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आज का पवित्र वचन 07 दिसंबर 2020 आगमन का दूसरा सप्ताह, सोमवार

 

07 दिसंबर 2020
आगमन का दूसरा सप्ताह, सोमवार

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📒 पहला पाठ: इसायाह का ग्रन्थ 35:1-10

1) मरुस्थल और निर्जल प्रदेश आनन्द मनायें। उजाड़ भूमि हर्शित हो कर फले-फूले,

2) वह कुमुदिनी की तरह खिल उठे, वह उल्लास और आनन्द के गीत गाये। उसे लेबानोन का गौरब दिया गया है, करमेल तथा शारोन की शोभा। लोग प्रभु की महिमा तथा हमारे ईश्वर के प्रताप के दर्शन करेंगे।

3 थके-माँदे हाथों को शक्ति दो, निर्बल पैरों को सुदढ़ बना दो।

4) घबराये हुए लोगों से कहो- “ढारस रखों डरो मत! देखो, तुम्हारा ईश्वर आ रहा है। वह बदला चुकाने आता है, वह प्रतिशोध लेने आता है, वह स्वयं तुम्हें बचाने आ रहा है।“

5) तब अन्धों की आँखें देखने और बहरों के कान सुनने लगेंगे। लँगड़ा हरिण की तरह छलाँग भरेगा। और गूँगे की जीभ आनन्द का गीत गायेगी।

6) मरुस्थल में जल की धाराएँ फूट निकलेंगी, रेतीले मैदानों में नदियाँ बह जायेंगी,

7) सूखी धरती झील बन जायेगी और प्यासी धरती में झरने निकलेंगे। जहाँ पहले सियारों की माँद थी, वहाँ सरकण्डे और बेंत उपजेंगे।

8) वहाँ एक राजमार्ग बिछा दिया जायेगा, जो ‘पवत्रि मार्ग’ कहलायेगा। कोई भी पापी उस पर नहीं चलेगा। प्रभु स्वयं यह मार्ग तैयार करेगा- नास्तिक भूल कर भी उस पर पैर नहीं रखेंगे।

9) वहाँ न तो कोई सिंह विचरेगा और न कोई हिंसक पशु मिलेगा। प्रभु की प्रजा उस पर चलेगी।

10) प्रभु ने जिन्हें मुक्त कर दिया है, वे ही उस पर लौटेंगे। वे गाते-बजाते हुए सियोन लौटेंगे, उनके मुख पर अपार आनन्द खिल उठेगा। वे हर्ष और उल्लास के साथ लौटेंगे। दुःख और विलाप का अन्त हो जायेगा।

📙 सुसमाचार : सन्त लूकस 5:17-26

17) ईसा किसी दिन शिक्षा दे रहे थे। फरीसी और शास्त्री ईसा किसी दिन शिक्षा दे रहे थे। फ़रीसी और शास्त्री पास ही बैठे हुए थे। वे गलीलिया तथा यहूदिया के हर एक गाँव से और येरुसालेम से भी आये थे। प्रभु के सामर्थ्य से प्रेरित हो कर ईसा लोगों को चंगा क

18) उसी समय कुछ लोग खाट पर पड़े हुए एक अद्र्धांगरोगी को ले आये। वे उसे अन्दर ले जा कर ईसा के सामने रख देना चाहते थे।

19) भीड़ के कारण अद्र्धागरोगी को भीतर ले जाने का कोई उपाय न देख कर वे छत पर चढ़ गये और उन्होंने खपड़े हटा कर खाट के साथ अद्र्धांगरोगी को लोगों के बीच में ईसा सामने उतार दिया।

20) उनका विश्वास देख कर ईसा ने कहा, ’’भाई! तुम्हारे पाप क्षमा हो गये हैं’’।

21) इस पर शास्त्री और फ़रीसी सोचने लगे, ’’ईश-निन्दा करने वाला यह कौन है? ईश्वर के सिवा कौन पाप क्षमा कर सकता है?’’

22) उनके ये विचार जान कर ईसा ने उन से कहा, ’’मन-ही-मन क्या सोच रहे हो?

23) अधिक सहज क्या है-यह कहना, ’तुम्हारे पाप क्षमा हो गये हैं; अथवा यह कहना उठो, और चलो फिरो’?;

24) परन्तु इसलिए कि तुम लोग यह जान लो कि मानव पुत्र को पृथ्वी पर पाप क्षमा करने का अधिकार है, वह अद्र्धांगरोगी से बोले मैं तुम से कहता हूँ, उठो और अपनी खाट उठा कर घर जाओ।

25) उसी क्षण वह सब के सामने उठ खड़ा हुआ और अपनी खाट उठा कर ईश्वर की स्तुति करते हुए अपने घर चला गया।

26) सब-के-सब विस्मित हो कर ईश्वर की स्तुति करते रहे। उन पर भय छा गया और वे कहते थे, ’’आज हमने अद्भुत कार्य देखे हैं’’।

📚 मनन-चिंतन

हम देखते हैं कि प्रभु येसु अकसर उस व्यक्ति में विश्वास की उम्मीद करते हैं जो चंगाई की आशा करता हो। संत पौलुस भी इसी प्रकार चंगाई पाने की आशा रखने वालों में विश्वास पाने की आशा करते हैं। प्रेरित-चरित 14: 9-10 में हम एक जन्म से लंगडे व्यक्ति की चंगाई के बारे में पढ़ते हैं। पवित्र बाइबिल कहती है, "पौलुस ने उस पर दृष्टि गड़ायी और उस में स्वस्थ हो जाने योग्य विश्वास देख कर ऊँचे स्वर में कहा, "उठो और अपने पैरों पर खड़े हो जाओ"। वह उछल पड़ा और चलने-फिरने लगा।" लेकिन प्रभु येसु द्वारा अर्ध्दांग रोगी की चंगाई के विवरण में हम पाते हैं कि प्रभु उन लोगों के विश्वास से प्रेरित होते हैं जिन्होंने उस रोगी को उसके घर से उठा कर लाने का कष्ट किया तथा छत खोल कर उसकी चारपाई को प्रभु येसु के सामने उतारने की परेशानी उठायी। हमारा विश्वास हमारी और दूसरों की मदद कर सकता है। प्रभु पर विश्वास करने वाला व्यक्ति चंगाई प्राप्त करने के साथ-साथ दूसरों के लिए आशीर्वाद का माध्यम भी बनता है जिस प्रकार इब्राहीम दूसरों के लिए आशीर्वाद बन गये थे।



📚 REFLECTION

We see Jesus often expecting faith in the person to be healed. In Acts 14:9-10 we read about the healing of the crippled man. The Bible says, “And Paul, looking at him intently and seeing that he had faith to be healed, said in a loud voice, “Stand upright on your feet.” And the man sprang up and began to walk.” But in the healing of the paralyzed man Jesus was moved by the faith of the people who brought him to him and took the trouble to climb on the roof and lower the stretcher through the tiles to place him right in front of Jesus. Our faith can help us and others. A person with faith does not only receive healing, but he/she can be a channel of Blessing for others just as Abraham was to be a blessing for others.

 -Br. Biniush Topno


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Praise the Lord!

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