12 दिसंबर 2020
आगमन का दूसरा सप्ताह, शनिवार
📒 पहला पाठ: प्रवक्ता-ग्रन्थ 48:1-4.9-11
1) तब एलियाह अग्नि की तरह प्रकट हुए। उनकी वाणी धधकती मशाल के सदृश थी।
2) उन्होंने उनके देश में अकाल भेजा और अपने धर्मोत्साह में उनकी संख्या घटायी।
3) उन्होंने प्रभु के वचन से आकाश के द्वार बन्द किये और तीन बार आकाश से अग्नि गिरायी।
4) एलियाह! आप अपने चमत्कारों के कारण कितने महान् है! आपके सदृश होने का दावा कौन कर सकता है!
9) आप अग्नि की आँधी में अग्निमय अश्वों के रथ में आरोहित कर लिये गये।
10) आपके विषय में लिखा है, कि आप निर्धारित समय पर चेतावनी देने आयेंगे, जिससे ईश्वरीय प्रकोप भड़कने से पहले ही आप उसे शान्त करें, पिता और पुत्र का मेल करायें और इस्राएल के वंशों का पुनरुद्धार करें।
11) धन्य हैं वे, जिन्होंने आपके दर्शन किये, जो आपके प्रेम से सम्मानित हुए!
📙 सुसमाचार : सन्त मत्ती 17:9a.10-13
9) पहाड़ से उतरते समय उनके शिष्यों ने उन से पूछा, ’’शास्त्री यह क्यों कहते हैं कि पहले एलियस को आना है?’’
11) ईसा ने उत्तर दिया, ’’एलियस अवश्य सब कुछ ठीक करने आयेगा।
12) परन्तु मैं तुम लोगों से कहता हूँ- एलियस आ चुका है। उन्होंने उसे नहीं पहचाना और उसके साथ मनमाना व्यवहार किया। उसी तरह मानव पुत्र भी उनके हाथों दुःख उठायेगा।’’
13) तब वे समझ गये कि ईसा योहन बपतिस्ता के विषय में कह रहे हैं।
📚 मनन-चिंतन
नबी एलियाह ने पश्चाताप का उपदेश देते हुए लोगों से अपनी मूर्ति-पूजा छोड़ने को कहा। ऐसा करने पर उन्हें राजा अहाब और रानी ईज़ेबेल के गुस्से का सामना करना पड़ा। उन्होंने कार्मल पर्वत पर बाल देव के चार सौ पचास नबियों तथा अशेरा देव के चार सौ नबियों का सामना किया। वे नहीं चाहते थे कि दो अलग-अलग मतों के साथ इस्राएली लोग लंगड़ा कर चलें। उन्होंने उन्हें या तो प्रभु ईश्वर पर विश्वास करने या बाल देव पर विश्वास करने का निर्णय लेने के लिए मजबूर किया। नबी एलियाह के मनोभाव और और शक्ति ले कर आए संत योहन बपतिस्ता चाहते थे कि लोग अपने पापपूर्ण तरीकों से दूर जाएं और ईश्वर में अपने विश्वास को स्पष्ट करें। उन्होंने इस्राएल के सभी लोगों के सामने यह चुनौती रखी। जैसा कि हम क्रिसमस के महान पर्व की ओर बढ़ रहे हैं, प्रभु चाहते हैं कि हम पश्चाताप करें और उन पर विश्वास करें।
📚 REFLECTION
Elijah was a prophet who preached repentance asking people to give up their idol worship. Elijah had to face the fury of Ahab and the king and Jezebel the queen. He confronted four hundred and fifty prophets of Baal and the four hundred prophets of Asherah at Mount Carmel. He did not want the Israelites to go limping with two different options – worship of God or that of idols. He forced them to make a decision either to follow Yahweh or Baal. St. John the Baptist who came in the spirit and power of Elijah also wanted the people to move away from their sinful ways and make a clear choice for God. This was the challenge thrown by him before all the people of Israel. As we approach the great feast of Christmas the Lord wants us to repent and make a clear choice him.
✍ -Br.Biniush Topno
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