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रविवार, 04 जुलाई, 2021 वर्ष का चौदहवाँ सामान्य रविवार

 

रविवार, 04 जुलाई, 2021

वर्ष का चौदहवाँ सामान्य रविवार

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पहला पाठ : एज़ेकिएल का ग्रन्थ 2:2-5



2) आत्मा ने मुझ में प्रवेश कर मुझे पैरों के पर खड़ा कर दिया और मैंने उसे मुझ से यह कहते सुना।

3) उसने मुझ से कहा, “मानवपुत्र! मैं तुम्हें इस्राएलियों के पास भेज रहा हूँ, उस विद्रेही राष्ट्र के पास, जो मेरे विरुद्ध में उठ खड़ा है। वे और उनके पुरखे आज तक मेरे विरुद्ध विद्रोह करते चले आ रहे हैं।

4) उनके पुत्र हठी हैं और उनका हृदय कठोर है। मैं तुम्हें उनके पास यह कहने भेज रहा हूँः ’प्रभु-ईश्वर यह कहता है’।

5) चाहे वे सुनें या सुनने से इनकार करें, क्योंकि वे विद्रोही प्रजा हैं- किन्तु वे जान जायेंगे कि उनके बीच एक नबी प्रकट हुआ है।



दूसरा पाठ: कुरिन्थियों के नाम सन्त पौलुस का दूसरा पत्र 12:7-10



7) मुझ पर बहुत-सी असाधारण बातों का रहस्य प्रकट किया गया है। मैं इस पर घमण्ड न करूँ, इसलिए मेरे शरीर में एक काँटा चुभा दिया गया है। मुझे शैतान का दूत मिला है, ताकि वह मुझे घूंसे मारता रहे और मैं घमण्ड न करूँ।

8) मैंने तीन बार प्रभु से निवेदन किया कि यह मुझ से दूर हो;

9) किन्तु प्रभु ने कहा-मेरी कृपा तुम्हारे लिए पर्याप्त है, क्योंकि हमारी दुर्बलता में मेरा सामर्थ्य पूर्ण रूप से प्रकट होता है।

10) इसलिए मैं बड़ी खुशी से अपनी दुर्बलताओं पर गौरव करूँगा, जिससे मसीह की सामर्थ्य मुझ पर छाया रहे। मैं मसीह के कारण अपनी दुर्बलताओं पर, अपमानों, कष्टों, अत्याचारों और संकटों पर गर्व करता हूँ; क्योंकि मैं जब दुर्बल हूँ, तभी बलवान् हूँ।


सुसमाचार : सन्त मारकुस का सुसमाचार 6:1-6



1) वहाँ से विदा हो कर ईसा अपने शिष्यों के साथ अपने नगर आये।

2) जब विश्राम-दिवस आया, तो वे सभागृह में शिक्षा देने लगे। बहुत-से लोग सुन रहे थे और अचम्भे में पड़ कर कहते थे, ’’यह सब इसे कहाँ से मिला? यह कौन-सा ज्ञान है, जो इसे दिया गया है? यह जो महान् चमत्कार दिखाता है, वे क्या हैं?

3) क्या यह वही बढ़ई नहीं है- मरियम का बेटा, याकूब, यूसुफ़, यूदस और सिमोन का भाई? क्या इसकी बहनें हमारे ही बीच नहीं रहती?’’ और वे ईसा में विश्वास नहीं कर सके।

4) ईसा ने उन से कहा, ’’अपने नगर, अपने कुटुम्ब और अपने घर में नबी का आदर नहीं होता’।

5) वे वहाँ कोई चमत्कार नहीं कर सके। उन्होंने केवल थोड़े-से रोगियों पर हाथ रख कर उन्हें अच्छा किया।

6) उन लोगों के अविश्वास पर ईसा को बड़ा आश्चर्य हुआ।




-Br. Biniush Topno


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