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गुरुवार, 13 मई, 2021

 

गुरुवार, 13 मई, 2021

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पास्का का छठवाँ सप्ताह

पहला पाठ : प्रेरित-चरित 18:1-8


1) इसके बाद पौलुस आथेंस छोड़ कर कुरिन्थ आया,

2) जहाँ आक्विला नामक यहूदी से उसकी भेंट हुई। आक्विला का जन्म पोन्तुस में हुआ था। वह अपनी पत्नी प्रिसिल्ला के साथ इटली से आया था, क्योंकि क्लौदियुस ने यह आदेश निकला था कि सब यहूदी रोम से चले जायें। पौलुस उन से मिलने गया

3) और उनके यहाँ रहने तथा काम करने लगा; क्योंकि वह एक ही व्यवसाय करता था- वे तम्बू बनाने वाले थे।

4) पौलुस प्रत्येक विश्राम के दिन सभागृह में बोलता और यहूदियों तथा यूनानियों को समझाने का प्रयत्न करता था।

5) जब सीलस और तिमथी मकेदूनिया से पहुँचे, तो पौलुस वचन के प्रचार के लिए अपना पूरा समय देने लगा और यहूदियों को यह साक्ष्य देता रहा कि ईसा ही मसीह हैं।

6) किन्तु जब वे लोग पौलुस का विरोध और अपमान कर रहे थे, तो उसने अपने वस्त्र की धूल झाड़ कर उन से यह कहा, ’’तुम्हारा रक्त तुम्हारे सिर पड़े! मेरा अन्तःकरण शुद्ध है। मैं अब से ग़ैर-यहूदियों के पास जाऊँगा।’’

7) वह उन्हें छोड़ कर चला गया और तितियुस युस्तुस नामक ईश्वर-भक्त के यहाँ आया, जिसका घर सभागृह से लगा हुआ था।

8) सभागृह के अध्यक्ष क्रिस्पुस ने अपने सारे परिवार के साथ प्रभु में विश्वास किया। बहुत-से कुरिन्थी भी पौलुस की बातें सुन कर विश्वास करते और बपतिस्मा ग्रहण करते थे।



सुसमाचार : योहन 16:16-20



16 थोडे ही समय बाद तुम लोग मुझे नहीं देखोगे और फिर थोडे ही समय बाद मुझे देखोगे।

17) इस उनके कुछ शिष्यों ने आपस में यह कहा, ’’वह हम से यह क्या कहते हैं- थोडे ही समय बाद तुम मुझे नहीं देखोग और फिर थोडे ही समय बाद तुम मुझे देखोगे, और क्योंकि मैं पिता के पास जा रहा हूँ?’’

18) इसलिये वे कहते थे, ’’वह जो ’थोडा समय’ कहते हैं इस का अर्थ क्या है? हम उनकी बात नहीं समझ पा रहे हैं।’’

19) ईसा ने यह जानकर कि वे मुझ से प्रश्न पूछना चाहते हैं, उन से कहा, ’’तुम आपस में मेरे इस कथन के अर्थ पर विचार विमर्श कर रहे हो कि ’थोडे ही समय बाद तुम मुझे नहीं देखोगे और फिर थोड़े ही समय बाद मुझे देखोगे।

20) मैं तुम लोगों से यह कहता हूँ ’’तुम रोओगे और विलाप करोगे, परंतु संसार आनंद मनायेगा। तुम शोक करोगे किन्तु तुम्हारा शोक आनन्द बन जायेगा।


📚 मनन-चिंतन


प्रभु येसु ने अपने आर्शीवचन में हम सभी को कई सांत्वना भरे वचन दिये है उनमें से एक वचन है, ‘‘धन्य हैं वे, जो शोक करते हैं, उन्हें सान्त्वना मिलेगी’’ (मत्ती 5ः5)। प्रभु येसु का यह वचन हम सब के लिए एक आशावान वचन है जो हम सभी को सांत्वना प्रदान करता है। प्रभु हम सभी से कहना चाहते है कि जो प्रभु और प्रभु के राज्य के लिए शोक मनाता है उसे आगे चलकर सांत्वना प्राप्त होगी।

आज के सुसमाचार में प्रभु येसु अपने विषय में बताते है कि वे किस प्रकार थोड़े समय के लिए शिष्यों को दिखाई नहीं देंगे और फिर थोड़े समय बाद वे दिखाई देंगे। आगे चल कर येसु कहते है कि तुम शोक करोगे किन्तु तुम्हारा शोक आनन्द बन जायेगा। हमारा प्रभु शोक को आनन्द में बदलने वाला प्रभु है।

हमारे जीवन में कई ऐसे क्षण आते है जो हमें शोक से भर देते है-जैसे जब हमारे किसी परिजन की मृत्यु होती है तो हम शोक से भर जाते है; जब हम प्रभु के मार्ग पर चलने की वजह से हम पर दुख, संकट, अत्याचार या अपमान किया जाता है तो हमारा ह्दय शोक से भर जाता है; जब हम दुष्टों को फलते फूलते देखते है तथा हमारे चारों ओर दुख, अंधेरे के बादल को घिरा हुआ पाते है तथा हमें कोई जवाब नहीं मिलता है तो हम शोक से भर जाते है। प्रभु येसु हम से कहते है कि तुम्हारा शोक आनन्द में बदल जायेगा, जिस प्रकार शिष्य प्रभु येसु के कू्रस मरण के बाद शोक में डूब गये थे परंतु पुनरुत्थान के बाद उनका शोक आनन्द में बदल गया; ठीक उसी प्रकार प्रभु हमारे शोक के बादल को आनन्द की किरणों से दूर कर देंगे। आईये हम प्रार्थना करें इस संसार में जो भी लोग शोक में डूबे हुए है वे सब प्रभु के पास आये जिससे उनका शोक आनन्द में बदल जाये। आमेन!



📚 REFLECTIONS



Lord Jesus has given many comforting words in his beatitudes, among them one is, “Blessed are those who mourn, for they will be comforted.” (Mt 5:4). These words of Lord Jesus are words of hope for us which gives comfort. Lord wants to tell us that those who mourn for the Lord and for the Lord’s Kingdom they will be comforted in future.

In today’s Gospel Jesus speaks about himself that for a little while the disciples will no longer see him and after a little while they will see him. He tells further that you will weep and mourn, but your pain will turn into joy. Our Lord is the Lord who turns mourning into joy.

In our lives many moments come when we are filled with mourning- for instances when some relatives die in the family we are filled of mourning; when pain, problems, persecution and insults are executed on us for being walking in the way of the Lord then our hearts are filled with mourning; when we see the wicked prospering and finding oneself surrounded by clouds of sorrow and darkness and when we doesn’t receive any answer then we are filled with grief or mourning. Lord Jesus tells us that your mourning will turn into joy, as the disciples were in grief when Jesus died on the cross but after the resurrection their mourning turned into joy; similarly Lord will remove the cloud of mourning through the rays of Joy. Let’s pray that those who are in grief in this world may come to Jesus so that their grief may turn to Joy. Amen!


 -Br. Biniush Topno



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Praise the Lord!

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