शनिवार, 11 दिसंबर, 2021
आगमन का दूसरा सप्ताह
पहला पाठ: प्रवक्ता-ग्रन्थ 48:1-4.9-11
1) तब एलियाह अग्नि की तरह प्रकट हुए। उनकी वाणी धधकती मशाल के सदृश थी।
2) उन्होंने उनके देश में अकाल भेजा और अपने धर्मोत्साह में उनकी संख्या घटायी।
3) उन्होंने प्रभु के वचन से आकाश के द्वार बन्द किये और तीन बार आकाश से अग्नि गिरायी।
4) एलियाह! आप अपने चमत्कारों के कारण कितने महान् है! आपके सदृश होने का दावा कौन कर सकता है!
9) आप अग्नि की आँधी में अग्निमय अश्वों के रथ में आरोहित कर लिये गये।
10) आपके विषय में लिखा है, कि आप निर्धारित समय पर चेतावनी देने आयेंगे, जिससे ईश्वरीय प्रकोप भड़कने से पहले ही आप उसे शान्त करें, पिता और पुत्र का मेल करायें और इस्राएल के वंशों का पुनरुद्धार करें।
11) धन्य हैं वे, जिन्होंने आपके दर्शन किये, जो आपके प्रेम से सम्मानित हुए!
सुसमाचार : सन्त मत्ती 17:9a.10-13
9) पहाड़ से उतरते समय उनके शिष्यों ने उन से पूछा, ’’शास्त्री यह क्यों कहते हैं कि पहले एलियस को आना है?’’
11) ईसा ने उत्तर दिया, ’’एलियस अवश्य सब कुछ ठीक करने आयेगा।
12) परन्तु मैं तुम लोगों से कहता हूँ- एलियस आ चुका है। उन्होंने उसे नहीं पहचाना और उसके साथ मनमाना व्यवहार किया। उसी तरह मानव पुत्र भी उनके हाथों दुःख उठायेगा।’’
13) तब वे समझ गये कि ईसा योहन बपतिस्ता के विषय में कह रहे हैं।
📚 मनन-चिंतन
आज के दोनों ही पाठों में हमें नबी एलीयस के बारे में बताया गया है कि नबी एलीयस अपने चमत्कारों के कारण कितने महान थे। वह अग्नि की आँधी में, अग्निमय अशवों के रथ में आरोहित कर लिये गये । सुसमाचार में शिष्य येसु से पूछते है कि क्या भविष्य में एलीयस दुबारा इस धरती पर आयेंगे। येसु उन्हें उत्तर देते है की एलीयस आ चुका है। लोगों ने उसे नहीं पहचाना। उसके साथ मनमाना व्यवहार किया। साथ ही साथ येसु अपने मरण की भविष्यवाणी करते हुए कहते हैं। ठीक उसी तरह मानव पुत्र भी दुख उठायेगा। शिष्य येसु की बातों को समझ नहीं सके। उन्होंने सोचा येसु योहन बपतिस्ता के बारे में कह रहे है। कई बार हम भी येसु कि बातों को नहीं समझ पाते है कि वह हमसे क्या कहना चाहते है। अपनी वयस्त जिंदगी में हम येसु की आवाज को सुन नहीं पाते हैं। आइये हम अपने मन हृदय और कानों को खुला रखे। ईश्वरीय वचन को सुनने और समझने के लिए तत्पर रहे और उसका पालन करे ।
📚 REFLECTION
In both the readings of todays, we hear about Prophet Elijah .who was known for his miracles. In the Gsopel disciples ask Jesus will Elijah come again on this earth. Jesus answered them Elijah had already come and the people failed to recognize him and they misbehaved with him. Also Jesus foretells of his death and says, the son of man has to undergo suffering and death. The disciples could not understand and they thought Jesus is talking about John the Baptist.
Very often we too fail to understand the word of the Lord. In our busy life, often we fail to hear His voice, which He wants to convey to us. Let us open our hearts and mind to listen and understand the word of the Lord and apply his words in our lives.
