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Duliajan, Assam, India
Catholic Bibile Ministry में आप सबों को जय येसु ओर प्यार भरा आप सबों का स्वागत है। Catholic Bibile Ministry offers Daily Mass Readings, Prayers, Quotes, Bible Online, Yearly plan to read bible, Saint of the day and much more. Kindly note that this site is maintained by a small group of enthusiastic Catholics and this is not from any Church or any Religious Organization. For any queries contact us through the e-mail address given below. 👉 E-mail catholicbibleministry21@gmail.com

शनिवार, 04 दिसंबर, 2021

 

शनिवार, 04 दिसंबर, 2021

आगमन का पहला सप्ताह

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पहला पाठ: इसायाह का ग्रन्थ 30:19-21,23-26


19) येरूसालेम में रहने वाली सियोन की प्रजा! अब से तुम लोगों को रोना नहीं पड़ेगा। प्रभु तुम पर अवश्य दया करेगा, वह तुम्हारी दुहाई सुनते ही तुम्हारी सहायता करेगा।

20) प्रभु ने तुम्हें विपत्ति की रोटी खिलायी और दुःख का जल पिलाया है; किन्तु अब तुम्हें शिक्षा प्रदान करने वाला प्रभु अदृश्य नहीं रहेगा- तुम अपनी आँखों से उसके दर्शन करोगे।

21) यदि तुम सन्मार्ग से दायें या बायें भटक जाओगे, तो तुम पीछे से यह वाणी अपने कानों से सुनोगे-“सच्चा मार्ग यह है; इसी पर चलते रहो“।

22) तुम चाँदी से मढ़ी हुई अपने द्वारा गढ़ी गयी प्रतिमाओं को और सोने से मढ़ी हुई अपनी देवमूर्तियों को अपवित्र मानोगे। तुम उन्हें दूशित समझ कर फेंक दोगे और कहोगे “उन्हें यहाँ से निकाल दो“।

23) प्रभु तुम्हारे बोये हुये बीजों को वर्षा प्रदान करेगा और तुम अपने खेतों की भरपूर उपज से पुष्टिदायक रोटी खाओगे। उस दिन तुम्हारे चैपाये विशाल चारागाहों में चरेंगे।

24) खेत में काम करने वाले बैल और गधे, सूप और डलिया से फटकी हुई, नमक मिली हुई भूसी खयेंगे।

25) महावध के दिन, जब गढ़ तोड़ दिये जायेंगे, तो हर एक उत्तंुग पर्वत और हर एक ऊँची पहाड़ी से उमड़ती हुई जलधाराएँ फूट निकलेंगी।

26) जिस दिन प्रभु अपनी प्रजा के टूटे हुए अंगों पर पट्टी बाँधेगा और उसकी चोटों के घावों को चंगा करेगा, उस दिन चन्द्रमा का प्रकाश सूर्य की तरह होगा और सूर्य का प्रकाश- सात दिनों के सम्मिलित प्रकाश के सदृश-सतगुना प्रचण्ड हो उठेगा।



सुसमाचार : सन्त मत्ती 9:35-10:1,5a,6-8



35) ईसा सभागृहों में शिक्षा देते, राज्य के सुसमाचार का प्रचार करते, हर तरह की बीमारी और दुबर्लता दूर करते हुए, सब नगरों और गाँवों में घूमते थे।

36) लोगों को देखकर ईसा को उन पर तरस आया, क्योंकि वे बिना चरवाहे की भेड़ों की तरह थके माँदे पड़े हुए थे।

37) उन्होंने अपने शिष्यों से कहा, "फसल तो बहुत है, परन्तु मज़दूर थोड़े हैं।

38) इसलिए फ़सल के स्वामी से विनती करो कि वह अपनी फ़सल काटने के लिए मज़दूरों को भेजे।"

10:1) ईसा ने अपने बारह शिष्यों को अपने पास बुला कर उन्हें अशुद्ध आत्माओं को निकालने तथा हर तरह की बीमारी और दुर्बलता दूर करने का अधिकार प्रदान किया।

5) ईसा ने इन बारहों को यह अनुदेश दे कर भेजा, "अन्य राष्ट्रों के यहाँ मत जाओ और समारियों के नगरों में प्रवेश मत करो,

6) बल्कि इस्राएल के घराने की खोयी हुई भेड़ों के यहाँ जाओ।

7) राह चलते यह उपदेश दिया करो- स्वर्ग का राज्य निकट आ गया है।

8) रोगियों को चंगा करो, मुरदों को जिलाओ, कोढि़यों को शुद्ध करो, नरकदूतों को निकालो। तुम्हें मुफ़्त में मिला है, मुफ़्त में दे दो।



📚 मनन-चिंतन



पिता ईश्वर इस संसार का सृष्ष्टिकृता है। वह हमे जल, थल, सूर्य की रोशनी, साँस लेने के लिए शुद्ध वायु, भोजन, प्रदान करता है । साथ ही साथ उन्होंने हमे बहुमुल्य जीवन प्रदान किया । आज के सुसमाचार मे येसु हमे बताना चाहते हैं कि तुम्हे मुफ्त में मिला है, मुफ्त में दे दो (मत्ती १०:8)

