गुरुवार, 22 जुलाई, 2021
वर्ष का सोलहवाँ सामान्य सप्ताह
पहला पाठ : सुलेमान का सर्वश्रेष्ठ गीत 3:1-4
1) मैं सारी रात अपने पलंग पर अपने प्राणप्रिय को ढूँढ़ती हूँ। मैं उसे ढूँढ़ती हूँ, किन्तु नहीं पाती।
2) मैं उठ कर गलियों तथा चैकों से होते नगर का चक्कर लगाती हूँ। मैं अपने प्राणप्रिय को ढूँढ़ती हूँ मैं उसे ढूँढ़ती हूँ, किन्तु नहीं पाती।
3) नगर का फेरा लगाते हुए पहरेदार मुझे मिलते हैं: ‘‘क्या आप लोगों ने मेरे प्राणप्रिय को देखा?‘‘
4) मैं उनसे आगे बढ़ती ही हूँ कि मैं अपने प्राणप्रिय को पा लेती हूँ।
सुसमाचार : योहन 20:1-2,11-18
1) मरियम मगदलेना सप्ताह के प्रथम दिन, तडके मुँह अँधेरे ही कब्र के पास पहुँची। उसने देखा कि कब्र पर से पत्थर हटा दिया गया है।
2) उसने सिमोन पेत्रुस तथा उस दूसरे शिष्य के पास, जिसे ईसा प्यार करते थे, दौडती हुई आकर कहा, ’’वे प्रभु को कब्र में से उठा ले गये हैं और हमें पता नहीं कि उन्होंने उन को कहाँ रखा है।’’
11) मरियम कब्र के पास, बाहर रोती रही। उसने रोते रोते झुककर कब्र के भीतर दृष्टि डाली
12) और जहाँ ईसा का शव रखा हुआ था वहाँ उजले वस्त्र पहने दो स्वर्गदूतों को बैठा हुआ देखा- एक को सिरहाने और दूसरे को पैताने।
13) दूतों ने उस से कहा, ’’भद्रे! आप क्यों रोती हैं?’’ उसने उत्तर दिया, ’’वे मेरे प्रभु को उठा ले गये हैं और मैं नहीं जानती थी कि उन्होंने उन को कहाँ रखा है’’।
14) वह यह कहकर मुड़ी और उसने ईसा को वहाँ खडा देखा, किन्तु उन्हें पहचान नहीं सकी।
15) ईसा ने उस से कहा, ’’भद्रे! आप क्यों रोती हैं। किसे ढूँढ़ती हैं? मरियम ने उन्हें माली समझकर कहा, ’’महोदय! यदि आप उन्हें उठा ले गये, तो मुझे बता दीजिये कि आपने उन्हें कहाँ रखा है और मैं उन्हें ले जाऊँगी’’।
16) इस पर ईसा ने उस से कहा, ’’मरियम!’’ उसने मुड कर इब्रानी में उन से कहा, ’’रब्बोनी’’ अर्थात गुरुवर।
17) ईसा ने उस से कहा, ’’चरणों से लिपटकर मुझे मत रोको। मैं अब तक पिता के पास ऊपर नहीं गया हूँ। मेरे भाइयेां के पास जाकर उन से यह कहो कि मैं अपने पिता और तुम्हारे पिता, अपने ईश्वर और तुम्हारे ईश्वर के पास ऊपर जा रहा हूँ।’’
18) मरियम मगदलेना ने जाकर शिष्यों से कहा कि मैंने प्रभु को देखा है और उन्होंने मुझे यह सन्देश दिया।
📚 मनन-चिंतन
प्रभु येसु की शिक्षाएँ अनमोल हैं और उतने ही अनमोल हैं उनके चिन्ह और चमत्कार. जो भी प्रभु येसु के उस ऐतिहासिक और पार्थिव जीवन का हिस्सा बना वह अत्यन्त सौभाग्यशाली रहा होगा. ईश्वर का पुत्र स्वर्ग से उतरकर इस पृथ्वी पर चला-फिरा, लोगों के बीच में रहा, उनके दुःख-दर्द में शामिल रहा. और अन्त में सारी मानव जाति के पापों को अपने ऊपर लेते हुए क्रूस की कष्ट भरी मौत को अपने गले लगा लिया. उनके द्वारा पृथ्वी पर बिताये एक-एक पल इस मानव जाति पर एक-एक अहसान भरे पल थे. इस मुक्ति इतिहास की सबसे बड़ी घटना थी प्रभु येसु की म्रत्यु पर विजय, यानि कि प्रभु येसु का पुनरुत्थान. प्रभु येसु का पुनरुत्थान ही हमारे विश्वास का आधार है. दुनिया की सबसे महान घटना का पहला साक्षी बनने का सौभाग्य प्रभु येसु मरिया मगदलेना को देते हैं.
प्रभु येसु के एक से बढ़कर एक शिष्य थे, वे शिष्य जिनके पैर प्रभु येसु ने धोये थे, जिन्हें प्रभु येसु ने बड़े-बड़े वरदान दिये थे, अधिकार दिये थे, स्वर्गराज्य की कुंजियाँ देने का वादा किया था, एक शिष्य की तो पहचान ही वही थी - वह शिष्य जिसे प्रभु प्यार करते थे. लेकिन प्रभु येसु पुनरुत्थान के बाद सबसे पहले इनमें से किसी को भी दर्शन नहीं देते बल्कि वे मरिया मगदलीन को सबसे पहले दिखाई देते हैं. वह ख़ुशी जो सदियों से कलीसिया की सबसे बड़ी ख़ुशी बनी हुई है, उस खुशखबरी का सहभागी सबसे पहले प्रभु येसु आज के इस सन्त मरियम मगलीना को बनाते हैं. इसका कारण हैं कि ईश्वर हमारा ह्रदय देखते हैं, हमारे हृदय में ईश्वर के लिए कितना प्रेम है, जो अधिक प्रेम दिखाता है, ईश्वर उसे अधिक कृपाएं प्रदान करते हैं. आईये हम इस महान सन्त और प्रेरितों की प्रेरित मरियम मगद्लीना से प्रार्थना करें कि हम भी उनके समान ईश्वर के प्रेम से भर जाएँ. आमेन.
📚 REFLECTION
Words of Jesus are very precious and same are his miracles and signs. Whoever became the part of Jesus’s worldly life, must have very fortunate. The Son of God came down and walked on this earth, lived among the mortal humans, shared in their joys ad sorrows. Finally he took our iniquities upon himself and chose to die a painful death on the cross. Every moment that spent on this earth, was a favour on whole humanity. The greatest event in this salvific work of God was his victory over death, the resurrection of Jesus. The resurrection of Jesus is the basis of our Christian faith. Jesus gives the privilege of being the very first witness of such a great event to Mary Magdalene.
Jesus had many good disciples, the ones whose feet he washed, who he gave power and authority, promised to give the keys of the kingdom, one of them was even identified as ‘the one whom the Lord loved.’ But Jesus could not find anyone more suitable to give privilege of being first witness of his resurrection, than Mary Magdalene. The joy that has been the centre of the Universal Church for centuries, this Joy was first revealed and experienced by Mary Magdalene. The reason for this is the fact that God sees our hearts, God measures the love filled in our hearts for Him, the more we love God, the more He will bless us. Let us implore the intercessions of this great apostle of the apostles, that we may also be filled with great love for God. Amen.
✍ -Fr. Johnson B.
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