12 मार्च 2021, शुक्रवार
चालीसे का तीसरा सप्ताह
पहला पाठ : होशेआ का ग्रन्थ 14:2-10
2) इस्राएल! अपने प्रभु-ईश्वर के पास लौट आओ, क्योंकि तुम अपने पापों के कारण गिर गये हो।
3) प्रार्थना का चढावा ले कर प्रभु के पास आओ और उस से यह कहो, ’’हमारा अपराध मिटा दे और हमारा सद्भाव ग्रहरण कर। हम तुझे बलिपशुओं के स्थान पर यह निवेदन चढाते हैं।
4) अस्सूर हमें बचाने में असमर्थ है। हम फिर कभी अपने घोडों पर भरोस नहीं रखेंगे और अपने हाथों की बनायी हुई मुर्ति से नहीं कहेंगे- तू हमारा ईश्वर है। प्रभु! तू ही अनाथ पर दया करता है।’’
5) मैं उनके विश्वासघात का घाव भर दूँगा। मैं सारे हृदय से उन को प्यार करूँगा; क्योंकि मेरा क्रोध उन पर से दूर हो गया है।
6) मैं इस्राएल के लिए ओस के सदृश बन जाऊँगा। वह सोसन की तरह खिलेगा और लेबानोन के बालूत की तरह जडे जमायेगा।
7) उसकी टहानियाँ फैलेंगी, उसकी शोभा जैतून के सदृश होगी और उसकी सुगन्ध लेबानोन के सदृश।
8) इस्राएली फिर मेरी छत्रछाया में निवास करेंगे और बहुत-सा अनाज उगायेंगे। वे दाखबारी की तरह फलेंगे-फूलेंगे और लेबानोन की अंगूरी की तरह प्रसिद्ध हो जायेंगे।
9) अब एफ्राईम को देवमूर्तियों से क्या? मैं ही उसकी सुनता और उसकी सुध लेता हूँ। मैं सदाबाहर सनोबर के सदृश हूँ- मुझ से ही उसे फल मिलते हैं।
10) जो समझदार है, वह इन बातों पर विचार करे। जो बुद्धिमान है, वह इन्हें अच्छी तरह जान ले। प्रभु के मार्ग सीधे हैं- धर्मी उन पर चलते हैं, किन्तु पापी उन पर ठोकर खा कर गिर जाते हैं।
सुसमाचार : सन्त मारकुस 12:28b-34
28) तब एक शास्त्री ईसा के पास आया। उन से पूछा, “सबसे पहली आज्ञा कौन सी है?“
29) ईसा ने उत्तर दिया, “पहली आज्ञा यह है- इस्राएल, सुनो! हमारा प्रभु-ईश्वर एकमात्र प्रभु है।
30) अपने प्रभु-ईश्वर को अपने सारे हृदय, अपनी सारी आत्मा, अपनी सारी बुद्धि और सारी शक्ति से प्यार करो।
31) दूसरी आज्ञा यह है- अपने पड़ोसी को अपने समान प्यार करो। इनसे बड़ी कोई आज्ञा नहीं।“
32) शास्त्री ने उन से कहा, “ठीक है, गुरुवर! आपने सच कहा है। एक ही ईश्वर है, उसके सिवा और कोई नहीं है।
33) उसे अपने सारे हृदय, अपनी सारी बुद्धि और अपने सारी शक्ति से प्यार करना और अपने पड़ोसी को अपने समान प्यार करना, यह हर प्रकार के होम और बलिदान से बढ़ कर है।“
34) ईसा ने उसका विवेकपूर्ण उत्तर सुन कर उस से कहा, “तुम ईश्वर के राज्य से दूर नहीं हो’’। इसके बाद किसी को ईसा से और प्रश्न करने का साहस नहीं हुआ।
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