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बुधवार, 19 मई, 2021 पास्का का सातवाँ सप्ताह

 

बुधवार, 19 मई, 2021

पास्का का सातवाँ सप्ताह

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पहला पाठ : प्रेरित-चरित 20:28-38



28) आप लोग अपने लिए और अपने सारे झुण्ड के लिए सावधान रहें। पवित्र आत्मा ने आप को झुण्ड की रखवाली का भार सौंपा है। आप प्रभु की कलीसिया के सच्चे चरवाहे बने रहें, जिसे उन्होंने अपना रक्त दे कर प्राप्त किया।

29) मैं जानता हूँ कि मेरे चले जाने के बाद खूंखार भेडि़ये आप लागों के बीच घुस आयेंगे, जो झुण्ड पर दया नहीं करेंगे।

30) आप लोगों में भी ऐसे लोग निकल आयेंगे, जो शिष्यों को भटका कर अपने अनुयायी बनाने के लिए भ्रान्तिपूर्ण बातों का प्रचार करेंगे।

31) इसलिए जागते रहें और याद रखें कि मैं आँसू बहा-बहा कर तीन वर्षों तक दिन-रात आप लागों में हर एक को सावधान करता रहा।

32) अब मैं आप लोगों को ईश्वर को सौंपता हूँ तथा उसकी अनुग्रहपूर्ण शिक्षा को, जो आपका निर्माण करने तथा सब सन्तों के साथ आप को विरासत दिलाने में समर्थ है।

33) मैंने कभी किसी की चाँदी, सोना अथवा वस्त्र नहीं चाहा।

34) आप लोग जानते हैं कि मैंने अपनी और अपने साथियों की आवश्यकताएँ पूरी करने के लिए अपने इन हाथों से काम किया।

35) मैंने आप को दिखाया कि इस प्रकार परिश्रम करते हुए, हमें दुर्बलों की सहायता करनी और प्रभु ईसा का कथन स्मरण रखना चाहिए कि लेने की उपेक्षा देना अधिक सुखद है।"

36) इतना कह कर पौलुस ने उन सबों के साथ घुटने टेक कर प्रार्थना की।

37) सब फूट-फूट कर रोते और पौलुस को गले लगा कर चुम्बन करते थे।

38) उसने उन से यह कहा था कि वे फिर कभी उसे नहीं देखेंगे। इस से उन्हें सब से अधिक दुःख हुआ। इसके बाद वे उसे नाव तक छोड़ने आये।



सुसमाचार : योहन 17:11-19



परमपावन पिता! तूने जिन्हें मुझे सौंपा है, उन्हें अपने नाम के सामर्थ्य से सुरक्षित रख, जिससे वे हमारी ही तरह एक बने रहें।

12) तूने जिन्हें मुझे सौंपा है, जब तक मैं उनके साथ रहा, मैंने उन्हें तेरे नाम के सामर्थ्य से सुरक्षित रखा। मैंने उनकी रक्षा की। उनमें किसी का भी सर्वनाश नहीं हुआ है। विनाश का पुत्र इसका एक मात्र अपवाद है, क्योंकि धर्मग्रन्थ का पूरा हो जाना अनिवार्य था।

13) अब मैं तेरे पास आ रहा हूँ। जब तक मैं संसार में हूँ, यह सब कह रहा हूँ जिससे उन्हें मेरा आनन्द पूर्ण रूप से प्राप्त हो।

14) मैंने उन्हें तेरी शिक्षा प्रदान की है। संसार ने उन से बैर किया, क्योंकि जिस तरह मैं संसार का नहीं हूँ उसी तरह वे भी संसार के नहीं हैं।

15) मैं यह नहीं माँगता कि तू उन्हें संसार से उठा ले, बल्कि यह कि तू उन्हें बुराई से बचा।

16) वे संसार के नहीं है जिस तरह मैं भी संसार का नहीं हूँ।

17) तू सत्य की सेवा में उन्हें समर्पित कर। तेरी शिक्षा ही सत्य है।

18) जिस तरह तूने मुझे संसार में भेजा है, उसी तरह मैंने भी उन्हें संसार में भेजा है।

19) मैं उनके लिये अपने को समर्पित करता हूँ, जिससे वे भी सत्य की सेवा में समर्पित हो जायें।



📚 मनन-चिंतन




आज का सुसमाचार प्रभु येसु के उस महापुरोहिताई प्रार्थना के अंश से लिया गया है जो प्रभु येसु इस संसार में अपनी अंतिम घटनाओं से पूर्व करते है। आज के उस प्रार्थना के अंश में हम पाते है कि येसु अपने उन शिष्यों के लिए विशेष प्रार्थना करते है जो उनके जाने के बाद इस संसार में ईश्वर के कार्यो को आगे बढ़ायेंगे।

जब तक शिष्य उनके साथ थे वे सुरक्षित थे, प्रभु येसु ईश्वर से शिष्यों के लिए प्रार्थना करते है कि ईश्वर उन्हे बुराई से बचा। और जिस प्रकार पिता ने पुत्र को इस संसार में भेजा, उसी प्रकार पुत्र ने शिष्यों को इस संसार में भेजा है और प्रभु येसु चाहते कि वे भी येसु के समान सत्य की सेवा में समर्पित हो जायें।

प्रभु येसु का अपने शिष्यों के लिए प्रार्थना करना हम सबको यह बताता है कि वे अपने शिष्यों से कितना प्रेम करते थे और एक भले चरवाहे के रूप में उनकी देखरेख करते थे। प्रभु येसु के बाद शिष्यों ने ईश्वर का सेवा कार्य पूरी लगन और ईमानदारी से सम्पन्न किया और जिस कार्य के लिए वे चुने गये थे उस कार्य को अपनी अंतिम सास तक पूर्ण किया। हम ईश्वर और उसकी योजनाओं के लिए धन्यवाद देते हुए उस कार्य को जारी रखने के लिए ईश्वर से प्रार्थना करें। आमेन!



📚 REFLECTION



Today’s gospel is taken from that part of high priestly prayer which Lord Jesus prayed before his last events in this world. In the part of that prayer today we find that Lord Jesus specially pray for the disciples who will carry forwad the work of God after him.

Till the time when the disciples were with him, he protected them. Lord Jesus prays for the disciples to God for their protection; and as the Son is being sent by the Father into the world, so also Son has sent them into the world and Lord Jesus wants that they also may be sanctified in truth.

Praying for the disciples by Jesus tells us that how much He loved the disciples and he took care of them like the good Shepherd. After Jesus the disciples carry forward the work of God with full dedication and honesty and for the work which they were being chosen they fulfilled it till their last breath. Thanking God and his plans let’s pray that the work of God may continue to go on. Amen!


 -Br. Biniush Topno


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Praise the Lord!

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