येसु ने स्वयं बीमारी को चंगा किया ,अंधो को आँखे दी, अपदूतों को निकाला, भूखों को आध्यत्मक एवं शारिरिक भोजन दिया प्रदान किया, मृतको को जीवनदान दिया। जिस प्रकार ईश्वर ने हमारे जीवन में बहुत कुछ प्रदान किया है। वैसे ही हमें भी ईश्वर के प्रेम, शांति, तथा उनके वचनों को दूसरों में बाँटना है एवम जरूरत के समय एक दूसरे का साथ देना है।

पिता ईश्वर ने येसु को जो मिशन कार्य सौंपा था। येसु ने उसे आगे बढ़ाने के लिए बारह शिष्यों को चुना और अधिकार एव्म शक्ति प्रदान की। शिष्यों ने उस संदेश को लोगों के बीच बाँटा। हम भी ख्रीस्तीय होने के नाते ईश्वरीय वचन को आपस में बाँटे । अपने वचन और कर्म से ईश्वर का साथ दूसरों को दे |




📚 REFLECTION




God the father is the creator of this universe. He has given to us the water, land, sun, light, fresh air to breathe, food etc. and in other hand he has also given to us the precious life to live.

In today's gospel Jesus wants to tell us that, “you received without payment; give without payment” (Mt 10:8) .

Jesus himself healed the sick, gave vision to the blind, cast it out the devil, nourished the hungry with both spiritual and physical food, and raised the dead. As Jesus has given us so much so shall we too Share the love, peace, the word of God to the people. Along with this we should always help the people who are in need.

As God the father gave a mission to Jesus Christ, in order to persuade that mission Jesus chose the twelve disciples and gave them the authority and the power. The disciples spread the message of Jesus to the people willingly. In the same way we as Christians should also spread the word of Lord both by our words and deeds.




मनन-चिंतन - 2



अपने सार्वजनिक जीवन की शुरुआत में येसु ने इसायाह 61 की भविष्यवाणियों का हवाला देते हुए नाज़रेथ के सभागृह में अपनी कार्य-योजना की घोषणा की। फिर वे उस घोषणापत्र को साकार करने के मार्ग पर आगे बढ़ रहे थे। वे ईश्वर के राज्य की खुशखबरी सुनाते हुए “सभी नगरों और गाँवों” में घूम रहे थे और “हर तरह की बीमारी और दुर्बलता” दूर कर रहे थे। उन्होंने किसी को अपने सेवाकार्य की सीमा के बाहर नहीं छोड़ा। उन्होंने लोगों की हर समस्या का समाधान किया। वे ईश्वर की प्रजा की 'संपूर्णता' में रुचि रखते थे। वे न केवल सभी को स्वर्गराज्य का संदेश सुनाना चाहते थे, बल्कि वे यह भी चाहते थे कि लोग स्वर्गराज्य के आगमन को अपने दैनिक जीवन में अनुभव करें। वे अपनी टीम में अधिक से अधिक सहकर्मियों को शामिल करना चाहते थे क्योंकि यह कार्य बहुत बड़ा था। उनके सहकर्मियों के चयन के लिए उनके पास केवल एक मानदंड था - उन्हें स्वर्गीय पिता द्वारा बुलाए जाने और भेजे जाने की आवश्यकता थी। इसलिए वे अपने शिष्यों को फसल के स्वामी से प्रार्थना करने को कहते हैं ताकि वे अपनी फसल काटने के लिए मजदूरों को भेजें। यह आज भी एक वास्तविकता है। एक बढ़िया फ़सल के कटने का इंतज़ार है। इस मिशन पर बुलाए जाने और भेजे जाने के लिए कई लोगों की आवश्यकता है, जिन्हें अपनी बुलाहट स्वीकार करने और उसकी पूर्ति के लिए कड़ी मेहनत करने की आवश्यकता है।




REFLECTION


At the beginning of his public ministry Jesus proclaimed his manifesto in the synagogue of Nazareth citing the prophecies in Isaiah 61. Then he was on his way to actualise that manifesto. He was going through “all the towns and villages” proclaiming the good news of the Kingdom of God and curing “all kinds of disease and all kinds of illness”. He did not leave anyone out. He addressed every problem of the people. He was interested in the ‘wholeness’ of the people of God. He not only wanted everyone to hear the message of the Kingdom, but he also wanted them experience the Kingdom in their own day to day lives. He wanted to induct into his team as many co-workers as possible because the task was huge. He had only one criterion for the selection of his co-workers – they needed to be called and sent out by the Heavenly Father. So he asks his disciples to pray to the Lord of the harvest to send out labourers into his harvest. This is a reality even today. A great crop is waiting to be harvested. We need many to be called and sent on this mission. Those called need to accept the call and work hard for its fulfilment.


 -Br. Biniush topno


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Praise the Lord!

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