुट।

2) वह गर्भवती थी और प्रसव-वेदना से पीडि़त हो कर चिल्ला रही थी।

3) तब आकाश में एक अन्य चिन्ह दिखाई पड़ा- लाल रंग का एक बहुत बड़ा पंखदार सर्प। उसके सात सिर थे, दस सींग थे और हर एक सिर पर एक मुकुट था।

4) उसकी पूँछ ने आकाश के एक तिहाई तारे बुहार कर पृथ्वी पर फेंक दिये। वह पंखदार सर्प प्रसव-पीडि़त महिला के सामने खड़ा रहा, जिससे वह नवजात शिशु को निगल जाये।

5) उस महिला ने एक पुत्र प्रसव किया, जो लोह-दण्ड से सब राष्ट्रों पर शासन करेगा। किसी ने उस शिशु को उठाकर ईश्वर और उसके सिंहासन तक पहुंचा दिया

6) और वह महिला मरुभूमि की ओर भाग गयी, जहाँ ईश्वर ने उसके लिए आश्रय तैयार करवाया था और उसे बारह सौ साठ दिनों तक भोजन मिलने वाला था।

10) मैंने स्वर्ग में किसी को ऊँचे स्वर से यह कहते सुना, ’अब हमारे ईश्वर की विजय, सामर्थ्य तथा राजत्व और उसके मसीह का अधिकार प्रकट हुआ है; क्योंकि हमारे भाइयों का वह अभियोक्ता नीचे गिरा दिया गया है, जो दिन-रात ईश्वर के सामने उस पर अभियोग लगाया करता था।

📕 दूसरा पाठ: कुरिन्थियों के नाम सन्त पौलुस का पहला पत्र 15:20-27a

20) किन्तु मसीह सचमुच मृतकों में से जी उठे। जो लोग मृत्यु में सो गये हैं, उन में वह सब से पहले जी उठे।

21) चूँकि मृत्यु मनुष्य द्वारा आयी थी, इसलिए मनुष्य द्वारा ही मृतकों का पुनरूत्थान हुआ है।

22) जिस तरह सब मनुष्य आदम (से सम्बन्ध) के कारण मरते हैं, उसी तरह सब मसीह (से सम्बन्ध) के कारण पुनर्जीवित किये जायेंगे-

23) सब अपने क्रम के अनुसार, सब से पहले मसीह और बाद में उनके पुनरागमन के समय वे जो मसीह के बन गये हैं।

24) जब मसीह बुराई की सब शक्तियों को नष्ट करने के बाद अपना राज्य पिता-परमेश्वर को सौंप देंगे, तब अन्त आ जायेगा;

25) क्योंकि वह तब तक राज्य करेंगे, जब तक वह अपने सब शत्रुओं को अपने पैरों तले न डाल दें।

26) सबों के अन्त में नष्ट किया जाने वाला शत्रु है- मृत्यु।

27) धर्मग्रन्थ कहता है कि उसने सब कुछ उसके अधीन कर दिया है; किन्तु जब वह कहता है कि ’’सब कुछ उसके अधीन हैं’’, तो यह स्पष्ट है कि ईश्वर, जिसने सब कुछ मसीह के अधीन किया है, इस ’सब कुछ’ में सम्मिलित नहीं हैं।

📙 सुसमाचार : सन्त लूकस का सुसमाचार 1:39-56

39) उन दिनों मरियम पहाड़ी प्रदेश में यूदा के एक नगर के लिए शीघ्रता से चल पड़ी।

40) उसने ज़करियस के घर में प्रवेश कर एलीज़बेथ का अभिवादन किया।

41) ज्यों ही एलीज़बेथ ने मरियम का अभिवादन सुना, बच्चा उसके गर्भ में उछल पड़ा और एलीज़बेथ पवित्र आत्मा से परिपूर्ण हो गयी।

42) वह ऊँचे स्वर से बोली उठी, ’’आप नारियों में धन्य हैं और धन्य है आपके गर्भ का फल!

43) मुझे यह सौभाग्य कैसे प्राप्त हुआ कि मेरे प्रभु की माता मेरे पास आयीं?

44) क्योंकि देखिए, ज्यों ही आपका प्रणाम मेरे कानों में पड़ा, बच्चा मेरे गर्भ में आनन्द के मारे उछल पड़ा।

45) और धन्य हैं आप, जिन्होंने यह विश्वास किया कि प्रभु ने आप से जो कहा, वह पूरा हो जायेगा!’’

46) तब मरियम बोल उठी, ’’मेरी आत्मा प्रभु का गुणगान करती है,

47) मेरा मन अपने मुक्तिदाता ईश्वर में आनन्द मनाता है;

48) क्योंकि उसने अपनी दीन दासी पर कृपादृष्टि की है। अब से सब पीढि़याँ मुझे धन्य कहेंगी;

49) क्योंकि सर्वशक्तिमान् ने मेरे लिए महान् कार्य किये हैं। पवित्र है उसका नाम!

50) उसकी कृपा उसके श्रद्धालु भक्तों पर पीढ़ी-दर-पीढ़ी बनी रहती है।

51) उसने अपना बाहुबल प्रदर्शित किया है, उसने घमण्डियों को तितर-बितर कर दिया है।

52) उसने शक्तिशालियों को उनके आसनों से गिरा दिया और दीनों को महान् बना दिया है।

53) उसने दरिंद्रों को सम्पन्न किया और धनियों को ख़ाली हाथ लौटा दिया है।

54) इब्राहीम और उनके वंश के प्रति अपनी चिरस्थायी दया को स्मरण कर,

55) उसने हमारे पूर्वजों के प्रति अपनी प्रतिज्ञा के अनुसार अपने दास इस्राएल की सुध ली है।’’

56) लगभग तीन महीने एलीज़बेथ के साथ रह कर मरियम अपने घर लौट गयी।