26 अगस्त 2020
वर्ष का इक्कीसवाँ सामान्य सप्ताह, बुधवार
📒 पहला पाठ : 2 थेसलनीकियों 3:6-11, 16-18
6) भाइयों! हम आप को प्रभु ईसा मसीह के नाम पर आदेश देते हैं कि आप उन भाइयों से अलग रहें, जो काम नहीं करते और उस परम्परा के अनुसार नहीं चले, जो आप लोगों को मुझ से प्राप्त हुई।
7) आप लोगों को मेरा अनुकरण करना चाहिए- आप यह स्वयं जानते हैं। आपके बीच रहते समय हम अकर्मण्य नहीं थे।
8) हमने किसी के यहाँ मुफ़्त में रोटी नहीं खायी, बल्कि हम बड़े परिश्रम से दिन-रात काम करते रहे, जिससे आप लोगों में किसी के लिए भी भार न बनें।
9) इमें इसका अधिकार नहीं था- ऐसी बात नहीं, बल्कि हम आपके सामने एक आदर्श रखना चाहते थे, जिसका आप अनुकरण कर सकें।
10) आपके बीच रहते समय हमने आप को यह नियम दिया- ’जो काम करना नहीं चाहता, उसे भोजन नहीं दिया जाये’।
16) शान्ति का प्रभु स्वयं आप लोगों को हर समय और हर प्रकार शान्ति प्रदान करता रहे! प्रभु आप सब के साथ हो!
17) मैं, पौलुस, अपने हाथ से यह नमस्कार लिख देता हूँ। यह मेरे सब पत्रों की पहचान है। यह मेरी लिखावट है।
18) हमारे प्रभु ईसा मसीह की कृपा आप सब पर बनी रहे!
📙 सुसमाचार : सन्त मत्ती 23:27-32
27) ’’ढोंगी शास्त्रियों ओर फ़रीसियों! धिक्कार तुम लोगों को! तुम पुती हुई कब्रों के सदृश हो, जो बाहर से तो सुन्दर दीख पड़ती हैं, किन्तु भीतर से मुरदों की हड्डियों और हर तरह की गन्दगी से भरी हुई हैं।
28) इसी तरह तुम भी बाहर से लागों को धार्मिक दीख पड़ते हो, किन्तु भीतर से तुम पाखण्ड और अधर्म से भरे हुए हो।
29) ’’ढोंगी शास्त्रियों और फ़रीसियों! धिक्कार तुम लोगों को! तुम नबियों के मकबरे बनवा कर और धर्मात्माओं के स्मारक सँवार कर
30) कहते हो, ’’यदि हम अपने पुरखों के समय जीवित होते, तो हम नबियों की हत्या करने में उनका साथ नहीं देते’।
31) इस तरह तुम लोग अपने विरुद्ध यह गवाही देते हो कि तुम नबियों के हत्यारों की संतान हो।
32) तो, अपने पुरखों की कसर पूरी कर लो।
📚 मनन-चिंतन
जीवित इंसानों के साथ क़ब्रों की तुलना करना उचित नहीं है, लेकिन प्रभु येसु अपने समय के शास्त्रियों और फरिसीयों को सफ़ेदी से पुती हुई क़ब्रों से तुलना करते हैं। कब्र के अंदर भयानक मंजर होता है। जब जीवित व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है और उसे कब्र में दफ़नाया जाता है, तो कुछ समय बाद वह लाश सड़ने और गलने लगती है और कुछ दिनों में भयंकर बदबू देने लगती है। विज्ञान के शब्दों में कहें तो एक कब्र के अंदर बहुत बड़ी विघटन क्रिया होती है, अंततः हड्डियों के सिवा कुछ नहीं बचता। लेकिन बाहर से कब्र के अंदर होने वाली क्रिया हमें दिखाई नहीं देती और इसलिए हम उसकी भयानक रूप की कल्पना भी नहीं कर सकते।
प्रभु येसु फरिसियों और शास्त्रियों को उन्हीं क़ब्रों से तुलना करते हैं। यहाँ हमें यह ध्यान देने की ज़रूरत है कि प्रभु येसु उन्हीं फरीसी और शास्त्रियों को धिक्कारते हैं जो अपनी बुलाहट अर्थात ईश्वर द्वारा दी ज़िम्मेदारी को बखूबी नहीं निभा रहे थे। वे बाहर से अपने आप को बहुत पवित्र और शरीफ़ दिखाते थे, लेकिन अंदर से वे घोर बुराई और पाप से भरे हुए थे। ईश्वर हमारे जीवन के छुपे हुए पहलुओं को भी देख सकते हैं, उसकी नज़रों से कुछ भी नहीं छुपा है। क्या मैं अंदर से बुरा और बाहर से अच्छा दिखने की कोशिश करता हूँ? आइए हम अपने आप को ईश्वर को समर्पित करें ताकि वह हमें सच्चे इंसान और अपनी महती दया के योग्य बना दे। आमेन।
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