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शनिवार, 11 सितम्बर, 2021

 

शनिवार, 11 सितम्बर, 2021

वर्ष का तेईसवाँ सामान्य सप्ताह

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पहला पाठ : 1 तिमथि 1:15-17


15) यह कथन सुनिश्चित और नितान्त विश्वसनीय है कि ईसा मसीह पापियों को बचाने के लिए संसार में आये, और उन में सर्वप्रथम मैं हूँ।

16) मुझ पर इसीलिए दया की गयी है कि ईसा मसीह सब से पहले मुझ में अपनी सम्पूर्ण सहनशीलता प्रदर्शित करें और उन लोगों के लिए एक उदाहरण प्रस्तुत करें, जो अनन्त जीवन प्राप्त करने के लिए विश्वास करेंगे।

17) युगों के अधिपति, अविनाशी, अदृश्य और अतुल्य ईश्वर को युगानुयुग सम्मान तथा महिमा! आमेन!


सुसमाचार : सन्त लूकस 6:43-49


43) "कोई अच्छा पेड़ बुरा फल नहीं देता और न कोई बुरा पेड़ अच्छा फल देता है।

44) हर पेड़ अपने फल से पहचाना जाता है। लोग न तो कँटीली झाडि़यों से अंजीर तोड़ते हैं और न ऊँटकटारों से अंगूर।

45) अच्छा मनुष्य अपने हृदय के अच्छे भण्डार से अच्छी चीजे़ं निकालता है और जो बुरा है, वह अपने बुरे भण्डार से बुरी चीज़ें निकालता है; क्योंकि जो हृदय में भरा है, वहीं तो मुँह से बाहर आता है।

46) "जब तुम मेरा कहना नहीं मानते, तो ’प्रभु! प्रभु! कह कर मुझे क्यों पुकारते हो?

47) जो मेरे पास आ कर मेरी बातें सुनता और उन पर चलता है-जानते हो, वह किसके सदृश है?

48) वह उस मनुष्य के सदृश है, जो घर बनाते समय गहरा खोदता और उसकी नींव चट्टान पर डालता है। बाढ़ आती है, और जलप्रवाह उस मकान से टकराता है, किन्तु वह उसे ढा नहीं पाता; क्योंकि वह घर बहुत मज़बूत बना है।

49) परन्तु जो मेरी बातें सुनता है और उन पर नहीं चलता, वह उस मनुष्य के सदृश है, जो बिना नींव डाले भूमितल पर अपना घर बनाता है। जल-प्रवाह की टक्कर लगते ही वह घर ढह जाता है और उसका सर्वनाश हो जाता है।"


📚 मनन-चिंतन


इस संसार में हर इंसान खाली हाथ आता है और खाली हाथ चला जाता है। परंतु इस दौरान वह बहुत सारी चीजें इस संसार में रहते हुए ग्रहण करता है जैसे कि नाम, ज्ञान, कला, अच्छाईयॉं, बुराईयॉं, धन दौलत, प्रेम, घृणा, दान, स्वार्थ, अच्छे अनुभव, बुरे अनुभव इत्यादि। और जो चीज़ वह ग्रहण करता है वही इस संसार में दूसरों को देता है।

इस संसार में बहुत सारी चीजे़ हैं और अक्सर हमारे पास चुनाव रहता है कि हम किस को ग्रहण करें और अपने पास रखें। यदि हमने अपने अंदर अच्छाईयों को संजोय कर रखा है तो हमारे अंदर से अच्छाईयॉं ही बाहर आयेंगी। इसलिये येसु कहते है जो हृदय में भरा है, वही तो मुॅंह से बाहर आता है।

अक्सर हम अपनी बाहरी व्यवहार से अच्छा होने की कोशिश करते है या बाहरी तौर तरिकों से अपने को बदलने की कोशिश करते है। परंतु बाहरी बदलाव तभी होगा जब अंदर से बदला जाये। प्रभु येसु मत्ती 23ः26 में कहते है, ‘‘पहले भीतर से प्याले को साफ कर लो, जिससे वह बाहर से भी साफ हो जाये।’’ हम सब अपने जीवन में अच्छाईयों को रखें।



📚 REFLECTION



In this world every person comes empty handed and goes empty handed. But within this he receives many things living in this world like name, knowledge, goodness, badness, wealth, money, love, envy, charity, selfishness, good experience, bad experience and so on. And the things which he receives that only he gives to others in this world.

There are many things in this world and every time we have the choice which one to take and keep for ourselves. If we have gathered goodness in ourselves then goodness will reflect from our lives. That’s why Jesus says that it is out of the abundance of the heart that the mouth speaks.

Usually we try to be good from the external behavior or we try to become good by trying to change ourselves externally. But external change will come only when there will be internal change. Lord Jesus says in Mt 23:26, “First clean the inside of the cup, so that the outside also may become clean.” Let’s store goodness in our lives.


 -Br Biniush Topno


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Praise the Lord!

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