मनन-चिंतन - 2
आज के सुसमाचार में प्रभु येसु नबी एलियाह के दूसरे आगमन के बारे में बात करते हैं। कई यहूदी लोगों का मानना था कि एलिय्याह मसीह के आने से पहले फिर से आयेंगे। एलियाह यहूदी नबियों की प्रतिनिधि है। उन्होंने इस्राएल के नेताओं और लोगों को अपने पापमय जीवन छोड़ने और प्रभु के पास वापस जाने के लिए प्रेरित किया। राजाओं के पहले ग्रन्थ के अध्याय अठारह में हम पढ़ते हैं कि नबी एलियाह ने बाल देव के चार सौ पचास नबियों की उपस्थिति में कार्मेल पहाड़ पर इकट्ठे हुए लोगों से प्रभु ईश्वर के बारे में एक निश्चित रुख अपनाने के लिए कहा। उन्होंने कहा, “तुम लोग कब तक आगा-पीछा करते रहोगे? यदि प्रभु ही ईश्वर है, तो उसी के अनुयायी बनो और यदि बाल ईश्वर है, तो उसी के अनुयायी बनो।”(1राजाओं 18:21)। हम आगे पढ़ते हैं कि लोगों ने अंत में प्रभु ईश्वर पर अपने विश्वास को प्रकट करते हुए कहा, “प्रभु ही ईश्वर है! प्रभु ही ईश्वर है!”(1राजाओं 18:39)। राजाओं के दूसरे ग्रन्थ अध्याय 2 वाक्य 11 में हम नबी एलियाह के स्वर्ग चढ़ने की शानदार घटना देखते हैं। हम पढ़ते हैं, "वे बातें करते हुए आगे बढ़ ही रहे थे कि अचानक अग्निमय अश्वों-सहित एक अग्निमय रथ ने आ कर दोनों को अलग कर दिया और एलियाह एक बवण्डर द्वारा स्वर्ग में आरोहित कर लिया गया।"। मलाकी के ग्रन्थ 4: 5 में, एक भविष्यवाणी है जो कहती है, "देखो, उस महान् एवं भयानक दिन के पहले, प्रभु के दिन के पहले, मैं नबी एलियाह को तुम्हारे पास भेजूँगा।"। इसलिए यहूदियों का विश्वास था कि नबी एलियाह फिर से आयेंगे। इसका क्या मतलब है? इसका मतलब यह है कि प्रभु ईश्वर, एक नबी के माध्यम से एक बार फिर से, जो उन्होंने एलियाह के द्वारा किया, उसी को दोबारा करेंगे; वे लोगों को प्रभु के पास लौटने और प्रभु ईश्वर के लिए एक निश्चित रुख अपनाने की चुनौती देंगे। संत योहन बपतिस्ता ने यही किया। आज हमें प्रभु के पास लौटने और प्रभु ईश्वर के लिए एक निश्चित रुख अपनाने के लिए आमंत्रित किया जाता है।
REFLECTION
In today’s Gospel, Jesus speaks about the second coming of Elijah. Many Jewish people believed that Elijah would come again before the arrival of the Messiah. Elijah stands for the Jewish Prophecy. He eloquently called the leaders and people of Israel to leave their sinful ways and return to the Lord. In 1Kings 18 we read that Elijah asked the people who gathered at Mount Carmel, in the presence of four hundred and fifty prophets of Baal, to take a definitive stand for God. He said, “How long will you go limping with two different opinions? If the Lord is God, follow him; but if Baal, then follow him” (1Kings 18:21). We read further that the people finally acclaimed “The Lord indeed is God; the Lord indeed is God” (1Kings 18:39). In 2Kings 2:11 we read about Prophet Elijah’s spectacular ascent into heaven in a fiery chariot. We read, “As they continued walking and talking, a chariot of fire and horses of fire separated the two of them, and Elijah ascended in a whirlwind into heaven”. In Malachi 4:5, we have a prophecy which says, “Lo, I will send you the prophet Elijah before the great and terrible day of the Lord comes”. Hence there was a belief among the Jewish people that Elijah would come again. What does it mean? It means that God, through a prophet once again will accomplish what Elijah accomplished; that he would challenge people to return to the Lord and take a definitive stand for God. This is what St. John the Baptist did. Today we are invited to return to the Lord and take a definitive stand for God.
✍ -Br. Biniush topno
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