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गुरुवार, 27 मई, 2021 वर्ष का आठवाँ सामान्य सप्ताह

गुरुवार, 27 मई, 2021

वर्ष का आठवाँ सामान्य सप्ताह

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पहला पाठ : प्रवक्ता ग्रन्थ 42:15-25


15) अब मैं प्रभु के कार्यों का स्मरण करूँगा। मैंने जो देखा है, उसका बखान करूँगा। प्रभु ने अपने शब्द द्वारा अपने कार्य सम्पन्न किये और अपनी इच्छा के अनुसार निर्णय किया।

16) सूर्य सब कुछ आलोकित करता है समस्त सृष्टि प्रभु की महिमा से परिपूर्ण है।

17) स्वर्गदूतों को भी यह सामर्थ्य नहीं मिला है कि वे उन सब महान् कार्यो का बखान करें, जिन्हें सर्वशक्तिमान् प्रभु ने सुस्थिर कर दिया है, जिससे विश्वमण्डल उसकी महिमा पर आधारित हो।

18) वह समुद्र और मानव हृदय की थाह लेता और उनके सभी रहस्य जानता है;

19) क्योंकि सर्वोच्च प्रभु सर्वज्ञ है और भविष्य भी उस से छिपा हुआ नहीं। वह भूत और भविष्य, दोनो को प्रकाश में लाता और गूढ़तम रहस्यों को प्रकट करता है।

20) वह हमारे सभी विचार जानता है, एक शब्द भी उस से छिपा नहीं रहता।

21) उसकी प्रज्ञा के कार्य सुव्यवस्थित हैं; क्योंकि वह अनादि और अनन्त है। उस में न तो कोई वृद्धि है।

22) और न कोई ह्रास और उसे किसी परामर्शदाता की आवश्यकता नहीं।

23) उसकी सृष्टि कितनी रमणीय है! हम उसकी झलक मात्र देख पाते हैं।

24) उसके समस्त कार्य अनुप्रमाणित और चिरस्थायी हैं; उसने जो कुछ बनाया है, वह उसका उद्देश्य पूरा करता है।

25) सब चीजें दो-दो प्रकार की होती हैं, एक दूसरी से ठीक विपरीत। उसने कुछ भी व्यर्थ नहीं बनाया।


सुसमाचार : मारकुस 10:46-52


46) वे येरीख़ो पहुँचे। जब ईसा अपने शिष्यों तथा एक विशाल जनसमूह के साथ येरीख़ो से निकल रहे थे, तो तिमेउस का बेटा बरतिमेउस, एक अन्धा भिखारी, सड़क के किनारे बैठा हुआ था।

47) जब उसे पता चला कि यह ईसा नाज़री हैं, तो वह पुकार-पुकार कर कहने लगा, "ईसा, दाऊद के पुत्र! मुझ पर दया कीजिए"!

48) बहुत-से लोग उसे चुप करने के लिए डाँटते थे; किन्तु वह और भी जोर से पुकारता रहा, "दाऊद के पुत्र! मुझ पर दया कीजिए"।

49) ईसा ने रुक कर कहा, "उसे बुलाओ"। लोगों ने यह कहते हुए अन्धे को बुलाया, "ढ़ारस रखो। उठो! वे तुम्हें बुला रहे हैं।"

50) वह अपनी चादर फेंक कर उछल पड़ा और ईसा के पास आया।

51) ईसा ने उस से पूछा, "क्या चाहते हो? मैं तुम्हारे लिए क्या करूँ?" अन्धे ने उत्तर दिया, "गुरुवर! मैं फिर देख सकूँ"।

52) ईसा ने कहा, "जाओ, तुम्हारे विश्वास ने तुम्हारा उद्धार किया है"। उसी क्षण उसकी दृष्टि लौट आयी और वह मार्ग में ईसा के पीछे हो लिया।


📚 मनन-चिंतन


विश्वास हमारे लिए वह उपहार है जिसके जरिये हम अपने जीवन में चमत्कार देख सकते हैं। बाईबिल एक विश्वास की कहानी है जो हमें प्रभु में विश्वास करने के लिए मदद करती है। बाईबिल में कई ऐसी घटनाओं का विवरण है जहॉं पर विश्वास के कारण चिन्ह् और चमत्कार प्रकट होते है। प्रभु येसु मत्ती 17ः20 में कहते है, ’’यदि तुम्हारा विश्वास राई के दाने के बराबर भी हो और तुम इस पहाड़ से यह कहो, ’यहॉं से वहॉं तक हट जा,’ तो यह हट जायेगा; और तुम्हारे लिए कुछ भी असम्भव नहीं होगा।’’ जो प्रभु में विश्वास करते है उनके लिए सबकुछ सम्भव है।

आज के सुसमाचार में जो चमत्कार का विवरण है उसकी नीव भी विश्वास ही है जहॉं पर प्रभु येसु उस अन्धे भिखारी, बरतिमेउस से कहते है, ’’जाओ, तुम्हारे विश्वास ने तुम्हारा उद्धार किया है’’। जब विश्वास हमारे जीवन में एक सुनहरा उपहार है तो हम विश्वास में डगमगा क्यों जाते हैं? इसका उत्तर यह है कि जब कभी हम अपनी दृष्टि या अपना भरोसा येसु से छोड़कर दुनियाई चीज़ों में लगाते है तब हम विश्वास में कमजोर होते जाते है, जिस प्रकार पेत्रुस जब तक येसु में दृष्टि लगाये हुए था वह पानी में चल रहा था परंतु जब वह जैसे ही अपनी दृष्टि येसु से हटाकर लहरों पर डालता है तो वह डूबने लगता है।

आईये हम प्रभु येसु में दृष्टि लगाये रखें जिससे हमारा विश्वास मजबूत बना रहें और अपने जीवन में प्रभु के उपकारों और चमत्कारों को प्रकट होते देख सकें। आमेन!



📚 REFLECTION



Faith is that gift with which we can see wonders happening in our lives. Bible is the story of faith which helps us to believe in Jesus. In the Bible there are so many accounts where signs and wonders happened due to faith. Lord Jesus says in Mt 17:20, “For truly I tell you, if you have faith the size of a mustard seed, you will say to this mountain, ‘Move from here to there,’ and it will move; and nothing will be impossible for you.” Those who believe in God everything is possible for them.

In today’s gospel where the description of miracle is given has also faith as its foundation where Lord Jesus says to the blind beggar Bartimaeus, “Go, your faith has made you well”. When faith is a golden gift for us then why do we waver in our faith? The only reason for this is that whenever we put our eyes or trust from Jesus to worldly things then we become weak in faith, as Peter until when he put his eyes on Jesus, he was walking on the water but as soon as he put his eyes from Jesus to the strong wind he began to sink.

Let’s put our eyes on Jesus so that our faith may remain strong and we may see many signs and wonders of God in our lives. Amen!


 -Br Biniush Topno


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Praise the Lord!

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