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मंगलवार, 11 मई, 2021 पास्का का छठवाँ सप्ताह

 

मंगलवार, 11 मई, 2021

पास्का का छठवाँ सप्ताह



पहला पाठ : प्रेरित-चरित 16:22-34


22) उनके विरोध में भीड़ भी एकत्र हो गयी। तब न्यायकर्ताओं ने कपड़े उतरवा कर उन्हें कोड़े लगाने का आदेश दिया।

23) उन्होंने पौलुस और सीलस को खूब पिटवाया और कारापाल को बड़ी सावधानी से उनकी रखवाली करने का आदेश दे कर उन्हें बन्दीगृह में डलवा दिया।

24) कारापाल ने ऐसा आदेश पा कर उन्हें भीतरी बन्दीगृह में रखा और उनके पैर काठ में जकड़ दिये।

25) आधी रात के समय जब पौलुस तथा सीलस प्रार्थना करते हुए ईश्वर की स्तुति गा रहे थे और कैदी उन्हें सुन रहे थे,

26) तो एकाएक इतना भारी भूकम्प हुआ कि बन्दीगृह की नींव हिल गयी। उसी क्षण सब द्वार खुल गये और सब कैदियों की बेडि़याँ ढ़ीली पड़ गयीं।

27) कारापाल जाग उठा और बन्दीगृह के द्वार खुले देख कर समझ गया कि क़ैदी भाग गये हैं। इसलिए उसने तलवार खींच कर आत्महत्या करनी चाही,

28) किन्तु पौलुस ने ऊँचे स्वर से पुकार कर कहा, ’’अपनी हानि मत कीजिए। हम सब यहीं हैं।’’

29) तब कारापाल चिराग मँगा कर भीतर दौड़ा और काँपते हुए पौलुस तथा सीलस के चरणों पर गिर पड़ा।

30) उसने उन्हें बाहर ले जा कर कहा, ’’सज्जनों, मुक्ति प्राप्त करने के लिए मुझे क्या करना चाहिए?’’

31) उन्होंने उत्तर दिया, ’’आप प्रभु ईसा में विश्वास कीजिए, तो आप को और आपके परिवार को मुक्ति प्राप्त होगी’’।

32) इसके बाद उन्होंने करापाल और उसके सब घरवालों को ईश्वर का वचन सुनाया।

33) उसने रात को उसी घड़ी उन्हें ले जा कर उनके घाव धोये। इसके तुरन्त बाद उसने और उसके सारे परिवार ने बपतिस्मा ग्रहण किया।

34) तब उसने पौलुस और सीलस को अपने यहाँ ले जा कर भोजन कराया और अपने सारे परिवार के साथ आनन्द मनाया; क्योंकि उन्होंने ईश्वर में विश्वास किया था।



सुसमाचार : योहन 16:5-11


5) अब मैं उसके पास जा रहा हूँ, जिसने मुझे भेजा और तुम लोगो में कोई मुझ से यह नहीं पूछता कि आप कहाँ जा रहे हैं।

6) मैंने तुम से यह कहा है, इसलिये तुम्हारे हृदय शोक से भर गये हैं।

7) फिर भी मैं तुम लोगों से सच कहता हूँ तुम्हारा कल्याण इस में है कि मै चला जाऊँ। यदि मैं नहीं जाऊँगा, तो सहायक तुम्हारे पास नहीं आयेगा। यदि मैं जाऊँगा, तो मैं उसे तुम्हारे पास भेजूँगा।

8) जब वह आयेगा, तो पाप, धार्मिकता और दंण्डाज्ञा के विषय में संसार का भ्रम प्रमाणित कर देगा-

9) पाप के विषय में, क्योंकि वे मुझ में विश्वास नहीं करते

10) घार्मिकता के विषय में, क्योंकि मैं पिता के पास जा रहा हूँ और तुम मुझे और नहीं देखोगे;

11) दण्डाज्ञा के विषय में, क्योंकि इस संसार का नायक दोषी ठहराया जा चुका है।


📚 मनन-चिंतन


भूकम्प एक प्राकृतिक आपदा है जिसके जरियें़ जान और माल दोनो का नुकसान होता है। इतिहास में कई ऐसे भूकम्प आयें है जिसने बहुत भारी नुकसान देश और लोगों को पहुॅंचाया है। आज के पहले पाठ में भी हम भारी भूकम्प की घटना को सुनते है परंतु इसमें किसी का नुकसान नहीं होता अपितु यह घटना के जरियें एक कारापाल और उसका परिवार ईसा मसीह में विश्वास करने लगते है। कारावास एक दण्डनीय जगह है जहॉं पर लोगों को सजा दी जाती है। प्रभु ने उस कारावास में भी अपनी महिमा प्रकट की जहॉं पर पौलुस और सीलस ने अत्याचार में भी प्रभु का गुणगान किया।

सुसमाचार में प्रभु येसु ख्रीस्त पुनः सहायक के विषय में बताते हैं कि जब वह आयेगा, तो पाप, धार्मिकता और दण्डाज्ञा के विषय में संसार का भ्रम प्रमाणित कर देगा। प्रभु का आत्मा केवल सत्य के प्रति नहीं परंतु पाप और अधार्मिकता के प्रति भी खुलासा करेगा और सत्य के पथ को आलोकित करेगा।

येसु ने हमें ख्रीस्तीय बुलाहट लोगो के समक्ष येसु का साक्ष्य बनने एवं पवित्र आत्मा की मदद द्वारा सही राह चुनने के लिए बुलाया है। हम आज के पाठों द्वारा ईश्वर के कर्तव्यों को अपने जीवन में पालन करें। आमेन!



📚 REFLECTION



Earthquake is a natural disasater which leads to the loss of both lives and things. In the past many earthquakes have come which have brought heavy destruction to the country and the people. In today’s first reading too we hear about the incident of heavy earthquake but in this nobody is being harmed but through this incident the jailer and his family start believing in Jesus Christ. Prison is a place of punishment where people are being punished. Lord has demonstrated his glory even in that prison where Paul and Silas were praising God even after being persecuted.

In the Gospel Lord Jesus again speaks about the helper that when he comes, he will prove the world wrong about sin and righteousness and judgment. Lord’s Spirit not only will reveal about the truth but also about sin, righteousness and judgement and will enlighten the path of truth.

Christian call has been given by Jesus to become witnesses of Jesus infront of others and to choose the right path with the help of the Holy Spirit. Through today’s readings let’s obey the commandments of God in our lives. Amen!


 -Br. Biniush Topno



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Praise the Lord!

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