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मंगलवार, 30 नवंबर, 2021

 

मंगलवार, 30 नवंबर, 2021

आगमन का पहला सप्ताह

प्रेरित सन्त अन्द्रेयस - पर्व

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पहला पाठ: रोमियों के नाम सन्त पौलुस का पत्र 10:9-18


9) क्योंकि यदि आप लोग मुख से स्वीकार करते हैं कि ईसा प्रभु हैं और हृदय से विश्वास करते हैं कि ईश्वर ने उन्हें मृतकों में से जिलाया, तो आप को मुक्ति प्राप्त होगी।

10) हृदय से विश्वास करने पर मनुष्य धर्मी बनता है और मुख से स्वीकार करने पर उसे मुक्ति प्राप्त होती है।

11) धर्मग्रन्थ कहता है, ‘‘जो उस पर विश्वास करता है, उसे लज्जित नहीं होना पड़ेगा’’।

12) इसलिए यहूदी और यूनानी और यूनानी में कोई भेद नहीं है- सबों का प्रभु एक ही है। वह उन सबों के प्रति उदार है, जो उसकी दुहाई देते है;

13) क्योंकि जो प्रभु के नाम की दुहाई देगा, उसे मुक्ति प्राप्त होगी।

14) परन्तु यदि लोगों को उस में विश्वास नहीं, तो वे उसकी दुहाई कैसे दे सकते हैं? यदि उन्होंने उसके विषय में कभी सुना नहीं, तो उस में विश्वास कैसे कर सकते हैं? यदि कोई प्रचारक न हो, तो वे उसके विषय में कैसे सुन सकते है?

15) और यदि वह भेजा नहीं जाये, तो कोई प्रचारक कैसे बन सकता है? धर्मग्रन्थ में लिखा है - शुभ सन्देश सुनाने वालों के चरण कितने सुन्दर लगते हैं !

16) किन्तु सबों ने सुसमाचार का स्वागत नहीं किया। इसायस कहते हैं- प्रभु! किसने हमारे सन्देश पर विश्वास किया है?

17) इस प्रकार हम देखते हैं कि सुनने से विश्वास उत्पन्न होता है और जो सुना जाता है, वह मसीह का वचन है।

18) अब मैं यह पूछता हूँ - ‘‘क्या उन्होंने सुना नहीं?’’ उन्होंने सुना है, क्योंकि उनकी वाणी समस्त संसार में फैल गयी है और उनके शब्द पृथ्वी के सीमान्तों तक।



सुसमाचार : सन्त मत्ती 4:18-22.


(18) गलीलिया के समुद्र के किनारे टहलते हुए ईसा ने दो भाइयों को देखा-सिमोन, जो पेत्रुस कहलाता है, और उसके भाई अन्द्रेयस को। वे समुद्र में जाल डाल रहे थे, क्योंकि वे मछुए थे।

(19) ईसा ने उन से कहा, ’’मेरे पीछे चले आओ। मैं तुम्हें मनुष्यों के मछुए बनाऊँगा।’’

(20) वे तुरंत अपने जाल छोड़ कर उनके पीछे हो लिए।

(21) वहाँ से आगे बढ़ने पर ईसा ने और दो भाइयों को देखा- जे़बेदी के पुत्र याकूब और उसके भाई योहन को। वे अपने पिता जे़बेदी के साथ नाव में अपने जाल मरम्मत कर रहे थे।

(22) ईसा ने उन्हें बुलाया। वे तुरंत नाव और अपने पिता को छोड़ कर उनके पीछे हो लिये।



📚 मनन-चिंतन



आज हम संत अंद्रेयस का पर्व मनाते हैं। आज सुसमाचार में हमारे पास प्रथम शिष्यों की बुलाहट का वृतांत है। इस बुलाहट में दो चीजें जो हम देखने को मिलती हैं, वे हैं उनकी सक्रियता और तुरंत प्रतिक्रिया।

सक्रियताः ईश्वर को अपने कार्य के लिए सक्रिय लोगों की आवश्यकता होती है। शिष्य मेहनती लोग थे। येसु ने शिष्यों को बुलाया जब वे काम पर थे। उन्होंने मत्ती को बुलाया जब वह चुंगीघर में था। मूसा को उस समय बुलावा मिला जब वह अपने ससुर यित्रो के झुंड की रखवाली कर रहा था। एलियाह ने एलीशा को बुलाया जब वह खेत में हल जोत रहा था, समूएल ने दाऊद को बुलवा भेजा, जब वह अपने पिता यिशय की भेड चरा रहा था। पुराने विधान के सभी भविष्यवक्ता सक्रिय लोग थे। ईश्वर हमेशा सक्रिय लोगों की तलाश करता है। इसलिए हमें अपनी सेवकाई में सक्रिय होने की आवश्यकता है। यदि हम कमजोर भी है ईश्वर हमें बल प्रदान करेगा। उनके राज्य के लिए कार्य करने की इच्छा सबसे महत्वपूर्ण है। हमें संत पौलुस के शब्दों में विश्वास करना चाहिए ‘‘जो मुझे बल प्रदान करते हैं, मैं उनकी सहायता से सब कुछ कर सकता हूँ’’। (फिल. 4ः13)

