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शुक्रवार, 15 अक्टूबर, 2021

 

शुक्रवार, 15 अक्टूबर, 2021

वर्ष का अट्ठाईसवाँ सामान्य सप्ताह

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पहला पाठ :रोमियों के नाम सन्त पौलुस का पत्र 4:1-8


1) अब हम अपने कुलपति इब्राहीम के विषय में क्या कहें?

2) यदि इब्राहीम अपने कर्मों के कारण धार्मिक माने गये, तो वह अपने कर्मों के कारण धार्मिक माने गये, तो वह अपने पर गर्व कर सकते हैं। किन्तु वह ईश्वर के सामने ऐसा नहीं कर सकते;

3) क्योंकि धर्मग्रन्थ क्या कहता है? इब्राहीम ने ईश्वर में विश्वास किया और इसी से वह धार्मिक माने गये।

4) जो कर्म करता है, उसे मज़दूरी अनुग्रह के रूप में नहीं, बल्कि अधिकार के रूप में मिलती है।

5) जो कर्म नहीं करता, किन्तु उस में विश्वास करता है, जो अधर्मी को धार्मिक बनाता है, तो वह अपने विश्वास के कारण धार्मिक माना जाता है।

6) इसी तरह दाऊद उस मनुष्य को धन्य कहते हैं, जिसे ईश्वर कर्मों के अभाव में भी धार्मिक मानता है-

7) धन्य हैं वे, जिनके अपराध क्षमा हुए हैं, जिनके पाप ढक दिये गये हैं!

8) धन्य है वह मनुष्य, जिसके पाप का लेखा प्रभु नहीं रखता!



सुसमाचार : सन्त लूकस 12:1-7



1) उस समय भीड़़ इतनी बढ़ गयी थी कि लोग एक दूसरे को कुचल रहे थे। ईसा मुख्य रूप से अपने शिष्यों से यह कहने लगे, ’’फ़रीसियों के कपटरूपी ख़मीर से सावधान रहो।

2) ऐसा कुछ भी गुप्त नहीं है, जो प्रकाश में नहीं लाया जायेगा और ऐसा कुछ भी छिपा हुआ नहीं है, जो प्रकट नहीं किया जायेगा।

3) तुमने जो अँधेरे में कहा है, वह उजाले में सुना जायेगा और तुमने जो एकान्त में फुसफुसा कर कहा है, वह पुकार-पुकार कर दुहराया जायेगा।

4) ’’मैं तुम, अपने मित्रों से कहता हूँ-जो लोग शरीर को मार डालते हैं, परन्तु उसके बाद और कुछ नहीं कर सकते, उन से नहीं डरो।

5) मैं तुम्हें बताता हूँ कि किस से डरना चाहिए। उस से डरो, जिसका मारने के बाद नरक में डालने का अधिकार है। हाँ, मैं तुम से कहता हूँ, उसी से डरो।

6) ’’क्या दो पैसे में पाँच गोरैया नहीं बिकतीं? फिर भी ईश्वर उन में एक को भी नहीं भुलाता है।

7) हाँ, तुम्हारे सिर का बाल-बाल गिना हुआ है। इसलिए नहीं डरो। तुम बहुतेरी गौरैयों से बढ़ कर हो।



📚 मनन-चिंतन



लोगों द्वारा उपयोग किया जाने वाला एक सामान्य नारा है 'जियो जैसे आप बात करते हो', जिसका अर्थ है कि हम जो उपदेश देते हैं उसका अभ्यास करते हैं, और जो हम मानते हैं उसे जीते हैं। पाखंड किसी के आध्यात्मिक जीवन के लिए कैंसर है। पूरे आटे को प्रभावित करने के लिए केवल थोड़ा सा खमीर लगता है। अच्छे इरादों को कमजोर करने के लिए केवल थोड़ा पाखंड लगता है।

हम जिस ढोंग में रहते हैं, उसके कारण ईश्वर के साथ हमारा पवित्र संबंध खराब हो गया है। लोगों के सामने हम अच्छे, पवित्र और प्रस्तुत करने योग्य बनने की कोशिश करते हैं लेकिन ईश्वर के सामने हम नंगे हैं। ईश्वर हमें हमेशा देखते है। वह हमारे सभी कार्यों पर नजर रखते है। हम कुछ समय के लिए अपने दोहरे स्वाभाव को छुपाने में सक्षम हो सकते हैं लेकिन लंबे समय में यह उजागर हो जाता है।

येसु पाखंड पर सख्त हैं, अक्सर उन लोगों पर कठोर होते हैं जो धर्म का उपयोग अपने स्वार्थ के लिए करते हैं। वह इसकी तुलना उस खमीर से करते है, जो कम मात्रा में होते हुए भी स्वंय और दूसरों के जीवन को बहुत नुकसान पहुंचा सकता है। ईश्वर के सामने, सभी ढोंग अंततः उजागर हो जाते हैं। ईश्वर के लिये कुछ भी अनदेखा नहीं हैं। ईश्वर उनके साथ हमारे संबंधों की प्रामाणिकता की हमारी खोज में हमारा समर्थन करते है। येसु हमें ईमानदारी और अखंडता के लिए आमंत्रित करते हैं, हमें यह महसूस करने में मदद करते हैं कि उनकी उपस्थिति में ढोंग करने की कोई आवश्यकता नहीं है, लेकिन पूरी तरह से हम जो हैं वह हो सकते हैं। बहुत बार हम अपने स्वयं के पाखंड से अवगत नहीं होते हैं, इसलिए हम प्रकाश और शुद्ध हृदय की कृपा मांगते हैं। धन्य हैं वे जो हृदय के शुद्ध हैं क्योंकि वे परमेश्वर को देखेंगे।



📚 REFLECTION




Walk it as you talk it' is a common slogan people use, with the meaning that we practice what we preach, and live what we believe. Hypocrisy is cancer to one’s spiritual life. It only takes a little yeast to affect an entire batch of dough. It only takes a little hypocrisy to undermine the best intentions.

Our sacred relationship with God is vandalized due to the pretense we live. Before people, we try to be good, pious, and presentable but before God, we are bare naked. God sees us always. He watches over all our actions. We may be able to hide our dual self for some time but in the long run, it is exposed.

Jesus is tough on hypocrisy, often hard on people who use religion for their own ends. He compares it to the yeast which, though small in quantity can wreak great damage to my life and that of others. Before God, all pretense is eventually uncovered. God misses nothing. Our relationship with God supports us in our search for authenticity. Jesus invites us to honesty and integrity, helping us to realize that there is no need to pretend in his presence but can be fully who we are. Very often we are not aware of our own hypocrisy, so we ask for the grace of light, and of a pure heart. Blessed are the pure of heart for they will see God.


 -Br Biniush Topno


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Praise the Lord!

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