10 दिसंबर 2020
आगमन का दूसरा सप्ताह, गुरुवार
📒 पहला पाठ: इसायाह का ग्रन्थ 41:13-20
13) क्योंकि मैं तुम्हारा प्रभु-ईश्वर हूँ। मैं तुम्हारा दाहिना हाथ पकड़ कर तुम से कहता हूँ- मत डरो, देखो, मैं तुम्हारी सहायता करूँगा।
14) याकूब! तुम कीड़े-जैसे हो गये हो। इस्राएल! तुम शव-जैसे हो गये हो। प्रभु कहता है- मैं तुम्हारी सहायता करूँगा, इस्राएल का परमपावन प्रभु तुम्हारा उद्धारक है।
15) मैं तुम, को दँवरी का यन्त्र बनाता हूँ- नया, दुधारा और पैना। तुम पहाड़ों को दाँव कर चूर-चूर करोगे और पहाड़ियों को भूसी बना दोगे।
16) तुम उन्हें ओसाओगे- हवा उन्हें उड़ा ले जायेगी और आँधी उन्हें छितरा देगी। तुम प्रभु में आनन्द मनाओगे और इस्राएल के परमपावन ईश्वर पर गौरव करोगे।
17) “दरिद्र पानी ढूँढते हैं और पाते नहीं, उनकी जीभ प्यास के मारे सूख गयी है। मैं, प्रभु, उनकी दुहाई पर ध्यान दूँगा; मैं, इस्राएल का ईश्वर, उन्हें नहीं त्यागूँगा।
18) मैं उजाड़ पहाड़ियों पर से नदियाँ और घाटियों में जलधाराएँ बहा दूँगा। मैं मरुभूमि को झील बनाऊँगा और सूखी भूमि को जलस्रोतों से भर दूँगा।
19) मैं मरुभूमि में देवदार, बबूल, मेंहदी और जैतून लगा दूँगा। मैं उजाड़खण्ड में खजूर, चीड़ और चनार के वृक्ष लगाऊँगा।
20) इस प्रकार सब देख कर जानेंगे, सब उस पर विचार कर स्वीकार करेंगे कि प्रभु ने यह सब किया है, इस्राएल के परमपावन ईश्वर ने इसकी सृष्टि की है।“
📙 सुसमाचार : सन्त मत्ती 11:11-15
11) मैं तुम लोगों से यह कहता हूँ - मनुष्यों में योहन बपतिस्ता से बड़ा कोई पैदा नहीं हुआ। फिर भी, स्वर्ग राज्य में जो सबसे छोटा है, वह योहन से बड़ा है।
12) ’’योहन बपतिस्ता के समय से आज तक लोग स्वर्गराज्य के लिए बहुत प्रयत्न कर रहे हैं और जिन में उत्साह है, वे उस पर अधिकार प्राप्त करते हैं।
13) ’’योहन तक के नबी, और संहिता भी, सब-के-सब राज्य के विषय में केवल भविष्य वाणी कर सके।
14) तुम चाहो, तो मेरी बात मान लो कि योहन वही एलियस है, जो आने वाला था।
15) जिसके कान हों, वह सुन ले।
📚 मनन-चिंतन
आज के सुसमाचार में प्रभु येसु संत योहन बपतिस्ता को मसीह के आगमन के पहले धरती पर लौटने वाले नबी एलियस के रूप में प्रस्तुत करते हैं। क्या प्रभु येसु नबी एलियस की शारीरिक वापसी के बारे में बोल रहे हैं? मलआकी 4:5-6 में हम यह भविष्यवाणी पढ़ते हैं: “देखो, उस महान् एवं भयानक दिन के पहले, प्रभु के दिन के पहले, मैं नबी एलियाह को तुम्हारे पास भेजूँगा। वह पिता का हृदय पुत्र की ओर अभिमुख करेगा और पुत्र का हृदय पिता की ओर। कहीं ऐसा न हो कि मैं आ कर देश का सर्वनाश कर दूँ।" प्रवक्ता 48:10 नबी एलियस के विषय में कहता है, “आपके विषय में लिखा है, कि आप निर्धारित समय पर चेतावनी देने आयेंगे, जिससे ईश्वरीय प्रकोप भड़कने से पहले ही आप उसे शान्त करें, पिता और पुत्र का मेल करायें और इस्राएल के वंशों का पुनरुद्धार करें।” स्वर्गदूत गब्रिएल योहन बपतिस्ता के जन्म के बारे जकरियस से कहा, “वह पिता और पुत्र का मेल कराने, स्वेच्छाचारियों को धर्मियों की सद्बुद्धि प्रदान करने और प्रभु के लिए एक सुयोग्य प्रजा तैयार करने के लिए एलियस के मनोभाव और सामर्थ्य से सम्पन्न प्रभु का अग्रदूत बनेगा।” (लूकस 1:17) जब स्वर्गदूत कहते हैं कि वे एलियस के मनोभाव और सामर्थ्य से सम्पन्न प्रभु का अग्रदूत बनेगा, तब यह स्पष्ट होता है कि हमें नबी एलियस के वापस आने का शाब्दिक अर्थ नहीं निकालना चाहिए। एलियस पवित्र आत्मा के प्रभाव से कार्य करते थे तथा पश्चात्ताप का सन्देश देते थे। इसी प्रकार सन्त योहन बपतिस्ता भी पश्चात्ताप का सन्देश सुनाने आते हैं। हमें भी इस आगमन-काल में पश्चात्ताप कर प्रभु को अपने दिल में आमंत्रित करना होगा ताकि हम क्रिसमस को बड़े हर्षोल्लास के साथ मना सकें।
📚 REFLECTION
In today’s Gospel Jesus presents John the Baptist as “Elijah who was to return” before the coming of the Messiah. Is Jesus speaking about the literal return of prophet Elijah? In Mal 4:5-6 we read the prophecy: “Lo, I will send you the prophet Elijah before the great and terrible day of the Lord comes. He will turn the hearts of parents to their children and the hearts of children to their parents, so that I will not come and strike the land with a curse.” Sir 48:10 tells about Elijah’s coming in these words: “At the appointed time, it is written, you are destined to calm the wrath of God before it breaks out in fury, to turn the hearts of parents to their children, and to restore the tribes of Jacob.” When Angel Gabriel spoke to Zachariah about the birth of John the Baptist, he said, “With the spirit and power of Elijah he will go before him, to turn the hearts of parents to their children, and the disobedient to the wisdom of the righteous, to make ready a people prepared for the Lord.” (Lk 1:16-17) When the angel says, “with the spirit and power of Elijah”, it is clear that it is not about a literal returning of Elijah, but that the task of St. John the Baptist was similar to that of Prophet Elijah. Both these great prophets preached repentance. We too need to repent and invite the Lord into our hearts during this advent season so that we may be able to celebrate Christmas with great joy.
✍ -Br. Biniush Topno
No comments:
Post a Comment