तुरंत प्रतिक्रियाः हर बार जब ईश्वर ने लोगों को बुलाया, तो उन्होंने तुरंत प्रतिउत्तर दिया। जब ईश्वर ने मूसा को बुलाया तो वे तैयार और इच्छुक थे, जब समूएल ने दाऊद को बुलाया, तो वह तुरंत घर पहुंचा। जब एलियाह ने एलीशा को बुलाया, तब वह उनके साथ हो लिया। मत्ती ने चुंगी-घर को तुरंत छोड़ दिया। येसु के द्वारा चंगाई प्राप्त करने वाले वह अंधा और वह कोढ़ी उनकेे पीछे हो लिए। येसु की बातें सुनकर बहुत से लोग उनके पीछे हो लिए। ईश्वर के लिए तुरंत या शीघ्र प्रतिक्रिया बहुत महत्वपूर्ण है। वह व्यक्ति जो येसु का अनुसरण बाद में करना चाहता था, उससे येसु ने कहा, ‘‘मेरे पीछे चले आओ; मुरदों को अपने मुरदे दफनाने दो’’।(मत्ती 8ः22) आइए हम अपने दैनिक जीवन में अपने प्रभु के बुलावे की आवाज सुनें और तुरंत उसका प्रतिउत्तर देना सीखें।



📚 REFLECTION



Today we celebrate the feast of Andrew. In the gospel we have today the call of first disciples. Two things we notice in this calling are their activeness and the immediate response.

Activeness: God requires active people for his work. The disciples were hardworking people. Jesus called the disciples when they were at work. He called Mathew when he was in the tax collector’s office. Moses was called while he was keeping the flock of his father-in-law Jethro. Elijah called Elisha when he was plowing the field, Samuel sent for David when he was shepherding the flock of his father Jesse. All the prophets of Old Testament were active people. God always looked for active people. Therefore we need to become active in our ministry. Even if we are weak God will strengthen us. The willingness to work for his kingdom is very important. We should believe in the words of St. Paul “I can do all things through him who strengthens me”. (Phil. 4:13)

Immediate response: Every time when God called people, they responded immediately. When God called Mosses he was ready and willing, When Samuel called David he reached home immediately. When Elijah called Elisha, he joined him. Mathew left the tax collector’s office at once. The blind man and the leaper who were healed by Jesus followed him. Hearing the words of Jesus many followed him. Immediate or quick response to God is very important. To the one who wanted to follow Jesus later he said, “Follow me and let the dead burry their own dead”. (Lk. 8:22) Let us listen to the voice of our Lord’s calling in our daily lives and learn to respond to him immediately.



मनन-चिंतन - 2



संत अन्द्रयस उन प्रेरितों में से एक है जो अपनी उपस्थिति को सुसमाचार में प्रकट करते हैं। पूर्वी परंपरा में अन्द्रयस को 'सब से पहले बुलाये जाने वाले' के रूप में जाना जाता है। योहन 1: 35-42 के अनुसार, अन्द्रयस पहले योहन बपतिस्ता के शिष्य थे। योहन बपतिस्ता ने येसु को 'ईश्वर के मेमने' के रूप में उनसे परिचित कराया। फिर अन्द्रयस ने येसु का अनुसरण किया और येसु को मसीह के रूप में पहचानने के बाद, वे अपने भाई पेत्रुस को येसु के पास ले आये। वास्तव में, अन्द्रयस को लोगों को येसु के पास लाने का करिश्मा है। वे उस बालक को येसु के पास ले आये जिसके पास पाँच रोटियों और दो मछलियाँ थीं (देखें योहन 6: 8-9)। इसी अन्द्रयस की मदद से ही त्योहार पर येरूसालेम आने वाले यूनानी लोग येसु से मिल पाते हैं। परंपरा के अनुसार अन्द्रयस ने ग्रीस और तुर्की में सुसमाचार का प्रचार किया और पैट्रास में क्रूस पर चढ़ाया गया।



REFLECTION



Andrew is one of those apostles who makes his presence felt in the Gospel. In the Orthodox tradition Andrew is known as ‘the First-Called’. According to Jn 1:35-42, Andrew was originally a disciple of John, the Baptist. John the Baptist indicated Jesus as ‘lamb of God’ to him. He then followed Jesus and after having recognized Jesus as the Messiah, he brought Peter, his brother, also to Jesus. In fact, Andrew has a charism of bringing people to Jesus. He brought the boy with five loaves and two fish to Jesus (cf. Jn 6:8-9). It was with the help of Andrew that the Greeks who had come the festival could meet Jesus. According to tradition Andrew preached in Greece and Turkey and was crucified in Patras.


 -Br. Biniush topno


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