*✞ CATHOLIC BIBLE MINISTRY ✞*
12 जून 2022, इतवार
पवित्र त्रित्व का महापर्व
💦पहला पाठ : सूक्ति 8:22-31
22) "आदि में, प्रभु ने अन्य कार्यो से पहले मेरी सृष्टि की है।
23) प्रारम्भ में, पृथ्वी की उत्पत्ति से पहले, अनन्त काल पूर्व में मेरी सृष्टि हुई है।
24) जिस समय मेरा जन्म हुआ था, न तो महासागर था और न उमड़ते जलस्त्रोत थे।
25) मैं पर्वतों की स्थापना से पहले, पहाड़ियों से पहले उत्पन्न हुई थी।
26) जब उसने पृथ्वी, समतल भूमि तथा संसार के मूल-तत्व बनाये, तो मेरा जन्म हो चुका था।
27) जब उसने आकाशमण्डल का निर्माण किया और महासागर के चारों ओर वृत्त खींचा, तो मैं विद्यमान थी।
28) जब उसने बादलों का स्थान निर्धारित किया और समुद्र के स्रोत उमड़ने लगे,
29) जब उसने समुद्र की सीमा निश्चित की, जिससे जल तट का अतिक्रमण न करे- जब उसने पृथ्वी की नींव डाली,
30) उस समय मैं कुशल शिल्पकार की तरह उसके साथ थी। मैं नित्यप्रति उसका मनोरंजन करती और उसके सम्मुख क्रीड़ा करती रही।
31) मैं पृथ्वी पर सर्वत्र क्रीड़ा करती और मनुष्यों के साथ मनोरंजन करती रही।"
💦दूसरा पाठ : रोमियों 5:1-5
1) ईश्वर ने हमारे विश्वास के कारण हमें धार्मिक माना है। हम अपने प्रभु ईसा मसीह द्वारा ईश्वर से मेल बनाये रखें।
2) मसीह ने हमारे लिए उस अनुग्रह का द्वार खोला है, जो हमें प्राप्त हो गया है। हम इस बात पर गौरव करें कि हमें ईश्वर की महिमा के भागी बनने की आशा है।
3) इतना ही नहीं, हम दुःख-तकलीफ पर भी गौरव करें, क्योंकि हम जानते हैं कि दुःख-तकलीफ से धैर्य,
4) धैर्य से दृढ़ता, और दृढ़ता से आशा उत्पन्न होती है।
5) आशा व्यर्थ नहीं होती, क्योंकि ईश्वर ने हमें पवित्र आत्मा प्रदान किया है और उसके द्वारा ही ईश्वर का प्रेम हमारे हृदयों में उमड़ पड़ा है।
💦सुसमाचार : योहन 16:12-15
12) मुझे तुम लोगों से और बहुत कुछ कहना है परन्तु अभी तुम वह नहीं सह सकते।
13) जब वह सत्य का आत्मा आयेगा, तो वह तुम्हें पूर्ण सत्य तक ले जायेगा; क्योंकि वह अपनी ओर से नहीं कहेगा, बल्कि वह जो कुछ सुनेगा, वही कहेगा और तुम्हें आने वाली बातों के विषय में बतायेगा।
14) वह मुझे महिमान्वित करेगा, क्योंकि उसे मेरी ओर से जो मिला है, वह तुम्हें वही बतायेगा।
15) जो कुछ पिता का है, वह मेरा है। इसलिये मैंने कहा कि उसे मेरी ओर से जो मिला है, वह तुम्हें वही बतायेगा।
💦 *मनन-चिंतन*
हम सब ख्रीस्तीय पिता और पुत्र और पवित्र आत्मा के नाम पर सभी कार्य करते है, विशेष रूप से प्रार्थना की शुरुआत और अंत। पिता और पुत्र और पवित्र आत्मा तीन व्यक्ति है परंतु एक ईश्वर है और इसी त्रियेक ईश्वर का पर्व हम आज मनाते है, जिसे पवित्र त्रित्व के महापर्व से जाना जाता है।
मनुष्यों ने हमेशा से ही ईश्वर के बारे में जानने की कोशिश की है। प्रभु येसु और पवित्र आत्मा के द्वारा हमने ईश्वर और उनकी योजनाओं के बारे में कई रहस्य या सिद्धांत को समझा और जाना है परंतु जरूरी नहीं कि हम ईश्वर के हर रहस्य को समझ पाये। उनमें से एक रहस्य पवित्र त्रित्व का है जो हमारे इस क्षणिक दिमाग में कभी भी नहीं समा सकता।
आज के तीनों पाठ आज के पर्व के संदर्भ के अनुसार है। पहला पाठ में हमे शक्तिशाली पिता ईश्वर के विषय में बताया गया है जिसने इस अद्भुत सृष्टि की रचना की और महान चमत्कारों द्वारा इस्राएल को बचाया; वह पिता एक शक्तिशाली ईश्वर है और उसके सिवा कोई और ईश्वर नहीं है।
दूसरे पाठ में पवित्र आत्मा के विषय में बताया गया है। पवित्र आत्मा ईश्वर बाहर नहीं परंतु हमारे भीतर बसने वाला ईश्वर है क्योकि हमारा शरीर पवित्र आत्मा का मंदिर है। जो लोग ईश्वर के आत्मा से संचालित है उनमें ईश्वर के जीवन का संचार है और वह इस संसार से परे रहकर ईश्वर के पुत्र के मनोभाव के अनुसार जीवन बिताता है।
सुसमाचार में हम प्रभु येसु के अंतिम आदेश के बारे में जानते है जहॉं प्रभु येसु अपने शिष्यों से कहते है कि, ’’मुझे स्वर्ग में और पृथ्वी पर पूरा अधिकार मिला है। इसलिए तुम लोग जा कर सब राष्ट्रों को शिष्य बनाओ और उन्हें पिता, पुत्र और पवित्र आत्मा के नाम पर बपतिस्मा दो।’’ प्रभु येसु जाते जाते पवित्र त्रित्व के नाम को उजागर कर के जाते है।
पवित्र त्रित्व का पर्व हमारे लिए त्रियेक ईश्वर को जानने का और प्रार्थना करने का सुंदर अवसर है परंतु इस रहस्य या सिद्धांत को पूर्ण रूप से समझना हमारे दिमाग के बस की बात नहीं। एक ईश्वर में तीन जन- इस रहस्य को समझाने के लिए कई विद्वानों ने कई उदाहरण देकर समझना चाहा परंतु किसी ने भी एक ठोस रूप से इसकी गहराई को समझा नहीं पाया है।
पवित्र त्रित्व का पर्व एकता का पाठ पढ़ाती है। जिस प्रकार पिता, पुत्र और पवित्र आत्मा अलग अलग व्यक्ति है परंतु वे एक है। जिस प्रकार प्रभु येसु कहते है मै पिता में हुँ और पिता मुझमें है ठीक उसी प्रकार पवित्र आत्मा भी पिता और पुत्र में हैं और वे पवित्र आत्मा में अर्थात् वे तीनों एक है। आज के पर्व की आशीष द्वारा हम भी ईश्वर में एक बनें रहें जिस प्रकार प्रभु येसु हमारे लिए चाह रखते है, ’’सब के सब एक हो जायें। पिता! जिस तरह तू मुझ में है और मैं तुझ में, उसी तरह वे भी हम में एक हो जायें’’ (योहन 17:21)। आमेन!
✍Br. Biniush Topno
No comments:
Post a Comment