मंगलवार, 07 दिसंबर, 2021
आगमन का दूसरा सप्ताह
पहला पाठ: इसायाह का ग्रन्थ 40:1-11
1) तुम्हारा ईश्वर यह कहता है, “मेरी प्रजा को सान्त्वना दो, सान्त्वना दो।
2) यरुसालेम को ढारस बँधओ और पुकार कर उस से यह कहो कि उसकी विपत्ति के दिन समाप्त हो गये हैं और उसके पाप का प्रायश्चित हो चुका है। प्रभु-ईश्वर के हाथ से उसे सभी अपराधों का पूरा-पूरा दण्ड मिल चुका हैं।“
3) यह आवाज़ आ रही है, “निर्जन प्रदेश में प्रभु का मार्ग तैयार करो। हमारे ईश्वर के लिए मैदान में रास्ता सीधा कर दो।
4) हर एक घाटी भर दी जाये। हर एक पहाड़ और पहाड़ी समतल की जाये, खड़ी चट्ठान को मैदान और कगार को घाटी बना दिया जाये।
5) तब प्रभु-ईश्वर की महिमा प्रकट हो जायेगी और सब शरीरधारी उसे देखेंगे; क्योंकि प्रभु ने ऐसा ही कहा है।“
6) मुझे एक वाणी यह कहते हुए सुनाई पड़ी - “पुकार कर सुनाओ“
7) और मैंने यह कहा, “मैं क्या सुनाऊँ?“ “सब शरीरधारी घास के सदृश हैं और उनका सौन्दर्य खेत के फूलों के सदृश। जब प्रभु को श्वास उनका स्पर्श करता है, तो घास सूख जाती और फूल मुरझाता हैं। निश्चय ही मनुष्य घास के सदृश है।
8) घास सूख जाती और फूल मुरझाता हैं, किन्तु हमारे ईश्वर का वचन सदा-सर्वदा बना रहता है।“
9) सियोन को शुभ सन्देश सुनाने वाले! ऊँचे पहाड़ पर चढ़ो। यरुसालेम को शुभ सन्देश सुनाने वाले! अपनी आवाज़ ऊँची कर दो। निडर हो कर यूदा के नगरों से पुकार कर यह कहोः “यही तुम्हारा ईश्वर है।“
10) देखो प्रभु-ईश्वर सामध्र्य के साथ आ रहा है। वह सब कुछ अपने अधीन कर लेगा। वह अपना पुरस्कार अपने साथ ला रहा है और उसका विजयोपहार भी उसके साथ है।
11) वह गड़ेरिये की तरह अपना रेवड़ चराता है। वह मेमने को उठा कर अपनी छाती से लगा लेता और दूध पिलाने वाली भेडें धीरे-धीरे ले चलता है।
सुसमाचार : सन्त मत्ती 18:12-14
12) तुम्हारा क्या विचार है - यदि किसी के एक सौ भेड़ें हों और उन में से एक भी भटक जाये, तो क्या वह उन निन्यानबे भेड़ों को पहाड़ी पर छोड़ कर उस भटकी हुई को खोजने नहीं जायेगा?
13) और यदि वह उसे पाये, तो मैं विश्वास दिलाता हूँ कि उसे उन निन्यानबे की अपेक्षा, जो भटकी नहीं थी, उस भेड़ के कारण अधिक आनंद होगा।
14) इसी तरह मेरा स्वर्गिक पिता नहीं चाहता कि उन नन्हों में से एक भी खो जाये।
📚 मनन-चिंतन
आज के सुसमाचार में प्रभु हमे बतलाना चाहते है की मनुष्य चाहे कितना भी पापी क्यों ना हो, चाहे वह ईश्वर को भूल गया व उनसे दूर चला गया हो। फिर भी ईश्वर हमें कभी नहीं त्यागता है। वह हमे कभी नही भुलाता है। क्योंकि वह हम सभी से असीम प्रेम करता है। "तुम मेरी दृष्टी में मूल्यवान हो और महत्व रखते हो । 'मैं तुमसे प्यार करता हूँ" (इसा० 4-3:4) हम सभी कभी न कभी हमारे जीवन मे भेड के समान भटक जाते है। "सभी भटक गये, सब समान रूप से भ्रष्ट हो गये हैं।" (रोमी० 3:12) जब हम संसारिक संसार की लुभावनी चीजों को ज्यादा महत्व देते हैं। तो हम ईश्वर से धीरे धीरे दूर होने लगते हैं और भटक जाते हैं। जब ईश्वर की उपस्थती हमारे जीवन में नहीं रहती है। तब हमारे पास सारी भौतिक वस्तुए होने के बाद भी हम जीवन में अकेलापन, खालीपन महसूस करने लगते है। फिर भी जब हम महसूस करते हैं, की हम भटक गये है और ईश्वर के पास आना चाहते हैं। तब भला चरवाहा हमे सहर्ष अपने झुण्ड में सम्मिलित करता है। आइये हम मनन चिंतन करें। क्या मैं ईश्वर से दूर हो रहा हूँ, क्या मैं अपने जीवन में कहीं भटक तो नहीं गया?
📚 REFLECTION
In today's gospel Jesus wants to tell us that even if a person is a Sinner even a person might have forgotten the Lord and went astray then also the God will not forsake the person. The God can never forget us; Because He loves us so much.
“Because you are precious in my sight, and honored, and I love you”. (Isaiah 43:4)
We too, in our lives are similar to a lost sheep.
“All have turned aside, together they have become worthless” (Rom 3:12)
When we give more importance to the attractive things of this world we slowly start withdrawing away from God and as a result sometimes we loose the way. When God is absent in our life, in spite of having all the physical luxuries we still feel emptiness. When we feel and realize that we have lost our way and wish to go back to God, the God very happily accepts us back.
Come, let us examine our conscience and ask the question to us that whether am I going away from God? Am I lost in the way of life?
✍ -Br. Biniush topno
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