बुधवार, 14 जुलाई, 2021
वर्ष का पन्द्रहवाँ सामान्य सप्ताह
पहला पाठ :निर्गमन 3:1-6, 9-12
1) मूसा अपने ससुर, मिदयान के याजक, यित्रों की भेडें चराया करता था। वह उन्हें बहुत दूर तक उजाड़ प्रदेश में ले जा कर ईश्वर के पर्वत होरेब के पास पहुँचा।
2) वहाँ उसे झाड़ी के बीच में से निकलती हुई आग की लपट के रूप में प्रभु का दूत दिखाई दिया। उसने देखा कि झाड़ी में तो आग लगी है, किन्तु वह भस्म नहीं हो रही है।
3) मूसा ने मन में कहा कि यह अनोखी बात निकट से देखने जाऊँगा और यह पता लगाऊँगा कि झाड़ी भस्म क्यों नहीं हो रही है।
4) निरीक्षण करने के लिए उसे निकट आते देख कर ईश्वर ने झाड़ी के बीच में से पुकार कर उससे कहा, ''मूसा! मूसा!'' उसने उत्तर दिया, ''प्रस्तुत हूँ।''
5) ईश्वर ने कहा, ''पास मत आओ। पैरों से जूते उतार दो, क्योंकि तुम जहाँ खड़े हो, वह पवित्र भूमि है।''
6) ईश्वर ने फिर उस से कहा, ''मैं तुम्हारे पिता का ईश्वर हूँ, इब्राहीम, इसहाक तथा याकूब का ईश्वर।'' इस पर मूसा ने अपना मुख ढक लिया; कहीं ऐसा न हो कि वह ईश्वर को देख ले।
9) मैंने इस्राएलियों की पुकार सुनी और उन पर मिस्रियों का अत्याचार देखा, इसलिए मैं तुम्हें फिराउन के पास भेजता हूँ।
10) तुम मेरी प्रजा इस्राएल को मिस्र देश से बाहर निकाल लाओ।
11) मूसा ने ईश्वर से कहा, ''मैं कौन हूँ जो फिराउन के पास जाऊॅँ और इस्राएलियों को मिस्र देश से बाहर निकाल ले जाऊॅँ?
12) ईश्वर ने उत्तर दिया, ''मैं तुम्हारे साथ रहूँगा। मैंने तुम को भेजा है, तुम्हारे लिए इसका प्रमाण यह होगा कि जब तुम इस्राएल को मिस्र से निकाल लाओगें, तो तुम लोग इस पर्वत पर प्रभु की आराधना करोगें।''
सुसमाचार : मत्ती 11:25-27
25) उस समय ईसा ने कहा, ’’पिता! स्वर्ग और पृथ्वी के प्रभु! मैं तेरी स्तुति करता हूँ; क्योंकि तूने इन सब बातों को ज्ञानियों और समझदारों से छिपा कर निरे बच्चों पर प्रकट किया है।
26) हाँ, पिता! यही तुझे अच्छा लगा।
27) मेरे पिता ने मुझे सब कुछ सौंपा है। पिता को छोड़ कर कोई भी पुत्र को नहीं जानता। इसी तरह पिता को कोई भी नहीं जानता, केवल पुत्र जानता है और वही, जिस पर पुत्र उसे प्रकट करने की कृपा करे।
📚 मनन-चिंतन
ईश्वर हमारा ह्रदय देखते हैं और खुद को हम पर प्रकट करते हैं. आज के पहले पाठ में हम नबी मूसा को देखते हैं, जिन पर ईश्वर खुद को प्रकट करते हैं एक जलती हुई झाड़ी के रूप में. नबी मूसा ईश्वर द्वारा चुने जाने से पूर्व एक साधारण मनुष्य थे, वह ठीक से बोल भी नहीं पाते थे, लेकिन ईश्वर उनको चुनते हैं और खुद को प्रकट करते हैं, अपना सामर्थ्य प्रकट करते हैं. कई बार हम मामूली इन्सान होने के बावज़ूद, हमारी बिना किसी योग्यता के ईश्वर हम पर स्वयं अपनी कृपा प्रकट करते हैं. और इसलिए प्रभु येसु आज के सुसमाचार में पिता ईश्वर की आराधना करते और उन्हें धन्यवाद देते हैं, क्योंकि वे अपने महान रहस्य हम निरे बच्चों पर प्रकट करते हैं. हम जानते हैं कि प्राचीन काल से ही ईश्वर ने विभिन्न नबियों द्वारा और महान कार्यों द्वारा अपने आप को हम पर प्रकट किया, लेकिन अब उसने अपने पुत्र के द्वारा स्वयं को प्रकट किया है (इब्रानियों 1:1-2).
किसी ने पिता ईश्वर को नहीं देखा है सिवाय उसके पुत्र हमारे प्रभु येसु ने. प्रभु येसु हमें बताते हैं कि पुत्र को छोड़कर कोई भी पिता को नहीं जानता. हम जानते हैं कि पुराने व्यवस्थान में जिस तरह से ईश्वर अपने आप को प्रकट किया उसी तरह से लोगों ने उनकी छवि बनाई. और कई बार वह छवि सटीक नहीं थी, उसमें कुछ खामियाँ थीं. लेकिन नये व्यवस्थान में प्रभु येसु पिता ईश्वर का वास्तविक चेहरा बनते हैं, और स्वर्ग और पिता ईश्वर के रहस्यों को हम पर प्रकट करते हैं. जितना हम प्रभु येसु को जानेंगे और समझेंगे उतना ही हम पिता ईश्वर को जानेंगे, क्योकि स्वयं प्रभु येसु ने कहा है, “जिसने मुझे देखा है, उसने पिता को भी देखा है" (योहन 14:9). और हम प्रभु येसु से होकर गये बिना पिता ईश्वर के पास नहीं आ सकते (योहन 14:6). आईये हम अपने जीवन में प्रभु येसु को और अधिक गहराई से जानने का प्रयास करें. आमेन.
📚 REFLECTION
God looks the disposition of our heart and accordingly reveals himself to us. The first reading today, describes about Moses to whom He revealed himself in the form of a burning bush which could consume itself. Moses was a very simple man before being chosen by God, in fact he could not even speak properly, but God chose him and revealed Himself and His glory to him. Very in spite of our nothingness and nothingness, God chooses to reveal Himself to us. That is why Jesus praises and adores the Heavenly Father for revealing Himself and the great mysteries to such simple children. We know that from very old times God spoke to us through various prophets and messengers, but now He has spoken to us through His son (cf Heb 1:1-2), He revealed Himself to us through His only son.
No one has seen the Father except the Son, our Lord Jesus Christ. Jesus tells us that no one knows the Father, except the Son. We know about the ways in which God revealed Himself to the people in the Old Testament Times, and people formed an image of God according to their understanding of that revelation. This image could not be fully correct, it was limited. But in the New Testament times, Jesus becomes the real face of God, He reveals the real image and the mysteries of the Father. The more we will try to understand and know Jesus, the more we will know the Father, because anyone who has seen Jesus, also has seen the Father (cf John 14:9). We cannot go to the Father except through Jesus (cf John 14:6). Let us ask the Lord for the grace to know Him more and more deeply. Amen.
✍ -Br. Biniush Topno
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