बुधवार, 12 मई, 2021
पास्का का छठवाँ सप्ताह
पहला पाठ : प्रेरित-चरित 17:15, 22-18:1
15) पौलुस के साथी उसे आथेंस ले चले और उसका यह सन्देश ले कर लौटे कि जितनी जल्दी हो सके, सीलस और तिमथी मेरे पास चले आयें।
22) परिषद् के सामने खड़ा हो कर पौलुस ने यह कहा, ’’आथेंस के सज्जनों! मैं देख रहा हूँ कि आप लोग देवताओं पर बहुत अधिक श्रद्धा रखते हैं।
23) आपके मन्दिरों का परिभ्रमण करते समय मुझे एक वेदी पर यह अभिलेख मिला- ’अज्ञात देवता को’। आप लोग अनजाने जिसकी पूजा करते हैं, मैं उसी के विषय में आप को बताने आया हूँ।
24) जिस ईश्वर ने विश्व तथा उस में जो कुछ है, वह सब बनाया है, और जो स्वर्ग और पृथ्वी का प्रभु है, वह हाथ से बनाये हुए मन्दिरों में निवास नहीं करता।
25) वह इसलिए मनुष्यों की पूजा स्वीकार नहीं करता कि उसे किसी वस्तु का अभाव है। वह तो सभी को जीवन, प्राण और सब कुछ प्रदान करता है।
26) उसने एक ही मूलपुरुष से मानव जाति के सब राष्ट्रों की सृष्टि की और उन्हें सारी पृथ्वी पर बसाया। उसने उनके इतिहास के युग और उनके क्षेत्रों के सीमान्त निर्धारित किये।
27) यह इसलिए हुआ कि मनुष्य ईश्वर का अनुसन्धान सकें और उसे खोजते हुए सम्भवतः उसे प्राप्त सकें, यद्यपि वास्तव में वह हम में से किसी से भी दूर नहीं है;
28) क्योंकि उसी में हमारा जीवन, हमारी गति तथा हमारा अस्तित्व निहित है। जैसा कि आपके कुछ कवियों ने कहा है, हम भी उसके वंशज हैं।
29) यदि हम ईश्वर के वंशज हैं, तो हमें यह नहीं समझना चाहिए कि परमात्मा सोने, चाँदी या पत्थर की मूर्ति के सादृश्य रखता है, जो मनुष्य की कला तथा कल्पना की उपज है।
30) ईश्वर ने अज्ञान के युगों का लेखा लेना नहीं चाहा, परन्तु अब उसकी आज्ञा यह है कि सर्वत्र सभी मनुष्य पश्चात्ताप करें;
31) क्योंकि उसने वह दिन निश्चित किया है, जिस में वह एक पूर्व निर्धारित व्यक्ति द्वारा समस्त संसार का न्यायपूर्वक विचार करेगा। ईश्वर ने उस व्यक्ति को मृतकों में से पुनर्जीवित कर सबों को अपने इस निश्चय का प्रमाण दिया है।’’
32) मृतकों के पुनरुत्थान की चर्चा सुनते ही कुछ लोगों ने उपहास किया और कुछ लोगों ने यह कहा, ’’इस विषय पर हम फिर कभी आपकी बात सुनेंगे’’।
33) इसलिए पौलुस उन्हें छोड़ कर चला गया।
34) फिर भी कई व्यक्ति उसके साथ हो लिये और विश्वासी बन गये: जैसे परिषद् का सदस्य दियोनिसियुस, दामरिस नामक महिला और अन्य लोग भी।
18:1) इसके बाद पौलुस आथेंस छोड़ कर कुरिन्थ आया।
सुसमाचार : योहन 16:12-15
12) मुझे तुम लोगों से और बहुत कुछ कहना है परन्तु अभी तुम वह नहीं सह सकते।
13) जब वह सत्य का आत्मा आयेगा, तो वह तुम्हें पूर्ण सत्य तक ले जायेगा; क्योंकि वह अपनी ओर से नहीं कहेगा, बल्कि वह जो कुछ सुनेगा, वही कहेगा और तुम्हें आने वाली बातों के विषय में बतायेगा।
14) वह मुझे महिमान्वित करेगा, क्योंकि उसे मेरी ओर से जो मिला है, वह तुम्हें वही बतायेगा।
15) जो कुछ पिता का है, वह मेरा है। इसलिये मैंने कहा कि उसे मेरी ओर से जो मिला है, वह तुम्हें वही बतायेगा।
📚 मनन-चिंतन
पवित्र आत्मा ख्रीस्तीय जीवन का एक अभिन्न अंग है। कलीसिया में 2000 वर्षों से पवित्र आत्मा कार्य कर रहा है। पवित्र आत्मा कलीसिया में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है लेकिन कई बार हम पवित्र आत्मा को नजर अंदाज कर देेते है शायद इसलिए क्योंकि पवित्र आत्मा अपने को न दिखाकर येसु को हमेशा प्रकाश में लाते है। आज के सुसमाचार में पवित्र आत्मा को सत्य का आत्मा के रूप में बताया गया है जो पूर्ण सत्य तक ले जायेगा। वह येसु को महिमान्वित करेगा, क्यांेकि उसे येसु की ओर से जो मिला है, वह हमें वहीं बतायेगा।
पवित्र आत्मा के बिना हम इस संसार में शैतान का सामना नहीं कर सकतें। यह पवित्र आत्मा ही है जो हमारे जीवन के हर क्षण में हमारी मदद करता है और अपने आप को कभी सामने प्रकट नहीं होने देता। बिना पवित्र आत्मा के हम अपने दैनिक और आध्यात्मिक जीवन में कभी भी आगे नहीं बढ़ पायेंगे। पवित्र आत्मा के बिना हम सांसरिक जीवन में ही सिमट कर रह जाएंगे, पवित्र आत्मा में दुबारा जन्म पाकर हमें एक नवीन जीवन प्राप्त होता है़। यह जीवन हमें प्रभु येसु से जुड़े रहने और प्रभु येसु से जुड़े महान रहस्य को समझने में मदद करता है। आइये हम सब आज के पाठों के द्वारा पवित्र आत्मा में दुबारा जन्म लेते हुए एक नवीन जीवन की शुरूआत करें। आमेन!
📚 REFLECTION
Holy Spirit is the intergral part of Christian life. Holy Spirit is being working in the Church since 2000 years ago. Holy Spirit has a very important place in the Church but manier times we neglect the Holy Spirit, it may be because Holy Spirit doesn’t hightlight himself but always focuses on Jesus. In today’s gospel Holy Spirit is being called as the Spirit of Truth who will guide into all the truth. He will glorify Jesus because he will take what is Jesus and declare it to us.
Without Holy Spirit we cannot face the Satan in this world. It is the Holy Spirit only who helps us each and every moment of our lives and doesn’t allow himself to be known to us. Without Holy Spirit we will never be able to go forward in our daily and spiritual lives. Without the Holy Spirit we will be limited to the worldly lives, we receivie the new live after being Reborn in the Holy Spirit. This new life helps to remain united with Jesus and to understand the mysteries related to Jesus. Through today’s readings let’s be reborn in the Holy Spirit and start a new life. Amen!
✍ -Br. Biniush Topno
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