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आज का पवित्र वचन 05 दिसंबर 2020 आगमन का पहला सप्ताह, शनिवार

 

05 दिसंबर 2020
आगमन का पहला सप्ताह, शनिवार

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📒 पहला पाठ: इसायाह का ग्रन्थ 30:19-21.23-26

19) येरुसालेम में रहने वाली सियोन की प्रजा! अब से तुम लोगों को रोना नहीं पड़ेगा। प्रभु तुम पर अवश्य दया करेगा, वह तुम्हारी दुहाई सुनते ही तुम्हारी सहायता करेगा।

20) प्रभु ने तुम्हें विपत्ति की रोटी खिलायी और दुःख का जल पिलाया है; किन्तु अब तुम्हें शिक्षा प्रदान करने वाला प्रभु अदृश्य नहीं रहेगा- तुम अपनी आँखों से उसके दर्शन करोगे।

21) यदि तुम सन्मार्ग से दायें या बायें भटक जाओगे, तो तुम पीछे से यह वाणी अपने कानों से सुनोगे-“सच्चा मार्ग यह है; इसी पर चलते रहो“।

23) प्रभु तुम्हारे बोये हुये बीजों को वर्षा प्रदान करेगा और तुम अपने खेतों की भरपूर उपज से पुष्टिदायक रोटी खाओगे। उस दिन तुम्हारे चैपाये विशाल चारागाहों में चरेंगे।

24) खेत में काम करने वाले बैल और गधे, सूप और डलिया से फटकी हुई, नमक मिली हुई भूसी खयेंगे।

25) महावध के दिन, जब गढ़ तोड़ दिये जायेंगे, तो हर एक उत्तंुग पर्वत और हर एक ऊँची पहाड़ी से उमड़ती हुई जलधाराएँ फूट निकलेंगी।

26) जिस दिन प्रभु अपनी प्रजा के टूटे हुए अंगों पर पट्टी बाँधेगा और उसकी चोटों के घावों को चंगा करेगा, उस दिन चन्द्रमा का प्रकाश सूर्य की तरह होगा और सूर्य का प्रकाश- सात दिनों के सम्मिलित प्रकाश के सदृश-सतगुना प्रचण्ड हो उठेगा।

📙 सुसमाचार : सन्त मत्ती 9:35-10:1.5a.6-8

35) ईसा सभागृहों में शिक्षा देते, राज्य के सुसमाचार का प्रचार करते, हर तरह की बीमारी और दुबर्लता दूर करते हुए, सब नगरों और गाँवों में घूमते थे।

36) लोगों को देखकर ईसा को उन पर तरस आया, क्योंकि वे बिना चरवाहे की भेड़ों की तरह थके माँदे पड़े हुए थे।

37) उन्होंने अपने शिष्यों से कहा, ’’फसल तो बहुत है, परन्तु मज़दूर थोड़े हैं।

38) इसलिए फ़सल के स्वामी से विनती करो कि वह अपनी फ़सल काटने के लिए मज़दूरों को भेजे।’’

1) ईसा ने अपने बारह शिष्यों को अपने पास बुला कर उन्हें अशुद्ध आत्माओं को निकालने तथा हर तरह की बीमारी और दुर्बलता दूर करने का अधिकार प्रदान किया।

5) ईसा ने इन बारहों को यह अनुदेश दे कर भेजा,

6) बल्कि इस्राएल के घराने की खोयी हुई भेड़ों के यहाँ जाओ।

7) राह चलते यह उपदेश दिया करो- स्वर्ग का राज्य निकट आ गया है।

8) रोगियों को चंगा करो, मुरदों को जिलाआ, कोढि़यों को शुद्ध करो, नरकदूतों को निकालो। तुम्हें मुफ़्त में मिला है, मुफ़्त में दे दो।

📚 मनन-चिंतन

प्रेरित वे हैं जो शिष्यों में से चुने जाते हैं और एक मिशन पर भेजे जाते हैं। येसु ने कई लोगों को उनका अनुसरण करने के लिए बुलाया और उनमें से उन्होंने कुछ लोगों को 'प्रेरित' नाम दे कर एक मिशन पर भेजा। प्रेरित एक दूत या सन्देशवाहक होता है। वह येसु के संदेश को वहन करता है। प्रेरितों को ज्ञान, अधिकार और पवित्र आत्मा की आवश्यकता है। प्रभु येसु अपने प्रेरितों को शिक्षा देते थे। वे भीड़ को जितना सिखाते थे, उससे कहीं ज्यादा उन्हें सिखाते थे। उन्होंने उन्हें दृष्टान्तों के छिपे अर्थ को समझाया। उन्होंने अनकी व्यक्त और अव्यक्त शंकाओं को संबोधित किया तथा स्पष्टीकरण दिया। अपने सार्वजनिक जीवन के दौरान, प्रेरित हमेशा उनके साथ थे और उन्होंने जो कुछ सुना और देखा, उससे वे सीखते रहे। उन्होंने उन्हें कबूतर के समान निर्दोष और साँप के समान विवेकपूर्ण बनने की सलाह दी। उन्होंने उनके डर और चिंताओं को दूर करने की कोशिश की। उन्होंने उन्हें पवित्र आत्मा की प्रतीक्षा करने के लिए कहा। इस प्रकार प्रेरित एक ऐसे व्यक्ति के रूप में बाहर जाता है जिसे अच्छी तरह से निर्देश दिया जाता है, अधिकृत और सशक्त बनाया जाता है।



📚 REFLECTION

The Apostles are those chosen from disciples and sent on a mission. Jesus called many to follow him and from among them he named some of them ‘apostles’ to be sent out on a mission. An apostle is a messenger or an envoy. He carries the message of Jesus. The apostles need to possess knowledge, authority and the Holy Spirit. Jesus taught his apostles. He used to teach them much more than what he taught the crowds. He explained to them the hidden meaning of the parables and his parabolic actions. He addressed their expressed and unexpressed doubts. During his public life, the apostles were always with him and they kept learning from what they heard and witnessed. He advised them to be innocent as doves and prudent as serpents. He tried to dispel their fears and anxieties. He told them to await the Holy Spirit, the power from on high. Thus an apostle goes out as one who is well instructed, authorized and empowered.

 -Br. Biniush Topno


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Praise the Lord!

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