29 मार्च 2021, सोमवार
पुण्य सप्ताह
पहला पाठ : इसायाह का ग्रन्थ 42:1-7
1) “यह मेरा सेवक है। मैं इसे सँभालता हूँ। मैंने इसे चुना है। मैं इस पर अत्यन्त प्रसन्न हूँ। मैंने इसे अपना आत्मा प्रदान किया है, जिससे यह राष्ट्रों में धार्मिकता का प्रचार करे।
2) यह न तो चिल्लायेगा और न शोर मचायेगा, बाजारों में कोई भी इसकी आवाज नहीं सुनेगा।
3) यह न तो कुचला हुआ सरकण्डा ही तोड़ेगा और न धुआँती हुई बत्ती ही बुझायेगा। यह ईमानदारी से धार्मिकता का प्रचार करेगा।
4) यह न तो थकेगा और न हिम्मत हारेगा, जब तक यह पृथ्वी पर धार्मिकता की स्थापना न करे; क्योंकि समस्त द्वीप इसी शिक्षा की प्रतीक्षा करेंगे।“
5) जिसने आकाश बना कर फैलाया और पृथ्वी और उसकी हरियाली उत्पन्न की है, वही प्रभु-ईश्वर यह कहता है-
6) “मैं प्रभु, ने तुम को न्याय के लिए बुलाया और तुम्हारा हाथ पकड़ कर तुम को सँभाला है। मैंने तुम्हारे द्वारा अपनी प्रजा को एक विधान दिया और तुम्हें राष्ट्रों की ज्योति बनाया है,
7) जिससे तुम अन्धों की दृष्टि दो, बन्दियों को मुक्त करो। और अन्धकार में रहने वालों को ज्योति प्रदान करो।
सुसमाचार : सन्त योहन का सुसमाचार 12:1-11
1) पास्का के छः दिन पहले ईसा वेथानिया आये। वहाँ लाज़रुस रहता था, जिसे उन्होंने मृतकों में से पुनर्जीवित किया था।
2) लोगों ने वहाँ ईसा के सम्मान में एक भोज का आयोजन किया। मरथा परोसती थी और ईसा के साथ भोजन करने वालों में लाज़रुस भी था।
3) मरियम ने आधा सेर असली जटामांसी का बहुमूल्य इत्र ले कर ईसा के चरणों का विलेपन किया और अपने केशों से उनके चरण पोछे। इत्र की सुगन्ध से सारा घर महक उठा।
4) इस पर ईसा का एक शिष्य यूदस इसकारियोती जो उनके साथ विश्वासघात करने वाला था, यह बोला,
5) ’’तीन सौ दीनार में बेचकर इस इत्र की कीमत गरीबों में क्यों नही बाँटी गयी?’’
6) उसने यह इसलिये नहीं कहा कि उसे गरीबों की चिंता थी, बल्कि इसलिये कि वह चोर था। उसके पास थैली रहती थी और उस में जो डाला जाता था, वह उसे निकाल लेता था।
7) ईसा ने कहा, ’’इसे छोड दो। इसने मेरे दफ़न के दिन की तैयारी में यह काम किया।
8) गरीब तो बराबर तुम्हारे साथ रहेंगे, किन्तु मैं हमेशा तुम्हारे साथ नहीं रहूँगा।
9) बहुत-से यहूदियों को पता चला कि ईसा वहाँ हैं। वे ईसा के कारण ही नहीं बल्कि उस लाज़रुस को भी देखने आये, जिसे ईसा ने मृतकों में से पुनर्जीवित किया था।
10) इसलिये महायाजकों ने लाज़रुस को भी मार डालने का निश्चय किया,
11) क्योंकि उसी के कारण बहुत-से लोग उन से अलग हो रहे थे और ईसा में विश्वास करते थे।
📚 मनन-चिंतन
प्यारे विश्वासियों इस हफता पवित्र हफता है इसलिए हमें पवित्र रीती से अपना बहुमूल्य समय ईश्वर के साथ बिताने का समय है। जैसे सुसमाचार में हम सुनते है कि मरियम ने जटामांसी का बहुमूल्य इत्र से येसु के चरणों का विलेपन किया उसी प्रकार हम लोगों को भी प्रभु केलिए कुछ खास अर्पित करना है। जब मरियम के इस कार्य की आलोचना की गयी तब येसु ने कहा इसे करने दीजीए क्योंकि ग़रीब तो बराबर तूम्हारे साथ रहेंगे, किन्तु मैं हमेशा तुम्हारे साथ नहीं रहॅूगा। ठीक इसी प्रकार हम अपने आप से कहे कि हम बाकी कार्याें को छोडे क्योंकि वह कार्य बाद में भी कर सकते है, लेकिन पवित्र हफता हमें साल में एब ही बार मिलता है। इसलिए इस समय का पूरा लाभ उठायें।
आज के सुसमाचार में हम देखते है कि ईश्वर का हमारे प्रति प्यार अपार है। इसायाह 42:3 के वचन में हम पढ़ते है कि यह न तो कुचला हुआ सरकण्डा ही तोडेगा और न धुऑती हुई बत्ती ही बुझायेगा। कहने का मतलब यह है (इसायाह 43:4) कि ईश्वर की दृष्टि में हर एक इनसान मूल्यवान है और महत्व रखते है। इस कारण से हमें बचाने केलिए ईश्वर कोई भी सीमा पार करने केलिए तैयार है; कोई भी मृत्यु अपनाने के लिए तैयार है। इसी कारण से येसु ने हमें पापों से छुटकारा देने केलिए क्रूस मरण को अपनाया।
येसु हमें पापों से मोचित करके धर्मी बनाने केलिए आए। अगर आप धर्मिक जीवन नहीं बिता रहे है या धर्मिक जीवन बीता नहीं पा रहे है तो येसु के पास जाये; येसु से प्रार्थना करें। क्योंकि लिखा है मत्ति 5:6 धन्य है, वे, जो धार्मिकता के भूखे और प्यासे हैं! वे तृप्त किये जायेंगे। स्तोत्र 118:19-20 प्रभु मेरे लिए धार्मिकता का द्वार खोल दो, मैं उस में प्रवेश कर प्रभु को धन्यवाद दॅूगा। यह प्रभु का द्वार है, इस में धर्मि प्रवेश करते है। नबी होशेआ कहते है 10:12 प्रभु को कब तक खोजते रहो, जब तक वह आ कर धार्मिकता न बरसाये!
✍ -Br. Biniush Topno
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